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आम जानकारी

चकुंदर को "गार्डन बीट" भी कहा जाता है।  यह स्वाद में मीठा होता है। यह सेहत के लिए लाभदायक होता है जिसमे एंटीऑक्‍सीडेंट्स गुण होते हैं। गन्ने के बाद दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी और मीठी फसल चकुंदर है। यह कम समय वाली फसल है जिसकी कटाई 6-7 महीने में की जा सकती है। इसकी चिकित्सक क़द्रें कीमतें बहुत हैं बल्कि इसका प्रयोग कैंसर और दिल की बिमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। इसे आसानी से उगाया जा सकता है और यह भारत में उगने वाली 10 सब्जियों में शामिल है।

मिट्टी

रेतली चिकनी मिट्टी चकुंदर की खेती के लिए उत्तम है। यह अच्छी तरह निकास वाली मिट्टी, चिकनी मिट्टी और खारी मिट्टी में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

उनत्त किस्में: गर्म देशों में चकुंदर के हाइब्रिड औसतन 240-320 क्विंटल/एकड़ देते हैं और इसके रस में 13-15%  सुक्रोज़ सामग्री होती है।

 

ज़मीन की तैयारी

खेत में 3-4 बार हैरो से जोताई करें। बीज के अच्छे उत्पादन के लिए, ज़मीन को अच्छे से तैयार करें और उसमें उपयुक्त नमी बनाये रखें। आखिरी जोताई से पहले, ज़मीन को कुतरा सुंडी, दीमक और अन्य कीटों से बचाने के लिए क्विनलफॉस 250 मि.ली. प्रति एकड़ से ज़मीन का उपचार करें।

बिजाई

बिजाई का समय:

चकुंदर की बिजाई के लिए सबसे बढ़िया समय अक्तूबर से नवंबर के मध्य तक होता है।

फासला: 

बिजाई के लिए लाइनों से लाइनों की दूरी 45-50 सेंटीमीटर रखें। पौधे से पौधे की 15-20 सेंटीमीटर होनी चाहिए।

बिजाई के लिए गहराई:

बीज की 25 सेंटीमीटर गहराई पर बिजाई करें।

बिजाई का तरीका:

  • बिजाई के लिए गड्ढा खोद कर और हाथ से छिड़काव करने के तरीके का प्रयोग करें।

बीज

बीज की मात्रा:

एक एकड़ ज़मीन के लिए 40,000 पौधे इस्तेमाल करें। एक जगह पर एक ही पौधा लगाएं।

बीज का उपचार:

बीज का बिजाई से पहले कार्बेन्डाजिम 50 डब्लयू पी थीरम 2 ग्राम/किलो के साथ बीज का उपचार करें।

खाद

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सिंचाई

बिजाई के बाद ही सिंचाई की जानी चाहिए और फिर बिजाई के 2 हफ्ते बाद दूसरी सिचाई की जानी चाहिए। इसके बाद फरवरी के आखिर तक 3-4 हफ्ते के अंतराल और मार्च-अप्रैल महीने के दौरान 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की जरुरत होती है। फसल की कटाई से 2 हफ्ते पहले सिंचाई न करें।

पौधे की देखभाल

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  • हानिकारक कीट और रोकथाम:

सुंडी: यदि इसका हमला दिखे तो इसके बचाव के लिए डाइमैथोएट 30 ई सी 200 मि.ली. को प्रति एकड़ में डालें।

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भुंडी: यदि इसका हमला दिखे तो बचाव के लिए मिथाइल पैराथियॉन (2 प्रतिशत) 2.5 किलो को प्रति एकड़ में डालें।

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चेपा और तेला: यदि इसका हमला दिखे तो बचाव के लिए क्लोरपाइरीफॉस 20 ई सी 300 मि.ली. को प्रति एकड़ में डालें।

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  • बीमारियां और रोकथाम:

आल्टरनेरिया और सरकोस्पोरा पत्तों के धब्बा रोग: यदि इसका हमला दिखे तो इस बीमारी को दूर करने के लिए मैनकोजेब 400 ग्राम को 100-130 लीटर में डालकर स्प्रे करें।

फसल की कटाई

फसल की कटाई मध्य अप्रैल से मई के आखिर तक की जाती है। फसल की कटाई गन्ने की शुगरबीट हार्वेस्टर/पोटैटो डिगर/कल्टीवेटर और हाथ से खुदाई द्वारा की जाती है। कटाई के बाद 48 घंटे के अंदर प्रोसेसिंग की जानी चाहिए।