आम जानकारी
इसके सफेद रंग के पंख और हल्के पीले रंग के अंडे होते हैं इसका औसतन भार 155-165 ग्राम होता है। इसके अंडों का वार्षिक उत्पादन 215 अंडे होते हैं और एक अंडे का औसतन भार 10 ग्राम होता है।
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इसके सफेद रंग के पंख और हल्के पीले रंग के अंडे होते हैं इसका औसतन भार 155-165 ग्राम होता है। इसके अंडों का वार्षिक उत्पादन 215 अंडे होते हैं और एक अंडे का औसतन भार 10 ग्राम होता है।
शुरूआती फीड : शुरूआती बटेर जैसे 1 से 3 सप्ताह की बटेर को फीड में ज्यादा प्रोटीन की आवश्यकता होती है। ब्रॉयलर बटेर के बच्चे को उनकी फीड में 23 प्रतिशत प्रोटीन, 1 प्रतिशत कैल्शियम, 0.5 प्रतिशत मैथियोनाईन और 0.5 प्रतिशत फास्फोरस की आवश्यकता होती है और लेयर बटेर के बच्चे को उनकी फीड में 24 प्रतिशत प्रोटीन, 0.85 प्रतिशत कैलशियम, 0.5 प्रतिशत मैथियोनाईन और 0.6 प्रतिशत फास्फोरस की आवश्यकता होती है। 1-3 सप्ताह के बच्चे को प्रति दिन 3.8-9.8 ग्राम फीड की आवश्यकता होती है और बढ़ने वाले बच्चे को प्रतिदिन 14-18 ग्राम फीड की आवश्यकता होती है और 7 सप्ताह के बच्चे को 20 ग्राम फीड की प्रतिदिन आवश्यकता होती है।
नियमित फीड : पौष्टिक भोजन बटेर के स्वास्थ्य, वृद्धि और बटेर के पूरे उत्पादन में महत्तवपूर्ण भूमिका निभाता है। एक युवा बटेर द्वारा प्रतिदिन मुख्यत: 30 ग्राम फीड खायी जाती है। शिशु बटेर को आमतौर पर 27 प्रतिशत प्रोटीन की आवश्यकता होती है और एक प्रौढ़ बटेर को 22-24 प्रतिशत फीड की आवश्यकता होती है।
फीड के अंश : यह बटेर को खिलाने के लिए बहुत आसान है। बटेर को खाने के लिए केक, स्वीट कॉर्न, पास्ता, चावल, और लेट्स आदि के मिश्रण की आवश्यकता होती है। अन्य फीड सामग्री जैसे मक्की, ज्वार, मूंगफली केक, डीऑयल्ड चावल का चोकर, मूंगफली का केक, फिशमील, खनिज मिश्रण, शैल ग्रिट, सोया मील आदि है।
पानी : स्वस्थ और पोष्टिक भोजन के साथ हर बार उन्हें स्वच्छ और ताजा पानी देना सुनिश्चित करें।
शैल्टर और देखभाल : सबसे पहले बटेर के रहने के लिए उपयुक्त स्थान तैयार करें। कम से कम 1 वर्गाकार फुट जगह होनी जरूरी है। वहां का औसतन तापमान 15-20 डिगरी सेल्सियस होना चाहिए और नमी 40-70 प्रतिशत होनी चाहिए। कमरा अच्छी तरह से हवादार, धूल रहित और अलग होना चाहिए। आश्रय के प्रबंधन के दो तरीके हैं।
डीप लिट्टर सिस्टम : बटेर को अपेक्षाकृत एक छोटे फर्श वाले स्थान की आवश्यकता होती है। इस सिस्टम में, 4-6 पक्षी प्रति वर्ग फुट में पाले जा सकते हैं। 2 सप्ताह के बाद उन्हें पिंजरे में डाला जा सकता है।
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