Coccidiosis: यह एक परजीवी बीमारी है जो कि Coccidian protozoa के कारण होती है। यह युवा जानवरों को ज्यादा प्रभावित करती है। यह बटेर की आंतों की दीवारों को नुकसान पहुंचाती है और उसके बाद उसकी मौत हो जाती है।
इलाज : इस बीमारी को रोकने के लिए एक एंटीकोकसीडियाल एजेंट जैसे Amprolin या Baycox दें।
Ulcerative enteritis: इसे ‘बटेर की बीमारी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह एक विषाणु रोग है। यह मुख्यत: गंदी परिस्थितियों में हमला करता है और तेजी से बटेरों को प्रभावित करता है। इसके लक्षण हैं सुस्ती, कम भोजन खाना, भार कम होना और फिर मौत हो जाना।
इलाज : Duramycin की खुराक तुरंत दें। एक गैलन पानी में एक बड़ा चम्मच देना आवश्यक है।
Coryza: यह एक विषाणु संक्रमण है जो कि मुख्यत: बटेर से चिकन में फैलता है। इसके लक्षण हैं, सूजन आना, कठिन सांस लेना, आंखों में से गंध वाला डिस्चार्ज निकलना और नाक और पलकों का चिपचिपा होना।
इलाज : इस बीमारी से बचाव के लिए Sulfadimethoxine की खुराक दें। एक गैलन पानी में एक बड़ा चम्मच देना आवश्यक है।
Quail bronchitis: बटेरों में यह बीमारी मुख्यत: पक्षियों द्वारा फैलती है। इसके लक्षण हैं - सांस लेने में समस्या और खांसी होना।
इलाज : Tylan की खुराक दें। एक गैलन पानी में एक बड़ा चम्मच देना आवश्यक है।
Equine Encephalitis: यह बीमारी मुख्यत: मच्छरों द्वारा फैलती है। इसके लक्षण हैं - गर्दन हिलाना, लीवर की समस्या होना और लकवा मार जाना।
इलाज : बटेर के आश्रित स्थान पर मच्छर repellant का प्रयोग करें।
MG (Mycoplasma Gallisepticum): इसे chronic respiratory disease (CRD) बीमारी के नाम से भी जाना जाता है, जो कि श्वास प्रणाली में विषाणु संक्रमण के कारण होती है।
इलाज : Duramycin की खुराक दें। एक गैलन पानी में एक बड़ा चम्मच देना आवश्यक है।
Bumblefoot: यह बीमारी मुख्यत: पैर पर धफड़ी की मौजूदगी के कारण होती है।
इलाज : पैर को Epsom salts में भिगोयें। उसके बाद प्रभावित भाग को dilute Bitadine या Chlorhexidine से साफ करें और उसके बाद sterile पानी से निकाल दें।