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आम जानकारी

बाजरा दुनिया में व्यापक तौर पर उगाया जाता है। यह फसल सूखे को सहन नहीं कर सकती, इसलिए ऐसे क्षेत्र में जहां थोड़ी बारिश होती हो वहां इस फसल की खेती हो सकती है। भारत बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक है। यह चारे के उदेश्य के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके तने का प्रयोग जानवरों के चारे के रूप में किया जाता है । भारत में बाजरे का उत्पादन करने वाले क्षेत्र पंजाब, राजस्थान, महांराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्रा प्रदेश और तमिलनाडु हैं।
 
साल 2002-03 में पंजाब में लगभग 0.8 हजार हेक्टेयर ज़मीन पर बाजरे की काश्त की गयी थी और इसकी औसतन उपज 3.9 क्विंटल प्रति एकड़ होती थी । बाजरे की कुल उपज 0.8 हजार टन है। पंजाब में बाजरा उत्पादन करने वाले प्रमुख क्षेत्र बठिंडा, फरीदकोट, फ़िरोज़पुर, मानसा, मोगा और संगरूर है।

जलवायु

  • Season

    TEMPERATURE

    20-30°C
  • Season

    RAINFALL

    45-60cm
  • Season

    TEMPERATURE

    20-30°C
  • Season

    RAINFALL

    45-60cm

मिट्टी

यह कई किस्म की मिट्टी में उगाया जा सकता है पर बढ़िया पानी जमाव वाली और रेतली मिट्टी वाली ज़मीन इसकी काश्त के लिए बढ़िया है।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

PHB 2884: यह एक हाइब्रिड किस्म है जिसकी लम्बाई 230 सेंटीमीटर, सिर 28 सेंटीमीटर लम्बा और व्यास 12 सेंटीमीटर होता है । इसके दाने दरमियानी गहरे और स्लेटी रंग के होते हैं। यह किस्म लगभग सभी बीमारियों को सहन कर सकती है। यह किस्म 28 दिनों में पकती है और औसतन 13.2 क्विंटल एकड़ उपज देती है। 

PHB 2168: यह एक हाइब्रिड किस्म है जिसकी लम्बाई 210 सेंटीमीटर होती है। यह किस्म 83 दिन में पक जाती है। इसका सिर/फुटाव 26 सेंटीमीटर लम्बा और 9 सेंटीमीटर चौड़ा होता है। इसके दाने दरमियानी घने और स्लेटी रंग के होते हैं। यह किस्म पत्ते के नीचे धब्बे की बीमारी को सहन करने के योग्य है। इसकी औसतन उपज 16.4 क्विंटल प्रति एकड़ है। 
 
PSB 164: पौधे की औसतन ऊंचाई 207 सेंटीमीटर होती है। इसका सिर अनाज से भरा होता है। इसका सिर/फुटाव 27-28 सेंटीमीटर लम्बा और 8-10 सेंटीमीटर चौड़ा होता है। इसके दाने दरमियानी घने और स्लेटी रंग के होते हैं। यह किस्म पत्ते के नीचे धब्बे की बीमारी के लिए प्रति रोधक है। यह किस्म 80 दिनों में पक्ति है और औसतन 15 क्विंटल/एकड़ उपज देती है ।
 
PHB 47: यह एक हाइब्रिड किस्म है, जिसके तने घने और पत्ते चौड़े होते हैं, जो आखिर तक हरे रहते हैं। इसकी ऊंचाई लगभग 2 मीटर होती है। इसका सिर 35 सेंटीमीटर लम्बा होता है यह किस्म 85 दिन में पकती है और इसके दाने घने और गहरे स्लेटी रंग के होते हैं। यह किस्म पत्ते के नीचे धब्बे की बीमारी के लिए प्रतिरोधक होने के साथ साथ (गोंदीय) रोग और कांगियारी रोधक भी है।
 
