तंबाकू की खेती

आम जानकारी

तंबाकू विश्व में उगाई जाने वाली गैर खाद्य फसल है। इसका उपभोग सिगार, बीड़ी, सिगरेट, पाइप और हुका के रूप में किया जाता है। भारत, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद तंबाकू का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत 80 से ज्यादा देशों में तंबाकू का निर्यात भी करता है। तंबाकू क्षेत्र की खेतीबाड़ी, उत्पादन और उत्पादों की बिक्री की सहायता से ग्रामीण भारत के लोगों को बहुत सारे रोज़गार मिले हैं। इसकी खेती पूरे भारत में की जाती है लेकिन आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, बिहार, तामिलनाडू, पश्चिमी बंगाल और उत्तर प्रदेश तंबाकू के मुख्य उत्पादक राज्य हैं।
 
उत्तर प्रदेश में लगभग 19.6 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में तंबाकू की खेती की जाती है। यू पी में, मुख्यत: hookah, virginia और chewing  तंबाकू की खेती की जाती है। फारूखाबाद की जलोढ़ मिट्टी और ईटा क्षेत्र इसकी खेती के लिए उपयुक्त हैं।
 
  • Season

    Temperature

    15-20°C

मिट्टी

इसे मिट्टी की कई किस्मों में उगाया जा सकता है। बारानी फसल होने के कारण, यह जलोढ़ मिट्टी, दोमट मिट्टी और काली चिकनी मिट्टी में सबसे अच्छी वृद्धि करती है। सिगार और चिरूट तंबाकू की खेती सलेटी से लाल मिट्टी से लेकर हल्की बजरीयुक्त से रेतली दोमट मिट्टी में की जाती है। चबाने वाला तंबाकू हर किस्म की मिट्टी में उगाया जा सकता है। जल जमाव वाली मिट्टी में इसकी खेती ना करें। सिगार की अच्छी गुणवत्ता के लिए मिट्टी में रेत मिलायें। नाइट्रोजन, पोटाशियम, कैलशियम और मैगनीशियम की उच्च मात्रा युक्त मिट्टी ही चुनें।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

भारत में कई तरह का तंबाकू उगाया जाता है।
Flue-Cured Virginia (FCV), Beedi, Hookah and Chewing, Cigar filler, Cigar Wrapper, Cheroot, Burley, Oriental, HDBRG, Lanka आदि विभिन्न प्रकार का तंबाकू देश में उगाया जाता है।
 
उत्तर प्रदेश के लिए Hookah  किस्में
Farrukhabad local, Kadamdal, Mena Bhengi, Snidurkhatua, Chama, Desi Calcuttia (Kalikatiya), Hatikania, R 12, HD 67-40, Snidurkhot, Patuakhol, NP 222, DP 401, Hemti, Barapat, Bitri, Villayati, Gobhi, Sonar Motihari, GCT-2.

Chewing and Snuff  किस्में
Pusa Tobacco 76, Prabha (HP 67-5), Sona (HP 63-3), Gandak Bahar (HP 6-20), Desi Jati, Oosikappal, NP 70, NP 219, Podali,DP 401, Vaishali special, Chama, Maragandham , Meenakshi, Bhagyalakshmi, Bhawani special ,  VTK-1, PV 7, VR 2, VD1 etc.
 

 

ज़मीन की तैयारी

मिट्टी की किस्म के आधार पर खेत की मोल्ड बोर्ड और सिंगल हल से 6-10 बार जोताई करें। जोताई के बाद डलियों को तोड़ने और मिट्टी को समतल करने के लिए सुहागा फेरें। नदीनों को निकाल दें और खेत को नदीन मुक्त रखें। मिट्टी की किस्म के आधार पर, अच्छी तरह से गला हुआ गाय का गोबर या रूड़ी की खाद मिट्टी में अच्छी तरह से मिलायें।

बिजाई

बिजाई का समय
यह बिजाई के क्षेत्र और किस्म पर निर्भर करता है। विभिन्न किस्मों के लिए नर्सरी की बिजाई और रोपाई का समय अलग अलग होता है, चाहे ये समान जगह पर हो। 
उत्तर प्रदेश में hookah तंबाकू के लिए नर्सरी की तैयारी का उपयुक्त समय दिसंबर का महीना है जबकि chewing तंबाकू के लिए नर्सरी की तैयारी का उपयुक्त समय जून से सितंबर का महीना है।
 
