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आम जानकारी

अदरक भारत की एक अहम मसाले वाली फसल है। भारत अदरक की पैदावार में सबसे आगे है। कर्नाटक, उड़ीसा,  अरूणाचल प्रदेश,  आसाम,  मेघालय और गुजरात अदरक पैदा करने वाले मुख्य प्रांत है।
 
उत्तर प्रदेश में, इसकी खेती छोटे स्तर पर की जाती है। 2.86 मिली टन प्रति हेक्टेयर (2005-06) के साथ लगभग 830 हेक्टेयर क्षेत्र में अदरक की खेती की जाती है।
 

जलवायु

  • Season

    Temperature

    12-35°C
  • Season

    Rainfall

    1500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    30-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    25-33°C
  • Season

    Temperature

    12-35°C
  • Season

    Rainfall

    1500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    30-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    25-33°C
  • Season

    Temperature

    12-35°C
  • Season

    Rainfall

    1500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    30-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    25-33°C
  • Season

    Temperature

    12-35°C
  • Season

    Rainfall

    1500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    30-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    25-33°C

मिट्टी

यह फसल अच्छे जल निकास वाली चिकनी,  रेतली और लाल हर तरह की मिट्टी में उगाई जा सकती है। खेत में पानी ना खड़ा होने दें क्योंकि खड़े पानी में यह ज्यादा देर बच नहीं पाएगी। फसल की वृद्धि के लिए 6-6.5 पी एच वाली मिट्टी अच्छी मानी जाती है। उस खेत में अदरक की फसल ना उगाएं जहां पिछली बार अदरक की फसल उगाई गई हो। हर साल एक ही ज़मीन पर अदरक की फसल ना लगाएं।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

Himgiri: यह किस्म निचले और दरमियाने क्षेत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त है। इस किस्म पर राइज़ोम गलन बीमारी का हमला कम होता है।
 
IISR Varada:  यह किस्म ताजा और सूखे अदरक की पैदावार के लिए अच्छी मानी जाती है। यह किस्म 200 दिनों में पकती है और इसकी औसतन पैदावार 9 टन प्रति एकड़ है।
 
IISR Mahima: यह अधिक उपज वाली किस्म है, जो मोटे राइज़ोम देती है। यह किस्म 200 दिनों में पुटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 9.3 टन प्रति एकड़ होती है।
 
Karthika.
 
Suprabha: यह किस्म 229 दिनों में पुटाई के लिए तैयार हो जाती है।
 
Suruchi: यह किस्म 218 दिनों में पुटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 4.8 टन प्रति एकड़ होती है।
 
IISR Rejatha: यह किस्म 200 दिनों में पुटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 9.2 टन प्रति एकड़ होती है।
 
Green Ginger variety: Rio-De-Janerio, China, Varadha, Maran, Wynad local.
 
Dry Ginger varieties: Maran, Nadia.
 

ज़मीन की तैयारी

खेत को दो तीन बार जोतें और सुहागे से समतल करें। अदरक की बिजाई के लिए आवश्यक लंबाई के 15 सैं.मी. ऊंचे और 1 मीटर चौड़े बैड तैयार करें। दो बैडों के बीच 50 सैं.मी. का फासला रखें।
 
नदीनों कीटों और बीमारियों की जांच के लिए बैड की मिट्टी को धूप लगवायें। इसके लिए बैड को पॉलीथीन शीट से 20-30 दिनों के लिए ढकें। रोपाई के समय नीम केक 25 ग्राम को प्रति गड्ढे में डालें और मिट्टी में अच्छी तरह मिलायें।
 

बिजाई

बिजाई का समय
अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए राइज़ोम की बिजाई मई के पहले सप्ताह में पूरी कर लें।
 
फासला
राइज़ोम को कतारों में बोयें और कतार में 40-45 सैं.मी. और दो पौधों में 30 सैं.मी. फासला रखें। राइज़ोम की रोपाई के बाद खेत में 50 क्विंटल हरे पत्तों की मलचिंग प्रति एकड़ में करें। दूसरी मलचिंग 20 क्विंटल हरे पत्तों के साथ 40 दिनों के बाद करें।
 
बीज की गहराई
बीज की गहराई 3-4 सैं.मी.  के करीब होनी चाहिए।
 
बिजाई का ढंग
अदरक की बिजाई सीधे ढंग से और पनीरी लगाकर की जा सकती है।
 

बीज

बीज की मात्रा
बिजाई के लिए ताजे और बीमारी रहित गांठों का प्रयोग करें। बिजाई के लिए 5-6.5 क्विंटल प्रति एकड़ बीज का प्रयोग करें।
 
बीज का उपचार
बिजाई से पहले गांठों को मैनकोजेब 3 ग्राम प्रति लीटर पानी से उपचार करें। गांठों को 30 मिनट के लिए घोल में भिगो दें। इससे गांठों को फफूंदी से बचाया जा सकता है। उपचार के बाद गांठों को 3-4 घंटें के लिए छांव में सुखाएं।
 

खाद

खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)

UREA SSP MOP
132 125 35

 

तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)
 
NITROGEN PHOSPHORUS POTASH
60 20 20

 

