बत्तख की वाईट पेकिन नस्ल की खुराक

आम जानकारी

यह मीट उत्पादन  वाली नसल है और इसका मूल स्थान चीन है। इसके पंख बड़े आकार के सफेद, संतरी पीले रंग की चोंच, लाल पीले रंग के पंख  और पीले रंग के पैर होते हैं। इनके अंडों का रंग सफेद होता है लेकिन इन्हें इनके सबसे अच्छे मीट उत्पादन के लिए जाना जाता है। ये बुरी बैठने वाली, स्वभाव से घबरायी हुई होती है और इनसे धीरे से व्यवहार करना चाहिए।

चारा

बत्तख के बच्चों का भोजन : 3 सप्ताह के बच्चों के भोजन में चयापचय ऊर्जा की 2700 किलो कैलोरी और 20 प्रतिशत प्रोटीन शामिल होनी चाहिए। 3 सप्ताह की उम्र के बाद प्रोटीन का स्तर 18 प्रतिशत होना चाहिए। बत्तख को एक वर्ष में 50-60 किलो भोजन की आवश्यकता होती है। 1 दर्जन अंडों और 2 किलो ब्रॉयलर बत्तख का उत्पादन करने के लिए 3 किलो भोजन की आवश्यकता होती है। 
 
बत्तख का भोजन : बत्तखें अत्याधिक खाने की लालची होती हैं और दिखने में आकर्षित होती हैं। भोजन के साथ-साथ, ये ज़मीन के कीड़ों और पानी में मौजूद हरी सामग्री भी खाती हैं। जब बत्तखों को शैड में लाया जाता है, तब उन्हें गीला भोजन दिया जाता है क्योंकि उनके लिए सूखा भोजन खाना मुश्किल होता है। भोजन को 3 मि.मी. गोलियों में बदला जाता है जो कि बत्तखों को भोजन के रूप में देना आसान होता है।
 
अंडे देने वाले बत्तखों का भोजन : अंडे देने वाले बत्तखों को भोजन में 16-18 प्रतिशत प्रोटीन की आवश्यकता होती है। मुख्यत: एक अंडे देने वाली बत्तख भोजन का 6-8 औंस खाती है लेकिन भोजन की मात्रा, बत्तख की नसल पर आधारित होती है। पूरा समय बत्तख को साफ और ताजा पानी मुहैया करवाना चाहिए। अतिरिक्त आहार के तौर पर फल, सब्जियां, मक्की के दाने, छोटे कीट दिए जा सकते हैं। कोशिश करें कि भोजन के साथ हमेशा पानी दें, यह बत्तख को भोजन आसानी से उपभोग करने में मदद करेगा।
 

नस्ल की देख रेख

शैल्टर और देखभाल : इन्हें शैल्टर की जरूरत होती है जहां शांति हो और एकांत हो। यह अच्छी तरह से हवादार होना चाहिए और इसमें इतनी जगह होनी चाहिए कि बत्तख आसानी से अपने पंख फैला सके और अपनी देख रेख आसानी से कर सकें। बत्तख के बच्चों के लिए साफ और ताजा पानी हमेशा उपलब्ध होना जरूरी है। ताजे पानी के लिए पानी के फुव्वारों की सिफारिश की जाती है।
 
बत्तख के बच्चों की देखभाल : अंडे से बच्चे निकलने के बाद ब्रूडर की आवश्यकता होती है जिसमें 90 डिगरी फार्नाहाइट तापमान हो और फिर इस तापमान को हर रोज 5 डिगरी सेल्सियस कम किया जाता है। कुछ दिनों के बाद जब तापमान कमरे के तापमान जितना हो जाए, उसके बाद बच्चों को ब्रूडर से बाहर निकाला जाता है। बच्चों को समय के उचित अंतराल पर उचित भोजन देना जरूरी है और ब्रूडर में हमेशा साफ पानी उपलब्ध होना जरूरी है।
 
अंडे देने वाली बत्तखों की देखभाल : बत्तखों की अच्छी वृद्धि और अंडों के अच्छे उत्पादन के लिए बत्तखों की उचित देखभाल आवश्यक है। उचित समय पर मैश और चूरे को, भोजन में दें। अच्छी गुणवत्ता वाले अंडों के लिए भोजन में 18 प्रतिशत प्रोटीन की आवश्यकता होती है। मुख्यत: अंडे देने वाली बत्तख भोजन का 6-8 औंस खाती है।बत्तख या बत्तख के बच्चों को भोजन में ब्रैड ना दें।
 
