आम जानकारी
कतला एक प्रसिद्ध और जल्दी बढ़ने वाली कार्प है। यह प्रकृति में गैर हिंसक होती है। यह ज्यादातर बांगलादेश की पदमा, मेघना और बरीगंगा नदियों में पायी जाती है। भारत में इसे भाकुरा के रूप में भी जाना जाता है। इसका शरीर चौड़ा, लंबा सिर, निचला होंठ समतल और मोटा, काला सलेटी रंग, किनारों पर से सिलवर रंग, हल्के गुलाबी रंग के चाने होते हैं। इसकी पीठ, पेट से अधिक बाहर की ओर होती है और पंख काले रंग के होते हैं। यह पानी की ऊपरी सतह से भोजन लेती है और इसके विकास के लिए किनारे और सतह की वनस्पति बहुत उपयोगी होती है। यह मॉनसून के मौसम के दौरान वर्ष में एक बार अंडे देती है। स्वादिष्ट भोजन और उच्च प्रोटीन सामग्री के कारण इसकी मांग अपेक्षाकृत अधिक होती है। इसे आसानी से साफ और गहरे पानी के टैंकों और तालाबों में पाला जा सकता है। इनकी वृद्धि टैंकों से ज्यादा धान के खेतों में होती है। यह एक वर्ष में 1.5 किलो से ज्यादा वजन बढ़ाती है। यह अपने शरीर के प्रति किलो भार के अनुसार 0.80-1.20 लाख तक अंडे देती है। इसे मरीगल और रोहू मछली के साथ समान अनुपात में पाला जाता है। इस नसल का प्रतिवर्ष औसतन उत्पादन 0.08 मिलियन प्रति एकड़ होता है। यह जल्दी बढ़ने वाली मछली है जो कि एक वर्ष में 1200—1400 ग्राम भार प्राप्त करती है। यह 25 —32 डिगरी सेल्सियस के तापमान पर अच्छे से बढ़ती है। तालाब से निकालने के वक्त कतला का भार 1.5—2.0 किलो होता है।