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आम जानकारी

हनी एक वार्षिक जड़ी बूटी है जिसका कद 80-120 सैं.मी. होता है इसे कन्नड़ में मधुगीड़ा भी कहा जाता है। यह एपियासी फैमिली से संबंध रखता है। यह आमतौर पर दवाइयां बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें एक्ज़ैंथोटोक्सिन पदार्थ पाया जाता है जो कि विटीलगो जैसी चमड़ी की बीमारियों के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। इसकी होंद मिस्र देश में हुई थी और भारत में पहली बार इसकी शुरूआत 1955 में हुई थी। इसकी खेती हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, तामिलनाडू और कर्नाटक में सफलतापूर्वक की जाती है।

जलवायु

  • Season

    Temperature

    28-32°C
  • Season

    Rainfall

    50-75mm
  • Season

    Sowing Temperature

    28-32°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    30-32°C
  • Season

    Temperature

    28-32°C
  • Season

    Rainfall

    50-75mm
  • Season

    Sowing Temperature

    28-32°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    30-32°C

मिट्टी

इसे कईं तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है पर अच्छी पैदावार के लिए  अच्छे निकास वाली रेतली से चिकनी मिट्टी में उगाया जा सकता है।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

Local: इस किस्म का औसतन कद 150 सैं.मी. होता है और पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं। यह किस्म बिजाई से 180-185 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके फूलों में रस की मात्रा काफी होती है। जो कि शहद  की मक्खियों को अपनी और आकर्षित करता है।

ज़मीन की तैयारी

नर्सरी सितंबर के महीने में तैयार की जाती है। नर्सरी तैयार करने के लिए 15 गाड़ी गाय के गोबर की प्रति एकड़ मिलायें। 8x1.25 मीटर आकर के सुविधाजनक बैड बनाएं। एक एकड़ बिजाई के लिए लगभग 8 बैडों की जरूरत होती है। हर बैड के आस पास पानी के निकास के साधन जैसे सिंचाई के साधन लगाएं। हर बैड की मिट्टी में 80 ग्राम यूरिया और 150 ग्राम सिंगल सुपर फासफेट डालें। हर बैड के 50 ग्राम बीज बोयें और उन्हें गली सड़ी रूड़ी की खाद से ढक दें। बिजाई के 60-70 दिनों में पनीरी तैयार हो जाती है ।

बिजाई

बिजाई का समय
हनी के पौधे की नर्सरी तैयार करने के लिए सितंबर का महीना सही माना जाता है।
 
फासला
पनीरी लगाने के लिए कतार से कतार में 60 सैं.मी. रखें और पौधे से पौधे में फासला 30 सैं.मी. रखें।
 
बीज की गहराई
बीज की गहराई 2-3 सैं.मी. होनी चाहिए।
 
बिजाई का ढंग
हनी के पौधों को सीधे तौर पर बीजों के द्वारा बीज कर या पहले नर्सरी तैयार करके फिर बिजाई के 60-70 दिन बाद इसकी पनीरी लगाई जाती है।

बीज

बीज की मात्रा
एक एकड़ में रोपाई के लिए 400 ग्राम बीजों की आवश्यकता होती है।

खाद

खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)

UREA SSP MURIATE OF POTASH
55 Apply if deficiency observed Apply if deficiency observed

 

तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)

NITROGEN PHOSPHORUS POTASH
25 - -

 

नाइट्रोजन 25 किलो (55 किलो यूरिया) को 2 या 3 हिस्से (बिजाई के समय, बिजाई के 30 दिन बाद और फूल आने के समय) में बांटकर मिट्टी की बनतर के अनुसार डालें।

 

 

खरपतवार नियंत्रण

खेत को नदीन मुक्त रखने के लिए 2-3 गोडाई की जरूरत होती है।

सिंचाई

शुरूआती समय में तुरंत हल्की और लगातार सिंचाई करें। यह पौधों को स्थापित होने में मदद करती है।

फसल की कटाई

फसल मई के पहले सप्ताह में तैयार हो जाती है। कटाई का सही समय तब होता है जब फूलों के ऊपरी भाग का रंग हरे से हल्का पीला हो जाता है। इसकी कटाई सही समय पर करनी चाहिए। यदि कटाई देरी से की जाये तो इससे फूलों के झड़ने का डर रहता है। कटाई सुबह के समय करें। बीज की पैदावार 4-5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।