Pusa Kasuri: इस किस्म के पौधे का कद मध्यम होता है। इसकी 2-3 कटाई की जा सकती है। इसकी औसतन पैदावार 37.5-42 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 50-60 दिनों में तैयार हो जाती है।
Kasuri Methi: यह किस्म फैलने वाली होती हैं। इसके पत्ते नर्म और अधिक सुगंधित होते हैं। यह छोटे बीजों वाली किस्म है। इसके पत्तों को सुखाने के बाद मसाले के तौर पर प्रयोग किया जाता है। इसकी औसतन पैदावार 25-32 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
IC-74: इसका पौधा सीधा होता है। पत्ते नर्म होते हैं और बीजों का आकार बड़ा होता है। इसके बीजों को कूटकर मसाले के तौर पर प्रयोग किया जाता है। इसके हरे पत्तों की औसतन पैदावार 32-42 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Hissar Sonali: यह लंबी और झाड़ियों वाली किस्म है और सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इसकी औसतन पैदावार 680 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह 140-155 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
Hisar Suvarna: यह तेजी से उगने वाली और लंबी किस्म है। यह मध्यम समय की किस्म है। यह 130-140 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 640 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Hisar Madhavi: यह तेजी से उगने वाली और लंबी किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 760 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Hisar Mukta: यह तेजी से उगने वाली और मध्य मौसम की किस्म है। यह पत्तों पर सफेद धब्बे और पत्तों के निचले धब्बों की प्रतिरोधक किस्म है।
Pant Ragini: इसकी औसतन पैदावार 480 किलो प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 170-175 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
दूसरे राज्यों की किस्में
ML 150: इसके पौधे के पत्ते गहरे हरे और अधिक मात्रा में फलियां होती हैं। इसके बीज चमकदार, पीले और मोटे होते हैं। इसे चारे के तौर पर भी प्रयोग किया जाता है। इसकी औसतन पैदावार 6.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
PRM 45 (Pratap Raj Methi): यह किस्म महाराणा प्रताप ऑफ एग्रीकल्चर और टैक्नोलोजी द्वारा विकसित की गई है। यह रेतली दोमट से भारी मिट्टी में उगाने पर अच्छे परिणाम देती है। यह गर्दन तोड़ के प्रतिरोधक किस्म है।
Rmt-1: यह राजस्थान एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित की गई है। यह अन्य किस्मों से 4-8 क्विंटल प्रति एकड़ अधिक उपज देती है।
अन्य व्यापारिक किस्में Kasuri, Methi No 47, CO 1, Hissar Sonali, Methi no 14. Pusa early bunching, Rajendra Kranti
HM 219: यह अधिक उपज देने वाली किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 8-9 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह पत्तों के सफेद धब्बे रोग की प्रतिरोधक है।