फासला
फासला क्षेत्र और किस्म के साथ अलग होता है।
FCV तंबाकू के लिए 70x50 सैं.मी. या 100x60 सैं.मी. फासले का प्रयोग करें।
बीड़ी तंबाकू के लिए 90x60 सैं.मी., 100x75 सैं.मी. या 75x50 सैं.मी. फासले का प्रयोग करें।
बरली, नाटू और लंका तंबाकू के लिए 90x45 सैं.मी. या 90x90 सैं.मी. या 60x60 सैं.मी. फासले का प्रयोग करें।
सिगार और चिरूट के लिए 70x50 सैं.मी. या 60x45 सैं.मी. फासले का प्रयोग करें।
हुका के लिए 90x90 सैं.मी. या 60x45 सैं.मी. फासले का प्रयोग करें।
उत्तर प्रदेश में नए पौधों में 45x 45 सैं.मी. फासले का प्रयोग करें।
 
बिजाई का ढंग
नए पौधों का मुख्य खेत में रोपण किया जाता है। रोपाई मेंड़ों पर या समतल बैडों पर की जाती है।
 

बीज

बीज की मात्रा
तंबाकू की सभी किस्मों के लिए प्रति एकड़ में 1.2 से 2 किलो बीज की मात्रा उपयुक्त होती है।
 
बीज का उपचार 
नए पौधों को मिट्टी से पैदा होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए डाइथेन Z-  78 या डाइथेन M-45 2.5 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर बिजाई से पहले नर्सरी में डालें।
 

पनीरी की देख-रेख और रोपण

तंबाकू के बीज छोटे और अंडे के आकार के होने के कारण ये खेत में सीधा बोने के लिए उपयुक्त नहीं होते । इसलिए इन्हें पहले नर्सरी में बोया जाता है और बाद में मुख्य खेत में रोपण कर दिया जाता है।
नर्सरी के लिए रेतली या रेतली दोमट मिट्टी चुनें। भारी काली मिट्टी ना लें क्योंकि ये मिट्टियां हल्के निकास वाली होती हैं। जिससे नर्सरी में उखेड़ा रोग की बीमारी आ जाती है।
गहरे धूप और भारी बारिश के दौरान नर्सरी को नुकसान से बचायें। मल्च और कवर का प्रयोग करें।
आवश्यकता के अनुसार नाइट्रोजन का बुरकाव करें।
जब पौधे 6-8 सप्ताह के हो जायें तब वे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
पौधों के नर्सरी में से निकालने से एक सप्ताह पहले सिंचाई देना बंद कर दें।
 
अन्य कार्य
पत्तों के आकार और उपज को बढ़ाने के लिए टॉपिंग और डीसकिंग कार्य किए जाते हैं।
टॉपिंग : फूल के ऊपरी भाग के अंकुरन से थोड़ी देर पहले या बाद पौधे की कली को ऊपरी पत्तों के साथ या उनके बिना काट दें।
डीसकिंग : टॉपिंग के बाद, सहायक कलियां उगती हैं और इसकी बाहरी शाखाओं को काट दें। इन बाहरी शाखाओं को निकालने को डीसकिंग या सकरिंग कहा जाता है।
रैपर तंबाकू को छोड़कर बाकी सभी तंबाकुओं पर टॉपिंग और सकिंग की क्रिया की जाती है।
 

खाद

खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)

UREA SSP MOP
90 250 -

 

तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)

NITROGEN PHOSPHORUS POTASH
40 40 -

 

तंबाकू उगाने वाले विभिन्नि क्षेत्रों में खादों की मात्रा भी विभिन्न होती है। खेत की तैयारी के समय 10 टन रूड़ी की खाद या अच्छी तरह से गला हुआ गाय का गोबर या फिल्टर प्रैस केक प्रति एकड़ में डालें। फासफोरस 40 किलो (एस एस पी 250 किलो) शुरूआती खुराक के तौर पर डालें। नाइट्रोजन 40 किलो (यूरिया 90 किलो) का बुरकाव प्रति एकड़ में करें।

 

 

खरपतवार नियंत्रण

नर्सरी में, नदीनों की जांच के लिए हाथों से गोडाई करें। मुख्य खेत में, रोपाई के बाद शुरूआती 60 दिनों तक खेत को नदीन मुक्त रखें। मुख्य खेत में, कतारों में अधिक फासला होने के कारण उनमें अंतरफसली किया जा सकता है। हाथों से 1-2 गोडाई करें। इससे नदीनों पर पर्याप्त नियंत्रण होता है। 
तंबाकू की फसल अंकुरन की बाद की नदीनाशकों के प्रति संवेदनशील होती है इसलिए मुख्य खेत में पौधों की रोपाई से पहले नदीनाशक जैसे प्रोनामाइड, फलूक्लोरालिन, इसोप्रोपालिन, इसोक्साबेन डालें।
 