खेत की तैयारी के समय 60 क्विंटल रूड़ी की खाद प्रति एकड़ मिट्टी में डालें। नाइट्रोजन 24 किलो (52 किलो यूरिया), फासफोरस 20 किलो (125 किलो सिंगल सुपर फासफेट) और पोटाश 20 किलो (35 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश) की मात्रा प्रति एकड़ में प्रयोग करें। रूड़ी की खाद या गाय का गोबर 60 क्विंटल प्रति एकड़ में डालें। पोटाश और फासफोरस की पूरी मात्रा बिजाई के समय डालें। नाइट्रोजन की दूसरी मात्रा 20 किलो (45 किलो यूरिया) बिजाई के 45 दिनों के बाद, जबकि बिजाई के 120 दिनों के बाद नाइट्रोजन की तीसरी मात्रा 16 किलो (यूरिया 35 किलो) डालें।

 
 

 

सिंचाई

रोपाई के बाद पहली सिंचाई करें। इसे बारानी फसल के तौर पर उगाया जाता है इसलिए बारिश की तीव्रता और नियमितता के आधार पर सिंचाई करें। बारिश की अनुपस्थिति में, बाकी की सिंचाई 10 दिनों के अंतराल पर करें। अदरक की पूरी फसल को कुल 16-18 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है।

खरपतवार नियंत्रण

बिजाई के 3 दिन बाद एट्राज़िन 4-5 ग्राम प्रति लीटर पानी की नमी वाली मिट्टी पर स्प्रे करें। उन नदीनों को खत्म करने के लिए जो पहली नदीन नाशक स्प्रे के बाद पैदा होते हैं, बिजाई के 12-15 दिनों के बाद गलाइफोसेट 4-5 ग्राम प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें। नदीन नाशक की स्प्रे करने के बाद खेत को हरी खाद से या धान की पराली से ढक दें।
जड़ों के विकास के लिए जड़ों में मिट्टी लगाएं। बिजाई के 50-60 दिनों के बाद पहली बार जड़ों में मिट्टी लगाएं और उसके 40 दिन बाद दोबारा मिट्टी लगाएं।
 

पौधे की देखभाल

root or rhizome rot.png
  • बीमारियां और रोकथाम
जड़ों का गलना : इस बीमारी को रोकने के लिए फसल को बिजाई के 30, 60 और 90 दिनों के बाद मैनकोजेब 3 ग्राम प्रति लीटर या मैटालैक्सिल 1.25 ग्राम प्रति लीटर में डुबोदें।
bacterial wilt.png
मुरझाना : इस बीमारी को रोकने के लिए बीमारी दिखने के तुरंत बाद कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में पौधों को भिगोदें।
 
एंथ्राक्नोस : यदि यह बीमारी आए तो हैक्साकोनाज़ोल 10 मि.ली. या मैनकोज़ेब 75 डब्लयु पी 25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी$ 10 मि.ली. स्टिकर की स्प्रे करें।
 
पत्तों पर धब्बे : इस बीमारी को रोकने के लिए मैनकोज़ेब 20 ग्राम और कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी की स्प्रे करें।
 
blight and leaf spots.png

पत्तों पर धब्बे और सड़ना : यदि यह बीमारी दिखे तो मैनकोजेब 30 ग्राम या कार्बेनडाज़िम 10 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर 15-20 दिनों के फासले पर स्प्रे करें या प्रॉपीकोनाज़ोल 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें।

rhizome fly.png
  • हानिकारक कीट और रोकथाम
पौधे की मक्खी : यदि इस मक्खी का हमला खेत में दिखे तो इसे रोकने के लिए एसीफेट 75 एस पी 15 ग्राम को 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें और 10 दिनों के बाद दोबारा स्प्रे करें।
shoot borer.png

शाख का कीट : यदि शाख के कीट का हमला दिखे तो  इसे रोकने के लिए डाइमैथोएट 2 मि.ली. प्रति लीटर या क्विनलफॉस 2.5 मि.ली.  प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें।

sucking pest.png

रस चूसने वाले कीड़े : इन्हें रोकने के लिए नीम से बने कीटनाशक जैसे कि अज़ादिरैक्टिन 0.3 ई सी 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें।

फसल की कटाई

यह फसल 8 महीनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यदि फसल का प्रयोग मसाले बनाने के लिए करना हो तो 6 महीने बाद कटाई करें और यदि नए उत्पाद बनाने के लिए प्रयोग करना हो तो फसल की कटाई 8 महीने बाद करें। जब पत्ते पीले हो जायें और पूरी तरह सूख जायें तब कटाई के लिए सही समय होता है। गांठों को उखाड़कर बाहर निकालें और 2-3 बार पानी से धोकर साफ करें। फिर 2-3 दिनों के लिए छांव में सुखाएं।

कटाई के बाद

शुष्क अदरक के लिए अदरक की गांठों का सिर्फ ऊपर वाला छिल्का ही उतारें और 1 सप्ताह के लिए धूप में सुखाएं| शुष्क अदरक की पैदावार हरे अदरक की 16-25 प्रतिशत होती है।
 
स्टोर करना : ताजी और बीमारी रहित गांठें चुनें और कार्बेनडाज़िम + मैनकोज़ेब 40 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल से 30 मिनट के लिए उपचार करें। इससे गांठों को गलने से बचाया जा सकता है। फिर गांठों को छांव में सुखाएं।गांठों को सही आकार के गड्ढे में भरें और ढकने के समय हवा के लिए 2-3 छेद रखें। गड्ढे भरने से पहले उनमें 1 इंच मोटी रेत की परत बिछा दें।