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आम जानकारी

अनानास को फलों की रानी कहा जाता है। इसका मूल स्थान ब्राज़ील है यह विटामिन सी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटाशियम और आयरन का उच्च स्त्रोत है। यह विटामिन ए और विटामिन बी का भी अच्छा स्त्रोत है। अनानास में उत्तम स्वाद और अच्छा आकार होता है। फिलिपिन्स और ताईवान में इसके पत्तों से निकले सिल्की रेशे का प्रयोग फैब्रिक- पाइना कपड़ा बनाने के लिए किया जाता है। इसके पौधे और फलों का प्रयोग पशुओं के चारे के लिए किया जाता है। भारत अनानास का पांचवा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत में आसाम, मेघालय, त्रिपुरा, मिज़ोरम, पश्चिमी बंगाल, केरला, कर्नाटक और गोवा मुख्य अनानास उगाने वाले राज्य हैं। गुजरात, महाराष्ट्र, तामिलनाडू, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, बिहार और उत्तर प्रदेश में इसकी खेती छोटे स्तर पर की जाती है।

जलवायु

  • Season

    Rainfall

    22-30°C

मिट्टी

इसे भारी चिकनी मिट्टी को छोड़कर सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है लेकिन यह रेतली दोमट मिट्टी में उगाने पर अच्छे परिणाम देती है। 45-60 सैं.मी. की गहराई वाली मिट्टी की परत के नीचे पत्थर वाली ज़मीन पर इसकी खेती ना करें। मिट्टी की पी एच 5-6 होनी चाहिए। जब इसे भारी मिट्टी में उगाया जाता है तब फल का आकार बड़ा होता है लेकिन हल्की मिट्टी में उगाने पर फल का स्वाद उत्तम होता है।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

Kew: यह व्यापारिक किस्म है और डिब्बों में पैक करने के लिए उत्तम है। इस किस्म के फल का आकार बड़ा 1.5-2.5 किलो और अंडाकार होता है। फल रसदार, हल्के पीले रंग का और लगभग फाइबर रहित होता है।
 
Giant Kew: इस किस्म के सभी गुण Kew किस्म के समान होते हैं सिर्फ इसके फल का आकार Kew किस्म के फल से बड़ा होता है।
 
Queen: इस किस्म के फल उच्च पीले रंग के होते हैं जिनका गद्दा सुनहरी पीले रंग का होता है। फल Kew किस्म से कम रसदार, कुरकुरे और स्वाद होते हैं। इनकी आंखे छोटी और गहरी होती हैं।
 
Mauritious: यह मध्य मौसम की किस्म है, जिसके फल मध्यम आकार के होते हैं। इसके फल गहरे पीले और लाल रंग के होते हैं। फल पीले रंग के मध्यम, अंडाकार, रेशेदार और लाल फल से मीठे होते हैं।
 
Jaldhup and Lakhat: इस किस्म के फलों का नाम इसके मूल स्थान पर रखा गया है। इसके फल Queen किस्म से छोटे होते हैं।
 
Lakhat: इस किस्म के फल स्वाद में खट्टे होते हैं। जबकि Jaldhup किस्म के फल Lakhat किस्म से अम्ल के अच्छे मिश्रण के साथ मीठे होते हैं।
 

ज़मीन की तैयारी

खेत की जोताई करके खेत को समतल करें। ज़मीन की प्रकृति के आधार पर आवश्यक लंबाई के साथ 90 सैं.मी. चौड़ी और 15-30 सैं.मी. गहरी खालियां तैयार करें|

बिजाई

बिजाई का समय
अनानास की खेती के लिए उपयुक्त समय खरीफ का मौसम या मॉनसून के शुरू होने पर है। अनानास की रोपाई का समय स्थान के अनुसार विभिन्न होता है। फूल निकलने से 12-15 महीने पहले रोपाई की जानी चाहिए जो कि विभिन्न क्षेत्रों में दिसंबर से मार्च तक विभिन्न होता है।
 