सिफारिश किया गया टीकाकरण : समय के उचित अंतराल पर उचित टीकाकरण जरूरी है।
बत्तख के बच्चे जब 3-4 सप्ताह के हो जायें, तो उन्हें कोलेरा बीमारी से बचाने के लिए कोलेरा (पैसचुरेलोसिस) 1 मि.ली. का टीका लगवायें।
महामारी से बचाव के लिए 8-12 सप्ताह के बच्चों को बत्तख की महामारी का 1 मि.ली. का टीका लगवायें।
 

बीमारियां और रोकथाम

Duck virus hepatitis: यह बहुत ही संक्रामक बीमारी है जो कि हर्पस विषाणु के कारण होती है। यह मुख्यत: 1-28 दिन के बत्तख के बच्चों को होती है। इसके कारण आंतरिक ब्रीडिंग, गंभीर दस्त और अंतत: प्रभावित पक्षी की मृत्यु हो जाती है।
इलाज: इस बीमारी से संक्रमित होने पर इसका कोई इलाज नहीं है। इसकी रोकथाम के लिए प्रजनक बत्तख को डक हैपेटाइटिस का टीका लगवायें।
 
Duck plague (Duck Virus Enteritis): यह एक संक्रामक और अत्याधिक घातक रोग है। यह बीमारी प्रौढ़ और युवा दोनों बत्तखों में होती है। इसके लक्षण हैं आलस्य, हरे पीले रंग के दस्त और पंखों का झालरदार होना। इस बीमारी के कारण भोजन नली और आंतों पर धब्बे बन जाते हैं।
इलाज : डक प्लेग का इलाज करने के लिए एंटीन्यूटेड लाइव बत्तख वायरस एंटीसाइटिस का टीका लगवायें।
 
Salmonella: इस बीमारी के लक्षण हैं तनाव, आंखों का बंद होना, लंगड़ापन, पंखों का झालरदार होना आदि।
इलाज : साल्मोनेला बीमारी के इलाज के लिए अमोक्सीसिलिन का टीका लगवायें।
 
Aflatoxicosis: यह एक फंगस वाली बीमारी है। यह मुख्यत: उच्च नमी वाले दानों, जिनमें अल्फा टोक्सिन की मात्रा होती है का उपभोग करने के कारण होती है। इसके लक्षण हैं सुस्ती, वृद्धि का कम होना, पीलिया और प्रजनन शक्ति का कम होना है।
इलाज : भोजन में प्रोटीन, विटामिन की मात्रा और खनिज की मात्रा 1 प्रतिशत बढ़ा दें। अल्फाटॉक्सिकोसिस बीमारी के प्रभाव को जेंटियन वायलेट से भी कम किया जा सकता है।
 
Duck pox: इसके लक्षण वृद्धि का धीमा होना है। डक पॉक्स दो प्रकार का होता है गीला और सूखा प्रकार। सूखे पॉक्स में त्वचा पर मसे जैसे निशान पाये जाते हैं और ये दो सप्ताह में जख्म बन जाते हैं। गीले पॉक्स में चोंच के नज़दीक झुलसे हुए धब्बे दिखाई देते हैं।
इलाज : इस बीमारी से बचाव के लिए उपयुक्त टीकाकरण करवायें  या मच्छर भगाने वाले कीटनाशक की स्प्रे करें।
 
Riemerella anatipestifer infection: यह एक जीवाणु रोग है। इसके लक्षण हैं भार का कम होना, दस्त होना, जिसमें कई बार रक्त भी आता है, सिर हिलाना, गर्दन घुमाना और मृत्यु दर ज्यादा होना।
इलाज : इस बीमारी से बचाव के लिए एनरोफ्लोक्सएकिन, पैंसीलिन और सल्फोडायामैथोक्सिन- ओरमेटोप्रिम 0.04-0.08 प्रतिशत का टीका लगवायें।
 
Colibacillosis: यह एक आम संक्रमित बीमारी है जो E. coli के कारण होती है इसका मुख्य लक्षण बच्चों में कमी होना है।
इलाज : कोलीबेसीलोसिस बीमारी से बचाव के लिए भोजन में क्लोरोटेटरासाइलिन 0.04 प्रतिशत और सल्फाडिमैथोक्साइन 0.04-0.08 प्रतिशत दवाई दें।