कटहल की फसल

आम जानकारी

कटहल को गरीबों का फल भी कहा जाता है। यह पश्चिमी घाट की मूल व्यापारिक फसल है। यह दक्षिणी एशिया का प्रमुख और मुख्य भोजन है। भारत में उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिमी बंगाल, आसाम, उड़ीसा, केरल और तामिलनाडू कटहल उगाने वाले मुख्य राज्य हैं। उत्तर प्रदेश में, इसकी नियमित खेती होती है। अन्य राज्यों में इसे मिश्रित फसल या छांव देने वाले वृक्ष के तौर पर उगाया जाता है। कटहल विटामिन और खनिजों का मुख्य स्त्रोत है। इसे सब्जी के रूप में और पके फल को खाने के तौर पर प्रयोग किया जाता है। विभिन्न उत्पाद जैसे जैम, नेक्टर, स्क्वैश आदि कटहल से तैयार किए जाते हैं। इसकी चिकित्सक विशेषताएं भी हैं जैसे इसे कैंसर और त्वचा के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है।

मिट्टी

इसकी खेती के लिए अच्छे निकास वाली, उच्च उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है। मिट्टी की पी एच 6-7.5 होनी चाहिए। यह चूना और क्लोरीन युक्त मिट्टी को भी सहनेयोग्य है। इसकी खेती के लिए नदी के नज़दीक वाली मिट्टी भी उपयुक्त होती है।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

GKVK -1 and Swarna: यह किस्म कर्नाटक राज्य द्वारा जारी की गई है। इसके फल उच्च गुणवत्ता के और गोंदरहित  होते हैं।
 
Singapore or Ceylon Jack: यह जल्दी फल देने वाली किस्म है। इसके फल मध्यम आकार के मीठे होते हैं और गुद्दा कुरकुरा होता है। इसका मादा प्रजनन अंग पीले रंग का, छोटा और गुठली से चिपका हुआ और तेज सुगंध वाला होता है।
 
Local variety: Gulabi, Champa, Rudrakshi
 
Exotic variety: Hazari, Golden nuggets, Black gold, Lemmon gold, Chala, Khaja, NS-1, J 30, J 31
 
दूसरे राज्यों की किस्में
 
TNJ -1, TNJ -2, TNJ - 3 and TNJ 4 : इस किस्म के फल उच्च गुणवत्ता वाले और कम फाइबर युक्त होते हैं।   
 
NJC, NJC-2, NJC 3:  इसके फल मध्यम आकार के और रसोई उद्देश्य के लिए उपयुक्त होते हैं।
 
Burliar 1, Palur -1, Peechiparai 1: यह किस्म TNAU, कोइंबेटोर द्वारा जारी की गई है।
 

बिजाई

बिजाई का समय
कटहल की बिजाई के लिए जुलाई  का महीना (मॉनसून के शुरू होने पर)उपयुक्त होता है। 
 
फासला
बिजाई के लिए, आयताकार या वर्गाकार बिजाई ढंग प्रयोग किया जाता है। कम उपजाऊ मिट्टी में षट्कोणीय प्रणाली का प्रयोग करें। मिट्टी के आधार पर 8x8 मीटर या 10x10 मीटर या 12x12 मीटर फासले का प्रयोग किया जाता है।
 
बिजाई का ढंग
बीजों को सीधे बो कर या मुख्य खेत में पनीरी लगाकर बिजाई की जाती है।
 

प्रजनन

बीजों के द्वारा प्रजनन
बिजाई के लिए ताजे बीजों या एक महीने से कम स्टोर किए बीजों का प्रयोग किया जाता है। बीजों को पहले पॉलीथीन बैग में बोया जाता है और फिर मुख्य खेत में रोपण किया जाता है।
 
बनस्पति भाग द्वारा प्रजनन
प्रजनन के लिए बडिंग, एयर लेयरिंग विधि आदि का प्रयोग किया जाता है। इसमें नर्म टहनी ग्राफ्टिंग प्रसिद्ध है।
 

बीज

बीज की मात्रा
जब 12x12 मीटर फासला लिया जाता है तो एक एकड़ में लगभग 30 पौधे लगाए जाते हैं।
 
बीज का उपचार
बिजाई से पहले बीजों को NAA 25 पी पी एम के घोल में 24 घंटे के लिए भिगो कर रखें। यह बीजों के जल्दी अंकुरण के साथ अच्छी वृद्धि में भी मदद करेगा।
 

खाद

तत्व (ग्राम प्रति वृक्ष)

Year NITROGEN PHOSPHORUS POTASH
1-3 years 200 60 -
4-6 years 400 240 120
7th year onwards 600 300 240

 

