पंजाब में बाजरा उत्पादन

आम जानकारी

बाजरा को दानों और चारा उद्देश्य के लिए उगाया जाता है, परंतु नेपियर और हाथी घास की खेती चारा फसल के तौर पर की जाती है। नेपियर-बाजरा, बाजरा और हाथी घास के बीच संकरण है। यह हाइब्रिड पौधों की पैदावार में वृद्धि करता है| इस संकरण प्रजाति से अच्छे उत्पादन के साथ साथ अच्छी गुणवत्ता वाली खाद भी मिलती है। रोपाई के बाद, यह लगातार 2-3 वर्ष उपज दे सकता है|

जलवायु

  • Season

    Temperature

    30°C
  • Season

    Rainfall

    30-60 cm
  • Season

    Sowing Temperature

    30°C - 32°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    20-25 degree
  • Season

    Temperature

    30°C
  • Season

    Rainfall

    30-60 cm
  • Season

    Sowing Temperature

    30°C - 32°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    20-25 degree
  • Season

    Temperature

    30°C
  • Season

    Rainfall

    30-60 cm
  • Season

    Sowing Temperature

    30°C - 32°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    20-25 degree
  • Season

    Temperature

    30°C
  • Season

    Rainfall

    30-60 cm
  • Season

    Sowing Temperature

    30°C - 32°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    20-25 degree

मिट्टी

इसे विभिन्न तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है, पर यह भारी मिट्टी, जिसमें पोषक तत्व उच्च मात्रा में हो, में उगाने पर अच्छे परिणाम देती है। यह खारेपन को भी सहनेयोग्य है। नेपियर बाजरा हाइब्रिड की खेती के लिए जल जमाव वाली मिट्टी से परहेज करें।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

PNB 233: हाइब्रिड मुलायम और चौड़ी और लम्बे पत्तों वाली किस्म है|  इसकी औसतन पैदावार 1100 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।

PNB 83: यह जल्दी विकास करने वाली किस्म है और इस हाइब्रिड को फूल देरी से लगते है| इसकी हरे चारे की फसल की पैदावार 961 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।

PBN 346: इसकी औसतन उपज 715 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। इस किस्म के पौधे नर्म, लंबे और चौड़े पत्ते होते हैं।

दूसरे राज्यों की किस्में

CO 3, Pusa Giant Napier, Gajraj, NB-5, NB-6, NB 37 and NB-35

ज़मीन की तैयारी

मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए हल से जोताई करें और दो बार हैरो फेरें। जोताई के बाद तवियों से मिट्टी को समतल करें। 60 सैं.मी. के फासले पर मेड़ और खालियां बनाएं।

बिजाई

बिजाई का समय
सिंचित स्थितियों में, फरवरी से मई के आखिरी हफ्ते में रोपाई करें| बारानी क्षेत्रों में, जून से अगस्त में बिजाई की जाती है|

फासला
बढ़िया विकास और पैदावार के लिए 90x40 या 60x60  सैं.मी. का फासले की सिफारिश की जाती है|

बीज की गहराई
तने के भाग को 7-8 सैं.मी की गहरी खालियों में बोयें।

बिजाई का ढंग
इसकी बिजाई तने और जड़ के भागों को सीधे बो कर की जाती है।

बीज

बीज की मात्रा
नेपियर बाजरा के बीज बहुत छोटे होते हैं, व्यापारक खेती के लिए इसका प्रजनन तने के भाग (दो-तीन गांठे) और जड़ के भाग (30 सैं.मी. लंबे) द्वारा किया जाता है। रोपाई के लिए 11000 जड़ और तने के भागों का प्रयोग किया जाता है।

खाद

खादें(किलोग्राम प्रति एकड़)

UREA SSP MOP
70 240 -

 

तत्वें(किलोग्राम प्रति एकड़)

NITROGEN PHOSPHORUS POTASH
30 40 -

 

खेत की तैयारी के समय गाय का गला हुए गोबर 20 टन प्रति एकड़ में डालें। बिजाई के 15 दिन बाद,  नाइट्रोजन 30 किलो (यूरिया 70 किलो) प्रति एकड़ में डालें। प्रत्येक कटाई के बाद फिर से नाइट्रोजन की खुराक डालें| फासफोरस 40 किलो(सिंगल सुपर फासफेट 240 किलो) दो बराबर हिस्सों में डालें, पहली खुराक बसंत ऋतु और दूसरी मानसून के मौसम में डालें|

 

खरपतवार नियंत्रण

नदीनों की रोकथाम के लिए, फलियों वाली फसलों से अंतर फसली लगाएं। अंतरफसली से मिट्टी में, पोषक तत्व बने रहते हैं, जिससे चारे में भी पोषक तत्व आते हैं जो कि पशुओं के लिए अच्छे होते हैं।

सिंचाई

गर्म और शुष्क ऋतु में मौसम और मिट्टी के अनुसार सिंचाई करें|

फसल की कटाई

बिजाई के 50 दिनों के बाद कटाई की जाती है। पहली कटाई के बाद, दूसरी कटाई फसल के 1 मीटर ऊंची हो जाने पर करें। फसल को 2 मीटर से ज्यादा ऊंचा ना होने दें इससे चारे के पोषक तत्व कम हो जाते हैं। ऐसे चारे पाचन के लिए भारी होते हैं।

रेफरेन्स

1.Punjab Agricultural University Ludhiana

2.Department of Agriculture

3.Indian Agricultural Research Instittute, New Delhi

4.Indian Institute of Wheat and Barley Research

5.Ministry of Agriculture & Farmers Welfare