PHBF 1: यह किस्म साल 2009 में जाती की गई थी। यह किस्में बीमारी के प्रति सहनशील है इसके पौधे की ऊंचाई 198 सेंटीमीटर होती है और डंडी नरम होती है। यह किस्म औसतन 256 क्विंटल प्रति एकड़ उपज देती है।
 
FBC 16: यह किस्म साल 2003 में जारी की गई थी। इसके पौधे की ऊंचाई 235 सेंटीमीटर होती है। यह औसतन 230 क्विंटल प्रति एकड़ उपज देती है।

 

ज़मीन की तैयारी

बढ़िया उपज लेने के लिए अच्छी फसल की बिजाई अच्छी तरह तैयार की गई ज़मीन में की जानी चाहिए।मिट्टी को भुरभरा बनाने के लिए हल के साथ जोताई के बाद 2-3 बार फिर जोताई करें।

बिजाई

बिजाई का समय
कम बारिश वाले इलाके में बिजाई जुलाई के शुरू में की जानी चाहिए और अधिक बारिश वाले इलाके में बिजाई जुलाई के आखिरी हफ्ते में की जानी चाहिए।
 
फासला
लाइन से लाइन की दूरी 50cm और पौधे से पौधे की दूरी 15cm रखें।
 
बीज की गहराई 
2.5cm की गहराई पर बीज की बिजाई करें।
 
बिजाई का तरीका 
बिजाई के लिए डिब्लिंग या ड्रिल विधि का प्रयोग करें।
 

बीज

बीज की मात्रा

अच्छी किस्मों के लिए बिजाई के लिए 1.5 किलो प्रति एकड़ का प्रयोग करें। यदि बिजाई अच्छी तरह तैयार की ज़मीन में और एकसार की जाती है तो बिजाई की मात्रा 1 किलोग्राम तक कम हो सकती है।

 

बीज उपचार

गुंदिया रोग से बचाव के लिए बीजों को 20% नमक के घोल में पांच मिनट के लिए भिगो कर रखें पानी पर तैर रहे बीजों को निकाल दें। बाकी बीजों को साफ़ पानी के साथ धो लें।

खाद

खाद (किलो/एकड़)


यूरिया DAP याSSP  MOP
दोमट मिट्टी के लिए 90 55 or 150 -
रेतीली मिट्टी के लिए 55 27 or 75 -

 तत्व(किलो/एकड़)


नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाशियम
दोमट मिट्टी के लिए 40 24 -
रेतीली मिट्टी के लिए 25 12 -

 

दोमट मिट्टी के लिए, नाइट्रोजन @ 40 किलो/एकड़ (यूरिया @ 90 किलो/एकड़) और फास्फोरस @ 24 किलोग्राम/एकड़ (DAP 55 किलो/एकड़ या SSP 150 किलो/एकड़) का प्रयोग करें। रेतली मिट्टी के लिए नाइट्रोजन 25 किलो/एकड़ (यूरिया 55 किलो/एकड़) और फास्फोरस 12 किलो/एकड़ (DAP 27 किलो/एकड़ या SSP 75 किलोग्राम/एकड़) का प्रयोग करें।
 
नोट:
  • जिंक की कमी वाली ज़मीन में जिंक हेप्टा हाइब्रिड 21% @ 10 किलोग्राम प्रति एकड़ या जिंक सल्फेट मोनोह्यब्रीड 6.5 किलोग्राम/एकड़ में डालें।
  • जब मिट्टी की जाँच में कमी का पता चलता है तो पोटाश तत्व (एम औ पी) का प्रयोग करें।
  • जब DAP 27 किलोग्राम/एकड़ और 55 किलोग्राम प्रति एकड़ जोड़ा जाता है तो फिर यूरिया की मात्रा 10-10 किलोग्राम/एकड़ तक कम कर दें।

 

पौधे की देखभाल

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फसल की कटाई

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कटाई के बाद

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