कटहल खादों में अच्छे परिणाम देता है। 1 से 3 वर्ष के पौधों मे नाइट्रोजन 200 ग्राम और फासफोरस 60 ग्राम प्रति वर्ष डालें।
चार से छ: वर्ष के पौधों के लिए नाइट्रोजन 400 ग्राम, फासफोरस 240 ग्राम और पोटाश 120 ग्राम प्रति वर्ष डालें।
 

 

कटाई और छंटाई

नियमित कटाई और छंटाई की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन फसल को कीटों और बीमारियों के हमले से बचाने के लिए कमज़ोर, बीमारी वाली और मरी हुई शाखाओं को बारिश के मौसम के अंत तक निकाल दें।

खरपतवार नियंत्रण

नदीनों की तीव्रता के आधार पर गोडाई करें। नदीनों के हमले से फसल को बचाने के लिए मल्च का प्रयोग करें। यह फसल की उचित वृद्धि में भी सहायता करेगा।
 
अंतरफसली : शुरूआती वर्षों के दौरान, जब फसल फल देने की अवस्था में पहुंच जाती है (वृक्ष 6-8 वर्ष में फल देना शुरू करता है) अंतरफसली जैसे मिर्च, बैंगन, और दालें जैसे लोबिया, कुलथी और काले चने को अंतरफसली के रूप में लिया जा सकता है। 
 

सिंचाई

बारिश के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। बारिश की नियमितता और तीव्रता के आधार पर सिंचाई करें। कटहल की फसल को शुरूआती 2-3 वर्षों में सिंचाई की आवश्यकता होती है। उसके बाद सिंचाई की कोई आवश्यकता नहीं होती। भारी बारिश में पानी खड़ा ना होने दें क्योंकि यह फसल जल जमाव की स्थिति को सहनेयोग्य नहीं है।

पौधे की देखभाल

जड़ को लगने वाली सूण्डी
  • हानिकारक कीट और रोकथाम
कली की भुंडी : ये कीट फूल की नर्म कलियों और फलों को अपना भोजन बनाती हैं। यदि इनका हमला दिखे तो प्रभावित टहनी, फूल की कलियां आदि को निकाल दें।
रोकथाम : इसे क्विनलफॉस 400 मि.ली. को 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करके रोका जा सकता है।
 
छाल का छेदक : ये कीट छाल में सुराख बनाते हैं।
इसके हमले को रोकने के लिए मरी हुई शाखाओं को निकाल दें क्योंकि ये इन पर अंडे देते हैं। छाल वाले भाग को साफ करें और रूई को कैरोसीन में भिगोकर इसमें लगाएं। उसके बाद सुराख को मिट्टी से ढक दें। इसके अलावा मिथाइल पैराथियोन 50 ई सी 500 मि.ली. को 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
 
शाख का छेदक और फल छेदक
शाख और फल छेदक : यह कटहल का मुख्य कीट है। इसके हमले के कारण नर्म फल गिर सकते हैं। यह उपज में 30 प्रतिशत कमी कर देता है।
कार्बरील 4 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर फूल निकलने के दौरान स्प्रे करें।
 
फल गलन या तना गलन
  • बीमारियां और रोकथाम
फल गलन या तना गलन : यह कटहल का एक गंभीर कीट है। यदि इसे नियंत्रित ना किया जाये तो यह 15 से 32 प्रतिशत तक नुकसान कर सकता है।
प्रभावित पत्तों और फलों को इकट्ठा करें और खेत से दूर ले जाकर नष्ट कर दें। यदि इसका हमला दिखे तो बॉर्डीऑक्स मिश्रण 1 प्रतिशत या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2.5 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
 
पत्तों पर धब्बा रोग : पत्तों पर हल्के भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। ज्यादा हमला होने पर पत्ते गिर भी जाते हैं।
यदि इसका हमला दिखे तो बॉर्डीऑक्स मिश्रण 100 ग्राम को 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
 

फसल की कटाई

फसल बिजाई के 7 वर्षों बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। कलम वाले पौधे 4 वर्ष में उपज देना शुरू करते हैं। फूल निकलने के बाद 3 से 8 महीने में फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। फल का हरे से हल्का पीला होने पर तुड़ाई के लिए उचित समय होता है। किस्म के आधार पर एक फल का भार 3 -15 किलो होता है। एक एकड़ से 20-32 टन औसतन उपज प्राप्त होती है।

कटाई के बाद

तुड़ाई के बाद, कटहल 3-5 दिनों में पूरी तरह पक जाते हैं। पूरे फल को स्टोर नहीं किया जाता बल्कि इसके छोटे टुकड़े करके कम तापमान पर स्टोर किया जाता है। पके फल को  तीन से छ: सप्ताह तक 11-12.5 डिगरी सैल्सियस और 85-95 प्रतिशत नमी पर स्टोर किया जा सकता है।