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बैल्टसविले समॉल वाईट

आम जानकारी

यह नसल मध्यम से बड़े आकार की होती है और इसका औसतन भार 8-15 पाउंड्स होता है। नर टर्की का भार लगभग 17 पाउंड्स और मादा टर्की का भार लगभग 10 पाउंड्स होता है। इनके अंडे बड़े आकार के और अंडों का रंग पीले क्रीमी से मध्यम भूरा  होता है और इन पर धब्बे होते हैं। पंख का बाहरी भाग सफेद रंग का, लाल से नीले सफेद रंग का सिर, काले रंग की दाढ़ी, हल्के सलेटी रंग की चोंच, गहरे भूरे रंग की आंखें और पंख का खड़ा भाग और पंजे गुलाबी सफेद रंग के होते हैं। अंडों का उत्पादन, अंडे सेने और प्रजनन शक्ति अधिकतम होती है। ये मीट उद्देश्य के लिए प्रयोग किए जाते हैं।

चारा

पानी : पोषक तत्वों की आवश्यकता के रूप में इन्हें ताजे और साफ पानी की आवश्यकता होती है। पोल्टरी फाउंटेन या ऑटोमैटिक पानी की युनिट पानी को साफ रखने में उपयोगी हैं। पानी का छलकाव ना करें। सर्दियों में पानी को जमने से बचाने के लिए पानी के हीटर का प्रयोग करें। 
 
बच्चों का खुराकी प्रबंध : टर्की के बच्चों को शुरू में मैश और क्रंबल्स शुरूआती भोजन के रूप में दिए जाते हैं जो कि उनकी वृद्धि और विकास के लिए अच्छे होते हैं। मैश में रोल्ड जई और कॉर्न मील समान अनुपात में शामिल होते हैं। छोटे बच्चे को 28 प्रतिशत से ज्यादा प्रोटीन की आवश्यकता नहीं होती। 10 पाउंड के बच्चे को आहार में 2 कप brewer’s yeast दें।
 
सामान्य आहार : टर्की को व्यापारिक फीड्स जैसे पशु बाय उत्पादों और एंटीबायोटिक दिए जाते हैं लेकिन यह फीड टर्की के लिए हानिकारक है इसलिए घर पर बनी फीड की सिफारिश की जाती है। शुरूआती टर्की को  अपनी फीड में 22-24 प्रतिशत प्रोटीन की आवश्यकता होती है।  वृद्धि करने वाली टर्की को, जब टर्की 5-8 सप्ताह की हो जाए उसे अपने आहार में 20 प्रतिशत प्रोटीन की आवश्यकता होती है और एक यूवा टर्की को अपने आहार में 16 प्रतिशत प्रोटीन की आवश्यकता होती है। कोशिश करें फीड को फीड कंटेनर में दें जो कि भारी और छोटा हो। कंटेनर भारी होना चाहिए ताकि टिपिंग कम ना हो और छोटा हो ताकि टर्की फीड पर खड़े ना हों, इससे फीड दूषित हो जाएगी।
 

नस्ल की देख रेख

रहन सहन की आवश्यकताएं : गैरेज और शैड बनाएं जो कि टर्की पालन के लिए सबसे अच्छा है। एक गैरेज लगभग 20-20 फुट का होना चाहिए इससे आपको गैरेज में आराम से चलने में आसानी होगी। फर्श चटाई से ढके होने चाहिए जो कि फिसलन प्रतिरोधी हों और शैल्टर भी जल रोधक और अच्छी तरह से हवादार होने चाहिए। शैल्टर को सप्ताह में एक बार साफ करना जरूरी है और गीले या गंदे बैडों को प्रतिदिन निकाल देना चाहिए। टर्की को परजीवी से बचाने के लिए फैंसिंग की जानी चाहिए जो कि 4-5 फुट ऊंची हो। फैंसिंग के लिए अकेले चिकन तार का प्रयोग ना करें क्योंकि यह जल्दी टूट जाती है।
 
टर्की के बच्चों की देखभाल : टर्की की अच्छी देखभाल के लिए उन्हें पोषक तत्वों और स्वस्थ भोजन और पानी की प्रचुर मात्रा की आवश्यकता होती है। टर्की के नए बच्चों को उचित देखभाल और इनक्यूबेटर की आवश्यकता होती है। अंडों को इनक्यूबेटर में रखा जाता है। पहले सप्ताह के लिए ब्रूडर का तापमान 95 डिगरी फार्नाहीट होना जरूरी है और प्रत्येक सप्ताह इसका तापमान 5 डिगरी फार्नाहीट कम करना जरूरी है। बच्चों को उचित फीड  उचित समय पर देनी चाहिए और ब्रूडर में ताजा पानी हर समय उपलब्ध होना चाहिए। इनक्यूबेटर से निकालने के दौरान बच्चों की संभाल बहुत सावधानी से की जानी चाहिए। इनक्यूबेटर से बच्चों को निकालने के बाद उन्हें ब्रूडर में रखा जाता है।
 
