पोपलर की सिंचाई

आम जानकारी

पोपलर एक पतझड़ी वृक्ष है और यह सैलिकेसी परिवार से संबंधित है। यह आदर्श जलवायु में जल्दी उगने वाला वृक्ष है। पोपलर की लकड़ी और छाल प्लाइवुड, बोर्ड और माचिस की तीलियां बनाने में प्रयोग की जाती हैं, खेल की वस्तुएं और पैन्सिल बनाने में भी इनका प्रयोग किया जाता है। भारत में यह पौधा 5-7 वर्षों में 85 फीट या उससे भी ऊपर की ऊंचाई तक बढ़ सकता है। भारत में हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, अरूणाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल मुख्य पोपलर उत्पादक राज्य हैं।

जलवायु

  • Season

    Temperature

    20-30°C
  • Season

    Sowing Temperature

    18-20°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    10-45°C
  • Season

    Rainfall

    750-800mm
  • Season

    Temperature

    20-30°C
  • Season

    Sowing Temperature

    18-20°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    10-45°C
  • Season

    Rainfall

    750-800mm
  • Season

    Temperature

    20-30°C
  • Season

    Sowing Temperature

    18-20°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    10-45°C
  • Season

    Rainfall

    750-800mm
  • Season

    Temperature

    20-30°C
  • Season

    Sowing Temperature

    18-20°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    10-45°C
  • Season

    Rainfall

    750-800mm

मिट्टी

पोपलर की खेती क्षारीय और खारी मिट्टी में ना करें। यह उपजाऊ मिट्टी, जिसमें जैविक तत्वों की उच्च मात्रा हो, में उगाये जाने पर अच्छे परिणाम देती है। पोपलर की खेती के लिए मिट्टी का pH 5.8-8.5 होना चाहिए।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

G 48: इस किस्म को ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों में उगाया जाता है।

W 22:  इसकी खेती हिमाचल प्रदेश, पठानकोट और जम्मू में करने के लिए अनुकूल है।

दूसरे राज्यों की किस्में

पोपलर की और किस्में: UDAI, W 32, W 39, A 26, S 7, C 15, S 7, C 8.

ज़मीन की तैयारी

मिट्टी के भुरभुरा होने तक खेत की 2-3 बार जोताई करें। यदि जिंक की कमी हो तो खेत की तैयारी के समय जिंक सलफेट 10 किलोग्राम प्रति एकड़ में डालें।

बिजाई

बिजाई का समय
पोपलर के नए पौधे की रोपाई के लिए जनवरी से फरवरी का समय अच्छा होता है। रोपाई 15 फरवरी से 10 मार्च में की जा सकती है।

फासला
एक एकड़ में 182 पौधे लगाने के लिए 5x5 मीटर के फासले का प्रयोग करें या 396 पौधे प्रति एकड़ में लगाने के लिए 5 मीटर x 4 मीटर या 6 मीटर x 2 मीटर और 476 पौधे प्रति एकड़ में लगाने के लिए 5 मीटर x 2 मीटर फासले का प्रयोग करें।

बीज की गहराई
रोपाई के लिए 1 मीटर गड्ढा खोदें और पौधे को इसी गड्ढे में लगाएं। मिट्टी में गले हुए गाय का गोबर 2 किलो, म्यूरेट ऑफ पोटाश 25 ग्राम और सिंगल सुपर फासफेट 50 ग्राम मिलायें।

बिजाई का ढंग

इसकी बिजाई सीधे या पनीरी लगाकर की जाती है।

बीज

बीज की मात्रा
एक एकड़ में 182 पौधे लगाने के लिए 5x5 मीटर के फासले का प्रयोग करें या 396 पौधे प्रति एकड़ में लगाने के लिए 5मीटर x 4 मीटर या 6 मीटर x 2 मीटर और 476 पौधे प्रति एकड़ में लगाने के लिए 5 मीटरx 2 मीटर फासले का प्रयोग करें।

अंतर फसली
पहले दो सालों में अंतर फसली ली जा सकती है। पोपलर की खेती शुरूआत समय में किसान के लिए बहुत लाभ देने वाली होती है। अंतर फसली के तौर पर फसलें जैसे गन्ना, हल्दी और अदरक की खेती की जा सकती है।

