V.R.O 6: यह चितकबरे रोग और पत्ता मरोड़ रोग के प्रतिरोधक है। बसंत के मौसम में, इसकी औसतन उपज 54 क्विंटल और खरीफ के मौसम में, इसकी औसतन उपज 72 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
V.R.O 5: यह छोटे कद की और अधिक उपज वाली किस्म है। यह चितकबरे रोग और पत्ता मरोड़ रोग के प्रतिरोधक है। खरीफ के मौसम में, इसकी औसतन उपज 60 क्विंटल और बसंत के मौसम में, इसकी औसतन उपज 48 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Parbhani Kranti : यह MKV, परभानी द्वारा जारी की गई है। इसके फल मध्यम लंबे और नर्म होते हैं। इन्हें ज्यादा देर तक रखने की गुणवत्ता अच्छी होती है। यह किस्म पीले चितकबरे रोग को सहनेयोग्य है। इसकी औसतन पैदावार 35-45 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
I.I.V.R 10 : यह किस्म पीले चितकबरे रोग की प्रतिरोधक किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 60 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Kashi Vibhuti: यह किस्म बिजाई के बाद 38-40 दिनों में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 68-72 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Kashi Bhairav: यह किस्म रोपाई के 43-45 दिनों के बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 76 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह पीले चितकबरे रोग की प्रतिरोधक किस्म है।
Kashi Mahima: यह किस्म रोपाई के 45 दिनों के बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। यह खरीफ के साथ साथ गर्मियों में भी बोने के लिए उपयुक्त किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 80 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Kashi Mohini: इस किस्म की औसतन पैदावार 56 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह पीले चितकबरे रोग की प्रतिरोधक किस्म है।
Kashi Mangali : यह किस्म रोपाई के 45-50 दिनों के बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इस किस्म की औसतन पैदावार 56 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Kashi Pragati: यह किस्म रोपाई के 45-46 दिनों के बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इस किस्म की औसतन पैदावार 64 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Kashi Satdhari: यह किस्म रोपाई के 50 दिनों के बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इस किस्म की औसतन पैदावार 50 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Kashi Kranti: इस किस्म की औसतन पैदावार 50 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म रोपाई के 45 दिनों के बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है।
Pusa Sawani: यह किस्म IARI नई दिल्ली द्वारा विकसित की गई है। यह किस्म गर्मियों के साथ साथ बारिश के मौसम में खेती करने के लिए उपयुक्त है। यह किस्म 50 दिनों के अंदर अंदर तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके फल तुड़ाई के समय गहरे हरे रंग के और 10-12 सैं.मी. लंबे होते हैं। यह किस्म पीले चितकबरे रोग के प्रति संवेदनशील होती है। इसकी औसतन पैदावार 40-56 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
दूसरे राज्यों की किस्में
Pusa Mahakali: यह किस्म आई. ए. आर. आई., नई दिल्ली द्वारा बनाई गई है। इसके फल हलके हरे रंग के होते हैं।
Arka Anamika: यह किस्म IIHR, बैंगलोर द्वारा विकसित की गई है। यह किस्म पीले चितकबरे रोग के प्रतिरोधक है। इसकी औसतन पैदावार 80 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Arka Abhay: यह किस्म IIHR बैंगलोर द्वारा जारी की गई है। इसके फल पीले चितकबरे रोग के प्रतिरोधी होते हैं।
Pusa A 4: यह किस्म पीले चितकबरे रोग और चेपे के प्रतिरोधक है। यह 45 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 56 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Perkins Long green: यह पहाड़ी क्षेत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त किस्म है।
Aruna: यह किस्म KAU द्वारा जारी की गई है। इस किस्म की फलियां लाल रंग की होती हैं। यह पीले चितकबरे रोग के प्रतिरोधक है। इसकी औसतन पैदावार 64 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
CO 1: यह अधिक उपज वाली किस्म है, TNAU द्वारा जारी की गई है। इस किस्म की फलियां लाल रंग की होती हैं।
Harbhajan: यह किस्म गर्मियों और बारिश के मौसम में बोने के लिए उपयुक्त है। यह जल्दी फल देने वाली किस्म है जो कि गहरे हरे रंग के और नर्म होते हैं। यह किस्म पीले चितकबरे रोग के प्रतिरोधक है। इसकी औसतन पैदावार 36-40 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
P-8: यह नई किस्म है। इसके पौधे का कद मध्यम (53-71 सैं.मी. लंबा) होता है और यह 12-15 सैं.मी. लंबा फल होता है। प्रति पौधे पर लगभग 10 फल होते हैं। यह किस्म पीले चितकबरे रोग के प्रतिरोधक होती है। इसकी औसतन पैदावार 42 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।