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आम जानकारी

अंजीर मोरेसी परिवार से संबंध रखता है। गर्मी का लंबा मौसम अंजीर की खेती के लिए अनुकूल है। इसे कंटेनरों में भी उगाया जा सकता है। अंजीर के फल कच्चे खाए जाते हैं, संभाल कर रखे जा सकते हैं और खाना पकाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इसे भारत में सामान्य/मामूली फल की फसल माना जाता है। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और तामिलनाडू अंजीर उत्पादन करने वाले बड़े राज्य हैं। यह सेहत के लिए काफी लाभदायक है। यह पाचन शक्ति को सुधारता है और कैंसर, दिल की बीमारियों और हाइपरटैंशन को रोकने में सहायता करता है। यह एंटीआक्सीडेंट से भरपूर होता है।

मिट्टी

इसे मिट्टी की कई किस्मों में उगाया जाता है। रेतली अच्छे निकास वाली मिट्टी अंजीर की खेती के लिए सबसे उत्तम है। 7—8 पी एच वाली मिट्टी अंजीर की खेती के लिए सर्वोत्तम है।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

Brown Turkey: यह मध्यम से बड़े आकार के होते हैं, गहरे रंग की और दरमियानी आकार की आंखों वाले होते हैं। फलों की ऊपरी सतह तने के अंत पर जामुनी भूरे रंग की और हल्की होती है। फल का अंदरूनी भाग/गुद्दा शानदार स्वाद के साथ गुलाबी भूरे रंग का होने के साथ साथ बेहद स्वाद होता है। इसके फल मई के आखिरी सप्ताह से लेकर जून के अंत तक पकते हैं। फलों की औसतन उपज 53 किलोग्राम प्रति वृक्ष होती है।

ज़मीन की तैयारी

पौधे के लिए गड्डा खोदते समय, गड्डों में 5 किलो गोबर की खाद डालें और फिर 20—25 किलो फास्फोरस और पोटाश की खाद डालें।

बिजाई

बिजाई का समय

इसकी बिजाई जनवरी के मध्य से लेकर फरवरी महीने के पहले पखवाड़े में की जा सकती है।

फासला

6x6 मीटर की दूरी रखें।

बिजाई का ढंग

बिजाई के लिए प्रजनन विधि का प्रयोग करें।

 

प्रजनन

मुख्य तौर पर प्रजनन कटिंग द्वारा किया जाता है। कम से कम 3—4 आंखों या कलियों में कटिंग 30—45 सेंमी. लंबी होनी चाहिए। कटिंग पिछले वर्ष के पौधे से ली जाती हैं।

बीज

बीज की मात्रा:

प्रति एकड़ रक्बे में बिजाई करने के लिए, 150 पौधे लगाए जा सकते हैं।

 

खाद

अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए, छोटे और बड़े अंजीर के वृक्षों में आवश्यकतानुसार पौष्टिक तत्व डालें। पौष्टिक तत्वों की जरूरत पौधे और मिट्टी की किस्म के अनुसार अलग होती है। वर्ष में नाइट्रोजन को दो हिस्सों में बांटकर डाला जा सकता है— पहले हिस्से को दो महीने बाद लागू किया जाता है, जब फल लगते हैं।

सिंचाई

अपनी कम गहरी जड़ प्रणाली के कारण अंजीर के वृक्ष आसानी से गर्म और शुष्क समय में रह सकते हैं। पकने के समय के दौरान आवश्यक नमी की सप्लाई फल को पकने में मदद करती है।

कटाई और छंटाई

अंजीर के वृक्ष की कटाई हमेशा नीचे से ऊपर की तरफ करनी चाहिए। बिजाई के 3—4 वर्ष पूरी की जाती है। अंजीर आमतौर पर मौजूदा मौसम की वृद्धि के समय पत्तों के केंद्र पर अलग तरह से फल देता है। सर्दियों में की कटाई वृक्ष की लकड़ी की नई वृद्धि और फसल को बढ़ाने में सहायता कर सकते हैं। बड़े वृक्षों को अच्छी फसल के लिए और नई लकड़ी के लिए लगभग हर तीन वर्ष बाद सर्दियों की कटाई की जरूरत हो सकती है। शाखाएं जो बीमार, टूटी हुई या ओवरलैपिंग /ढकी हों, उन्हें तोड़ देना चाहिए। बॉर्डीआक्स पेस्ट का प्रयोग कटे सिरे की रक्षा के लिए किया जाना चाहिए।

पौधे की देखभाल

कीट और उनका नियंत्रण

Leaf defoliators: ये कीट वृक्ष के पत्तों को खाकर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं।

नियंत्रण: इन कीटों के नियंत्रण के लिए क्विनलफॉस 400 मि.ली. को 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

 

तना छेदक: ये कीट अंजीर के वृक्ष के मुख्य तने में हमला करके प्रजनन करना शुरू कर देते हैं।

रोकथाम: तना छेदक से बचाव के लिए दानेदार फोरेट का केरोसीन या पेट्रोल के साथ छिड़काव करें।

अंजीर की मक्खी: यह उन फलों को प्रभावित करती है जो वृक्षों से नीचे नहीं गिरे होते।

रोकथाम: अंजीर की मक्खी की रोकथाम के लिए ट्राइज़ोफोस 300 मि.ली. को 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे की जाती है।

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फसल की कटाई

व्यापारिक तौर पर इसकी तुड़ाई तीसरे वर्ष में की जाती है। मुख्य तौर पर इसकी तुड़ाई फरवरी से मार्च और मई जून के आखिरी दिनों में की जाती है। इसकी तुड़ाई 2—3 अंतराल पर हाथों से की जाती है। पौधे की उम्र बढ़ने के साथ साथ इसकी उपज भी बढ़ती है। 8वें वर्ष से यह 18 किलो प्रति वृक्ष उपज देती है।