सिंचाई

काली मिट्टी में तंबाकू सामान्य सिंचित नहीं होता, लेकिन कई हालातों में 40 दिन के पौधों को एक सिंचाई देने की सिफारिश की गई है। जब इसकी खेती हल्की मिट्टी में की जाए तो छ: सिंचाइयों की आवश्यकता होती है। सिंचाई के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले पानी का प्रयोग करें, इसमें क्लोराइड की मात्रा 50 पी एम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे पत्ते झुलस जाते हैं और पत्तों की गुणवत्ता पर भी इसका असर पड़ेगा।

पौधे की देखभाल

तना छेदक
  • हानिकारक कीट और रोकथाम
तना छेदक : सुंडियां तने के अंदर सुराख कर देती हैं।जिस कारण तने पर पित्त जैसी सोजिश देखी जा सकती है।
एक निवारक उपाय के रूप में फसल की वृद्धि के दौरान प्रभावित तने को निकालकर नष्ट कर दें। रोपाई के लिए सेहतमंद पौधों का ही प्रयोग करें।
कार्बरिल 50 प्रतिशत 60 ग्राम को 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। जरूरत पड़े तो 15 दिनों के अंतराल पर 2-3 बार स्प्रे करें।
चेपा
चेपा : ये कीट रस चूसते हैं और शहद की बूंदों जैसा पदार्थ छोड़ते हैं जो कि बाद में फंगस में विकसित हो जाता है, जिससे पत्तों की गुणवत्ता गिर जाती है।
यदि इसका हमला दिखे तो एसीफेट 75 एस पी 6 ग्राम या मिथाइल डेमेटन 25 ई सी 2 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
तंबाकू पत्तों की सुंडी
तंबाकू पत्ते खाने वाली सुंडी : सुंडियां झुंड में हमला करती हैं , पत्तों और कोमल तनों को अपना भोजन बनाती है।
 यदि इसका हमला दिखे तो शुरूआती अवस्था में कार्बरिल10 प्रतिशत 8-10 किलो का छिड़काव प्रति  एकड़ में करें। ज्यादा हमले में क्विनलफॉस 25 ई सी 20 मि.ली. को 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। 

फसल की कटाई

जब सामान्य हरे रंग के पत्ते पीले हरे से हल्के पीले में बदल जायें तब वे कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। कटाई का समय क्षेत्र और किस्म के आधार पर अलग अलग होता है। 
आंध्र प्रदेश में flue-cured Virginia की कटाई का उपयुक्त समय दिसंबर-मार्च जबकि कर्नाटका में कटाई के लिए जुलाई-सितंबर का महीना उपयुक्त समय होता है। बीड़ी तंबाकू की कटाई जनवरी फरवरी में की जाती है। सिगार और चेरूट तंबाकू की कटाई का सही समय रोपाई के 90-100 दिनों के बाद पत्तों के नाज़ुक और पीले रंग के हो जाने पर होता है। जबकि चबाने वाले तंबाकू की कटाई रोपाई के 110-120 दिनों के बाद की जाती है। हुका तंबाकू का सही समय मई जून का महीना होता है।
 
कटाई के लिए दो ढंगों का प्रयोग किया जाता है। प्राइमिंग और तना काटकर
प्राइमिंग : सामान्य तौर पर ऊपरी पत्तों की बजाय निचले पत्ते जल्दी परिपक्व होते हैं। पत्तों के पकने पर कटाई करें और कुछ पत्तों को निकाल लें। सिगरेट और रैपर तंबाकू के लिए प्राइमिंग ढंग का प्रयोग किया जाता है।
तना काटकर : सिगार, चेरूट, चबाने वाले, बीड़ी और हुका के लिए तना काटकर ढंग का प्रयोग किया जाता है। इस विधि में ज़मीनी स्तर से पौधे का भाग दरांती की सहायता से काटा जाता है और उसे सूखने के लिए पूरी रात खेत में छोड़ दिया जाता है। ज्यादा संख्या में पत्तों के परिपक्व होने पर कटाई करें। 
औसतन, flue cured Virginia और नाटू तंबाकू की उपज 312 किलो और 395 किलो प्रति एकड़ प्राप्त होती है। बीड़ी तंबाकू की 145-187 किलो प्रति एकड़ उपज प्राप्त होती है। सिगार, चेरूट और चबाने वाले तंबाकू की औसतन उपज 520-666 किलो प्रति एकड़ में प्राप्त होती है।

कटाई के बाद

क्यूरिंग प्रक्रिया का मुख्य मंतव सूखे पत्तों का उत्पादन करना है। इस प्रक्रिया में, पत्तियों को सुखाने के लिए विभिन्न कारकों को नियंत्रित करने से प्राप्त किया जाता है जैसे वेंटिलेशन, तापमान और नमी।
क्यूरिंग प्रक्रिया के बाद, पत्तियों को आकार, रंग और धब्बा या क्षति के अनुसार एक समान रंगों में पत्तियों को छांटें।