सिफारिश किया गया टीकाकरण : सिफरिश किए गए टीके टर्की को विभिन्न अवस्थाओं में दिए जाते हैं।
एक दिन के टर्की को न्यू कैस्टल बीमारी से बचाने के लिए New Castle disease-B1 strain का टीका लगवायें।
4-5 सप्ताह के टर्की को Fowl Pox का टीका लगवायें।
जब टर्की 6 सप्ताह का हो तो New Castle Disease-R2B strain का टीका लगवायें|
जब टर्की 8 से 10 सप्ताह के बीच हो तो उसे Cholera का टीका लगवायें।
 

बीमारियां और रोकथाम

Bumble foot:  यह बीमारी मुख्यत: पैर पर धफड़ी की उपस्थिति के कारण होती है।
इलाज : पैरों को Epsom salts में डुबोयें उसके बाद प्रभावित भाग को dilute Bitadine or Chlorhexidine से साफ करें और इसे sterile पानी से निकाल लें।
 
Blackhead: यह एक परजीवी बीमारी है जो कि Histomonas Meleagridis के कारण होती है। इसके लक्षण हैं सूजन आना, डायरिया, सुस्ती और अचानक मौत होना।
इलाज : इस बीमारी से बचाव के लिए Oregano (Viovit) दवाई का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है।
 
Lameness: यह बीमारी Mycoplasma संक्रमण के कारण होती है जो कि अंडों या हवा के द्वारा फैलती है। इसके लक्षण हैं जोड़ों में सूजन, छींकना और सुस्ती।
इलाज :  इस बीमारी से बचाव के लिए विभिन्न एंटीबायोटिक्स की सिफारिश की गई है।
 
Haemorrhagic Enteritis: यह बीमारी मुख्यत: Adenovirus के कारण होती है जो कि मुख्यत: 6-12 सप्ताह के युवा टर्की को प्रभावित करती है। इसके कारण डायरिया हो जाता है और यदि इलाज ना किया जाये तो मौत भी हो जाती है।
इलाज :  इस बीमारी से बचाव के लिए विभिन्न एंटीबायोटिक दी जाती है। शैड को डिटर्जेंट से धोकर इस बीमारी की रोकथाम की जा सकती है और उसके बाद सूखे शैड में कीटाणुनाशक जैसे TAD, CID या interkokask डालें।
 
Respiratory disease: यह एक विषाणु संक्रमण है जो Mycoplasma और Avian Rhino Tracheitis (ART). के कारण फैलता है। इसके लक्षण हैं मुंह का सूजन, छींक, आंखों में पानी और जोड़ों में सूजन होना आदि।
इलाज : हल्की परिस्थितियों में पक्षी इसे स्वंय भी ठीक कर लेते हैं लेकिन बड़ी परिस्थितियों में एंटीबायोटिक खुराक दी जाती है।
 
Coccidiosis: यह एक परजीवी बीमारी है जो कि टर्की के शरीर में दाखिल होती है और प्रजनन शुरू करती है। इसके लक्षण हैं पंखों का कुंठित होना, डायरिया और अचानक मौत हो जाना।
इलाज : इस बीमारी को रोकने के लिए anticoccidial एजेंट जैसे Amprolin or Baycox का प्रयोग किया जाता है।
 
Diarrhoea:  यह कई हानिकारक एजेंट जैसे बैक्टीरिया, वायरस और कोकसीडियोसिस के कारण होती है। इसके लक्षण है भार का कम होना और दस्त लगना आदि ।
इलाज :  डायरिया के इलाज के लिए एंटीबायोटिक थैरेपी दी जाती है।
 
Erysipelas: यह बीमारी बैक्टीरिया के कारण होती है जो मिट्टी में रहता है और जख्मों द्वारा टर्की के शरीर में प्रवेश करता है। इसके लक्षण हैं लंगड़ापन, अचानक मौत आदि।
इलाज : इस बीमारी से बचाव के लिए एंटीबायोटिक्स दी जाती है।