फासला
उपउष्णकटिबंधीय और अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में पौधे से पौधे में 22.5 सैं.मी.x कतार से कतार में 60 सैं.मी. x खालियों से खालियों में 75 सैं.मी. फासले का प्रयोग करें। जबकि गर्म और नमी वाले हालातों मं 25x60x90 सैं.मी. फासले का प्रयोग करें। बारानी और पहाड़ी क्षेत्रों में रोपाई के लिए कम फासले का प्रयोग करें।
 
बीज की गहराई
पौधे की महीन जड़ को 10-15 सैं.मी. गहरे खड्ढे में बोयें।
 
बिजाई का ढंग
मुख्य खेत में पौधे की महीन जड़ की रोपाई की जाती हैं
 
रोपाई का ढंग
भूमि और बारिश के पैटर्न के अनुसार रोपाई के विभिन्न ढंगों जैसे समतल बैड, खालियों, कोंटूर और मुख्य खेत में जड़ की रोपाई के लिए गड्ढों का प्रयोग आदि प्रयोग किए जाते हैं। ढलानों में मिट्टी के अपरदन की जांच के लिए कोंटूर ढंग रोपाई के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
 

बीज

बीज की मात्रा
जब 22.5x60x75 सैं.मी. फासले का प्रयोग किया जाता है तो लगभग 25360 पौधे प्रति एकड़ में लगाए जाते हैं। जबकि 21320 पौधों के लिए 22.5x60x90 सैं.मी. के फासले का प्रयोग किया जाता है। बारानी और पहाड़ी क्षेत्रों में कम घनता के साथ 17400 पौधे प्रति एकड़ में लगाए जाते हैं।
 
बीज का उपचार
रोपाई से पहले जड़ के भाग को डाइथोन एम 45 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में डुबोयें। यह पौधे में कली के गलने को रोकेगा या मैनकोजेब3 ग्राम या कार्बेनडाज़िम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में जड़ के भाग को डुबोयें।
 

खरपतवार नियंत्रण

नदीनों की प्रभावी जांच के लिए मलचिंग उत्तम तरीका है। विभिन्न रिसर्चों के मुताबिक काली पॉलीथीन + लकड़ी का बुरादा, सफेद पॉलीथीन और धान की पराली से ज्यादा पौधे की अच्छी वृद्धि करता है। नदीनों की रासायनिक रोकथाम के लिए ड्यूरॉन 1.2 किलो या ब्रोमासिल+ ड्यूरॉन 0.8 किलो का मिश्रण नदीनों के अंकुरण से पहले नदीन नाशक के तौर पर डालें। नदीननाशक की दूसरी मात्रा पहली मात्रा के पांच महीने बाद डालें। दूसरी मात्रा डालने के समय नदीननाशक की मात्रा कम कर दें।
 
मिट्टी चढ़ाना : यह अनानास की खेती के लिए आवश्यक प्रक्रिया है। इससे फसल का गर्दन तोड़ से बचाव होता है। भारी बारिश वाले क्षेत्रों में समतल बैड रोपाई के तहत गर्दन तोड़ के कारण फलों का अनावश्यक विकास होता है और फलों का पकना भी अधिक होता है।
 

खाद

तत्व (ग्राम प्रति पौधा)

NITROGEN
PHOSPHORUS POTASH
12 4

12

 

नाइट्रोजन और पोटाश 12 ग्राम को प्रति पौधे में डालें। यदि आवश्यकता हो तो फासफोरस 4 ग्राम प्रति पौधे में डालें। नाइट्रोजन को 6 भागों में बांटकर डालें।
 
नाइट्रोजन की पहली मात्रा रोपाई के दो महीने बाद डालें। उसके बाद नाइट्रोजन को दो महीने के अंतराल पर डालें। फासफोरस की पूरी मात्रा और पोटाश की आधी मात्रा रोपाई के समय डालें। बाकी बची पोटाश को रोपाई के 6 महीने बाद डालें। बारानी हालातों में मिट्टी में पर्याप्त नमी मौजूद होने पर खादों की मात्रा डालें। 
 
