फैराओ बटेर की नस्ल

आम जानकारी

इसे Coturnix quail के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें रहने के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती। इसका औसतन भार 141-170 ग्राम होता है। इसका अंडा उत्पादन तब शुरू होता है, जब बटेर 7 सप्ताह की होती है।

चारा

शुरूआती फीड  : शुरूआती बटेर जैसे 1 से 3 सप्ताह की बटेर को फीड में ज्यादा प्रोटीन की आवश्यकता होती है। ब्रॉयलर बटेर के बच्चे को उनकी फीड में 23 प्रतिशत प्रोटीन, 1 प्रतिशत कैल्शियम, 0.5 प्रतिशत मैथियोनाईन और 0.5 प्रतिशत फास्फोरस की आवश्यकता होती है और लेयर बटेर के बच्चे को उनकी फीड में 24 प्रतिशत प्रोटीन, 0.85 प्रतिशत कैलशियम, 0.5 प्रतिशत मैथियोनाईन और 0.6 प्रतिशत फास्फोरस की आवश्यकता होती है। 1-3 सप्ताह के बच्चे को प्रति दिन 3.8-9.8 ग्राम फीड की आवश्यकता होती है और बढ़ने वाले बच्चे को प्रतिदिन 14-18 ग्राम फीड की आवश्यकता होती है और 7 सप्ताह के बच्चे को 20 ग्राम फीड की प्रतिदिन आवश्यकता होती है।

नियमित फीड : पौष्टिक भोजन बटेर के स्वास्थ्य, वृद्धि और बटेर के पूरे उत्पादन में महत्तवपूर्ण भूमिका निभाता है। एक युवा बटेर द्वारा प्रतिदिन मुख्यत: 30 ग्राम फीड खायी जाती है। शिशु बटेर को आमतौर पर 27 प्रतिशत प्रोटीन की आवश्यकता होती है और एक प्रौढ़ बटेर को 22-24 प्रतिशत फीड की आवश्यकता होती है।

फीड के अंश : यह बटेर को खिलाने के लिए बहुत आसान है। बटेर को खाने के लिए केक, स्वीट कॉर्न, पास्ता, चावल, और लेट्स आदि के मिश्रण की आवश्यकता होती है। अन्य फीड सामग्री जैसे मक्की, ज्वार, मूंगफली केक, डीऑयल्ड चावल का चोकर, मूंगफली का केक, फिशमील, खनिज मिश्रण, शैल ग्रिट, सोया मील आदि है।

पानी : स्वस्थ और पोष्टिक भोजन के साथ हर बार उन्हें स्वच्छ और ताजा पानी देना सुनिश्चित करें।

 

नस्ल की देख रेख

शैल्टर और देखभाल : सबसे पहले बटेर के रहने के लिए उपयुक्त स्थान तैयार करें। कम से कम 1 वर्गाकार फुट जगह होनी जरूरी है। वहां का औसतन तापमान 15-20 डिगरी सेल्सियस होना चाहिए और नमी 40-70 प्रतिशत होनी चाहिए। कमरा अच्छी तरह से हवादार, धूल रहित और अलग होना चाहिए। आश्रय के प्रबंधन के दो तरीके हैं।

डीप लिट्टर सिस्टम : बटेर को अपेक्षाकृत एक छोटे फर्श वाले स्थान की आवश्यकता होती है। इस सिस्टम में, 4-6 पक्षी प्रति वर्ग फुट में पाले जा सकते हैं। 2 सप्ताह के बाद उन्हें पिंजरे में डाला जा सकता है। 

पिंजरा सिस्टम : पिंजरे का आकार पहले दो सप्ताह के लिए 3 फुट x 2.5 फुट x 1.5 फुट होना चाहिए। इसमें लगभग 100 बटेर आ सकती हैं। 3-6 सप्ताह की बटेर के लिए पिंजरे का आकार 4 फुट x 2.5 फुट x 1.5 फुट होना चाहिए। इसमें लगभग  50 बटेर आ सकती हैं। प्रत्येक यूनिट 6 फीट लंबी ओर 1 फीट  चौड़ी होनी चाहिए, जिसे 6 सब-युनिट में विभाजित किया जा सके। पिंजरे लकड़ी की प्लेटों के साथ फिक्स होने चाहिए। फार्म में उचित वेंटिलेशन बहुत जरूरी है। जिस बर्तन में फीड दी जाती है, पिंजरे के सामने होना चाहिए।
पहले 3 महीने में बटेर के बच्चों की उचित देखभाल की जानी चाहिए, उस समय वे गंभीर होते हैं। 1 दिन के बच्चे का भार 7-8 ग्राम होता है। पहले 3 सप्ताह में लगभग 27 प्रतिशत प्रोटीन दें और बाद के 3 सप्ताह में लगभग 24 प्रतिशत प्रोटीन दें और 2800 किलो कैलोरी प्रति किलो की मोलीब्डेनम एनर्जी की आवश्यकता होती है।
 
