hybrid napier bajra grass.jpg

आम जानकारी

बाजरा को दानों और चारा के उद्देश्य से उगाया जाता है, परंतु नेपियर और हाथी घास की खेती चारा फसल के तौर पर की जाती है। नेपियर-बाजरा, बाजरा और हाथी घास के बीच संकरण है। यह हाइब्रिड पौधों की पैदावार में वृद्धि करता है| इस संकरण प्रजाति से अच्छे उत्पादन के साथ साथ अच्छी गुणवत्ता वाली खाद भी मिलती है। रोपाई के बाद, यह लगातार 2-3 वर्ष उपज देता है।

जलवायु

  • Season

    Temperature

    30°C
  • Season

    Rainfall

    30-60cm
  • Season

    Sowing Temperature

    30-32°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    20-25°C
  • Season

    Temperature

    30°C
  • Season

    Rainfall

    30-60cm
  • Season

    Sowing Temperature

    30-32°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    20-25°C
  • Season

    Temperature

    30°C
  • Season

    Rainfall

    30-60cm
  • Season

    Sowing Temperature

    30-32°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    20-25°C
  • Season

    Temperature

    30°C
  • Season

    Rainfall

    30-60cm
  • Season

    Sowing Temperature

    30-32°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    20-25°C

मिट्टी

इसे विभिन्न तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है, पर यह भारी मिट्टी, जिसमें पोषक तत्व उच्च मात्रा में हो, में उगाने पर अच्छे परिणाम देती है। यह खारेपन को भी सहनेयोग्य है। नेपियर बाजरा हाइब्रिड की खेती के लिए जल जमाव वाली मिट्टी से परहेज करें।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

Hybrid Napier 3 (Swetika): यह किस्म ठंड और कम तापमान को सहनेयोग्य है। इसकी हरे चारे की औसतन पैदावार 280 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
NB 21: यह किस्म पी ए यू लुधियाना द्वारा विकसित की गई है। यह तेजी से उगने वाली किस्म है और इसकी शाखाएं भी अधिक निकलती है।
 
NB-37: यह छोटे कद की किस्म है और उपउष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बिजाई के लिए उपयुक्त है। यह किस्म ठंड को सहनेयोग्य है। इसमें प्रोटीन की मात्रा 9-10 प्रतिशत और ऑक्सलेट की मात्रा 2-3 प्रतिशत होती है।
 
IGFRI-3 and IGFRI-6: इसकी औसतन पैदावार 36-64 टन प्रति एकड़ होती है।
 
IGFRI-7: इसकी हरे चारे की औसतन पैदावार 23-28 टन प्रति एकड़ होती है।
 
IGFRI-10: इसकी हरे चारे की औसतन पैदावार 25-29 टन प्रति एकड़ होती है।
 
Pusa Giant Napier: यह किस्म आई ए आर आई, नई दिल्ली द्वारा विकसित की गई है। इसकी हरे चारे की औसतन पैदावार 40-64 टन प्रति एकड़ होती है।
 
CO 2: इसकी हरे चारे की औसतन पैदावार 48-72 टन प्रति एकड़ होती है।
 
APBN 1: इसके पत्ते गहरे रंग के होते हैं और इसकी हरे चारे की औसतन पैदावार 80 टन प्रति एकड़ होती है।
 
दूसरे राज्यों की किस्में
 
CO 1, CO 3, Gajraj, NB-5, NB-6 and NB-35, BH 18
 

ज़मीन की तैयारी

मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए हल से जोताई करें और दो बार हैरो फेरें। जोताई के बाद सुहागे से मिट्टी को समतल करें। 60 सैं.मी. के फासले पर मेड़ और खालियां बनाएं।

खाद

खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)

UREA
SSP
MOP
45 150 35

 

तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)

NITROGEN PHOSPHORUS POTASH
20 24 21

 

खेत की तैयारी के समय, गाय का गला हुए गोबर 12 टन प्रति एकड़ में डालें। नाइट्रोजन 20 किलो (यूरिया 45 किलो), फासफोरस 24 किलो(सिंगल सुपर फासफेट 150 किलो) और पोटाश 21 किलो (म्यूरेट ऑफ पोटाश 35 किलो) प्रति एकड़ में डालें। प्रत्येक कटाई के बाद फिर से नाइट्रोजन की खुराक 20 किलो प्रति एकड़ में डालें| 

 

 

बीज

बीज की मात्रा
नेपियर बाजरा के बीज बहुत छोटे होते हैं, व्यापारक खेती के लिए इसका प्रजनन तने के भाग (दो-तीन गांठे) और जड़ के भाग (30 सैं.मी. लंबे) द्वारा किया जाता है। रोपाई के लिए 11000-14000 जड़ और तने के भागों का प्रयोग किया जाता है। अंतरफसली के हालातों में 6000-7000 तने के भागों की आवश्यकता होती है।
 

बिजाई

बिजाई का समय
बिजाई मार्च से सितंबर में की जा सकती है। लेकिन अच्छी उपज के लिए इसकी बिजाई का उपयुक्त समय मार्च या मॉनसून के शुरू होने पर है।
 
फासला
कतार से कतार में 60 सैं.मी. और पौधे से पौधे में 60 सैं.मी. फासले का प्रयोग करें। अंतरफसली की स्थितियों में 100 सैं.मी. x 50 सैं.मी. फासले का प्रयोग करें।
 
बीज की गहराई
तने के भाग को 7-8 सैं.मी की गहरी खालियों में बोयें।
 
बिजाई का ढंग
इसकी बिजाई तने और जड़ के भागों को सीधे बो कर की जाती है। गुलियों को गन्नों की तरह मिट्टी में बोया जाता है।
 

खरपतवार नियंत्रण

नदीनों की रोकथाम के लिए, फलियों वाली फसलों से अंतर फसली लगाएं। अंतर फसली से मिट्टी में पोषक तत्व बने रहते हैं, जिससे चारे में भी पोषक तत्व आते हैं जो कि पशुओं के लिए अच्छे होते हैं और नदीनों को रोकने में भी सहायक होते हैं।
दो से तीन गोडाई करें और खेत को नदीन मुक्त रखें। यदि नदीनों की समस्या गंभीर हो तो 2,4-डी 0.4 किलो प्रति एकड़ में डालें।
 

सिंचाई

बिजाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें, गर्मियों के महीने में या गर्म और शुष्क मौसम में 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।

फसल की कटाई

बिजाई के 50 दिनों के बाद कटाई की जाती है। पहली कटाई के बाद, दूसरी कटाई फसल के 1 मीटर ऊंची हो जाने पर करें। फसल को 2 मीटर से ज्यादा ऊंचा ना होने दें इससे चारे के पोषक तत्व कम हो जाते हैं। ऐसे चारे पाचन के लिए भारी होते हैं।