यदि अनानास में फूल सही समय पर ना निकलें तो NAA@ 100-200 पी पी एम को पौधे के मध्य में अच्छे और एकसमान फूलों के लिए डालें। अच्छे फूल निकलने के लिए इथ्रेल @25ppm के साथ यूरिया 20 ग्राम और सोडियम कार्बोनेट 0.4 ग्राम को प्रति पौधे में डालें। इस मिश्रण को पौधे पर 35-40 पत्तियां निकलने पर और साफ धूप के दिनों में डालें।
 
NAA@ 200-300 पी पी एम को फल बनने के दो से तीन महीने बाद डालें। इससे फलों को आकार 15-20 प्रतिशत बढ़ता है।
 
 आयरन, जिंक और कॉपर की कमी अनानास में आम पायी जाती है। इस कमी को पूरा करने के लिए फेरस सल्फेट 3 प्रतिशत 30 ग्राम, जिंक सल्फेट 1 प्रतिशत 10 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर फोलियर स्प्रे करें।
कॉपर की कमी को पूरा करने के लिए कॉपर सल्फेट 1.5-2.0 प्रतिशत, 30-50 मि.ली. को प्रति पौधे में छिड़कें।
 

 

सिंचाई

बारानी फसल होने के कारण अनानास को आमतौर पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। यदि जरूरत पड़े तो सूखे मौसम में 4-6 सिंचाई 20-25 दिनों के अंतराल पर करें।

पौधे की देखभाल

  • हानिकारक कीट और रोकथाम 
मिली बग और स्केल कीट को छोड़कर कोई मुख्य कीट अनानास में नहीं पाया जाता।
 
इनकी प्रभावी रोकथाम के लिए प्रतिरोधक किस्मों का प्रयोग करें। रोपाई से पहले जड़ के आधार वाले भाग को मैलाथियोन 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में डुबोयें या डाइमैथोएट 2 मि.ली या मिथाइल डेमेटन 1.5 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
 
  • बीमारियां और रोकथाम
बेढंगे धब्बे : रोपाई के लिए सेहतमंद और बीमारी रहित जड़ों का प्रयोग करें। पानी के निकास का उचित प्रबंध करें और खेत में पानी ना खड़ा होने दें।
 
पत्तों और फलों का गलना : बिजाई से पहले डाइथेन Z-78 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में जड़ों को डुबोयें। यदि खेत में इसका हमला दिखे तो इस घोल की स्प्रे करें। कॉपर युक्त फंगसनाशी का प्रयोग ना करें।
 
थालीवीप्सिस का गलना : तने और गुद्दे की त्वचा गहरी होनी शुरू हो जाती है। गुद्दा नर्म हो जाता है और दबाव देने पर आसानी से टूट जाता है। बिजाई से पहले बॉर्डीऑक्स मिश्रण 10 ग्राम या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में जड़ को डुबोयें या मिट्टी के साथ इस घोल का छिड़काव करें।

फसल की कटाई

अनानास के पौधों में फूल निकलने के लिए रोपाई के बाद 10-12 महीने लगते हैं। फूल निकलने के बाद फल रोपाई के बाद 15-18 महीनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। डिब्बों में पैक करने के लिए फलों को आधार पर से हल्का सा रंग बदलने पर तुड़ाई करें। जबकि टेबल पर रखने के लिए फलों के सुनहरे पीले रंग में विकसित होने पर तुड़ाई करें। तुड़ाई के बाद फलों को क्रेट्स में रखें और छांव में छोड़ दें। तुड़ाई के बाद फसल को तीन से चार वर्ष तक मोढ़ी फसल के तौर पर लिया जा सकता है।

कटाई के बाद

फलों को 10-13 डिगरी सेल्सियस पर 20 दिनों के लिए स्टोर किया जा सकता है। अनानास को 8 डिगरी सेल्सियस के नीचे कभी स्टोर ना करें। इससे परिणामस्वरूप गुद्दा भूरे रंग का हो जाता है।