अंडे देने वाली बटेरों की देखभाल : मादा बटेर मुख्यत: 7-22 सप्ताह की उम्र में अंडे देती है। यह मुख्यत: दिन में शाम के समय अंडे देती है। अंडे देने वाली बटेर के लिए 16 घंटे प्रकाश प्रति दिन होना चाहिए।
 
बटेर के बच्चों की देखभाल : मुख्यत: एक दिन के बच्चे का भार लगभग 8-10 ग्राम होता है। शिशु बटेर की देखभाल के लिए ज्यादा तापमान की आवश्यकता होती है। पहले सप्ताह के लिए ब्रूडर का तापमान 95 डिगरी फार्नाहीट होना जरूरी है और इसे हर हफ्ते 5 डिगरी फार्नाहीट कम करना जरूरी है। बच्चे को उचित फीड देनी चाहिए और हर समय ब्रूडर में साफ पानी उपलब्ध होना जरूरी है।
 

बीमारियां और रोकथाम

Coccidiosis: यह एक परजीवी बीमारी है जो कि Coccidian protozoa के कारण होती है। यह युवा जानवरों को ज्यादा प्रभावित करती है। यह बटेर की आंतों की दीवारों को नुकसान पहुंचाती है और उसके बाद उसकी मौत हो जाती है।
इलाज :  इस बीमारी को रोकने के लिए एक एंटीकोकसीडियाल एजेंट जैसे Amprolin या Baycox  दें।
 
Ulcerative enteritis: इसे ‘बटेर की बीमारी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह एक विषाणु रोग है। यह मुख्यत: गंदी परिस्थितियों में हमला करता है और तेजी से बटेरों को प्रभावित करता है। इसके लक्षण हैं सुस्ती, कम भोजन खाना, भार कम होना और फिर मौत हो जाना।
इलाज : Duramycin की खुराक तुरंत दें। एक गैलन पानी में एक बड़ा चम्मच देना आवश्यक है। 
 
Coryza: यह एक विषाणु संक्रमण है जो कि मुख्यत: बटेर से चिकन में फैलता है। इसके लक्षण हैं, सूजन आना, कठिन सांस लेना, आंखों में से गंध वाला डिस्चार्ज निकलना और नाक और पलकों का चिपचिपा होना।
इलाज : इस बीमारी से बचाव के लिए Sulfadimethoxine की खुराक दें। एक गैलन पानी में एक बड़ा चम्मच देना आवश्यक है।
 
Quail bronchitis: बटेरों में यह बीमारी मुख्यत: पक्षियों द्वारा फैलती है। इसके लक्षण हैं - सांस लेने में समस्या और खांसी होना।
इलाज : Tylan  की खुराक दें। एक गैलन पानी में एक बड़ा चम्मच देना आवश्यक है।
 
Equine Encephalitis: यह बीमारी मुख्यत: मच्छरों द्वारा फैलती है। इसके लक्षण हैं - गर्दन हिलाना, लीवर की समस्या होना और लकवा मार जाना।
इलाज : बटेर के आश्रित स्थान पर मच्छर repellant का प्रयोग करें।
 
MG (Mycoplasma Gallisepticum): इसे chronic respiratory disease (CRD) बीमारी के नाम से भी जाना जाता है, जो कि श्वास प्रणाली में विषाणु संक्रमण के कारण होती है।
इलाज  : Duramycin की खुराक दें। एक गैलन पानी में एक बड़ा चम्मच देना आवश्यक है।
 
Bumblefoot: यह बीमारी मुख्यत: पैर पर धफड़ी की मौजूदगी के कारण होती है।
इलाज :  पैर को Epsom salts में भिगोयें। उसके बाद प्रभावित भाग को dilute Bitadine या Chlorhexidine से साफ करें और उसके बाद  sterile पानी से निकाल दें।