बिजाई का समय
बिजाई के लिए मध्य जून से लेकर अंत सितंबर उपयुक्त होता है।
शुरूआती विकास के दौरान तेज हवा को कम करने के लिए आम, अमरूद, जामुन, अनोला, शीशम या शहतूत खेत के चारों तरफ लगाएं।
फासला
माल्टा के लिए 6 मीटर x 6 मीटर फासला प्रयोग करने की सिफारिश की गई है। नए पौधों की रोपाई के लिए गड्ढों का आकार 60x60x60 सैं.मी. होना चाहिए। गड्ढों में रोपाई के समय गली हुई रूड़ी की खाद 10 किलो और सिंगल सुपर फासफेट 500 ग्राम डालें।
बीज की गहराई
पौधों की रोपाई के लिए 60 x 60 x 60 सैं.मी. आकार के गड्ढे खोदने चाहिए।
बिजाई का ढंग
प्रजनन
जड़-तना: नींबू वर्गीय बीजों को नर्सरी बैडों 2x1 मीटर पर और कतार के बीच में 15 सैं.मी. के फासले पर बोयें| जब नए पौधों की ऊंचाई 10-12 सैं.मी. हो, तो रोपाई करनी चाहिए| रोपण के लिए, तंदरुस्त और बराबर आकार के पौधों का प्रयोग करें| छोटे और कमज़ोर पौधों को निकाल दें| यदि आवश्यक हो, रोपण से पहले जड़ों की हल्की कटाई करें| नर्सरी में, जब पौधा पेंसिल की तरह मोटा हो तो बडिंग करें| इसके लिए शील्ड बडिंग या टी आकार की बडिंग की जाती है। ज़मीनी स्तर से 15-20 सैं.मी. के फासले पर वृक्ष की छाल में टी आकार का छेद बनाया जाता है। लेटवें आकार में 1.5-2 सैं.मी. का लंबा कट लगाया जाता है और वर्टीकल में लेटवें आकार के मध्य में से 2.5 सैं.मी. लंबा कट लगाएं। बड स्टिक में से बड निकाल लें और टी आकार के छेद में उसे लगा दें। उसके बाद उसे प्लास्टिक के पेपर से लपेट दें।
टी बडिंग फरवरी मार्च के दौरान और अगस्त-सितंबर में भी की जाती है। मीठे संतरे, किन्नू, अंगूर फलों में प्रजनन टी बडिंग द्वारा किया जाता है। जबकि कागज़ी नींबू और नींबू में प्रजनन एयर लेयरिंग विधि द्वारा किया जाता है।