बीज का उपचार
नए पौधों को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए, रोपाई से पहले नए पौधों को फंगसनाशी से उपचार करना चाहिए। उपचार से पहले प्रभावित जड़ों की छंटाई करनी चाहिए। नए पौधे का क्लोरोपाइरीफॉस 250 मि.ली. को 100 लीटर पानी से 10-15 मिनट के लिए उपचार करें इसके बाद नए पौधों को एमीसान 6,  200 ग्राम को 100 लीटर पानी में 20 मिनट के लिए डालें।

फंगसनाशी के नाम
मात्रा (प्रति 100 लीटर पानी)
Chlorpyriphos 250ml
Emisan 6 200gm

खाद

खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)

Age of crop

(Year)

Well decomposed cow dung

(kg)

Urea + SSP(gm)
First year 8 50
Second year 10 80
Third year 15 150
Fourth year and above 15 200

 

पहले साल में गाय के गले हुए गोबर 8 किलो के साथ यूरिया + एस एस पी 50 ग्राम प्रति पौधे में डालें। दूसरे और तीसरे साल के दौरान गाय का गला हुआ गोबर 10 किलो और 15 किलो यूरिया + एस एस पी 80 ग्राम और 150 ग्राम प्रति पौधे में डालें। चौथे और अगले सालों में गाय का गला हुआ गोबर 15 किलो और यूरिया + एस एस पी 200 ग्राम प्रति पौधे में डालें।

प्रत्येक वर्ष के जून, जुलाई और अगस्त के महीने में खादें डालें।

खरपतवार नियंत्रण

फसल के शुरूआती समय में नदीनों को हटाएं। एक बार वृक्ष विकसित हो जाये फिर छांव के नीचे नदीन बहुत कम विकसित होते हैं।

जब फसल दो से तीन साल की हो जाये तब वृक्ष के 1/3 हिस्से की छंटाई करें। 4 से 5 वर्ष के पौधे के लिए 1/2 वृक्ष के हिस्से की छंटाई करें। पूरी छंटाई सर्दियों के दिनों में करें। छंटाई के बाद बॉर्डीऑक्स के पेस्ट को छांटे हुए हिस्सों में लगाएं। पहले वर्ष में यदि पौधे की कली ना बनती दिखे तो वृक्ष के 1/3 निचले हिस्से को बाहर निकाल दें। हिस्से को बाहर निकालते समय उसके साथ के हिस्सों को भी बाहर निकाल दें। यही प्रक्रिया दूसरे वर्ष में दोबारा दोहरायें।

सिंचाई

नर्सरी में पौधों की कटाई के बाद तुरंत सिंचाई करें बाकी की सिंचाई 7 से 10 दिनों के अंतराल पर मिट्टी की किस्म और जलवायु के अनुसार करें। सिंचाई के साथ तना गलन और नर्सरी में पानी के खड़े होने से रोकने के लिए निकास की सुविधा होनी चाहिए। रोपाई से पहले 7-10 दिनों के अंतराल पर हल्की सिंचाई करें।

पहले वर्ष के दौरान मॉनसून के शुरू होने तक 7 दिनों के अंतराल पर हल्की और लगातार सिंचाई करें। अक्तूबर-दिसंबर महीने में प्रति महीना दो सिंचाई करें। दूसरे वर्ष में सर्दियों के मौसम में 15-20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें और गर्मियों के महीने में 7 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। तीसरे वर्ष में और अगले वर्षों में गर्मियों में प्रति महीने दो सिंचाई करें।

पौधे की देखभाल

दीमक
  • हानिकारक कीट और रोकथाम
दीमक : यदि इसका हमला दिखे तो इसे रोकने के लिए क्लोरपाइरीफॉस 2.5 लीटर प्रति एकड़ में डालें।
 

 

 

तना छेदक

ਤਣਾ ਛੇਦਕ: ਜੇਕਰ ਇਸ ਕੀੜੇ ਦਾ ਹਮਲਾ ਦਿਖੇ ਤਾਂ ਇਸਨੂੰ ਰੋਕਣ ਲਈ ਫੋਰੇਟ 10 ਜੀ 5 ਕਿਲੋ ਪ੍ਰਤੀ ਏਕੜ ਬਿਜਾਈ ਦੇ ਦੂਜੇ ਸਾਲ ਤੱਕ ਪਾਓ ਜਾਂ ਕੇਰੋਸੀਨ ਦਾ ਟੀਕਾ 2 ਤੋਂ 5 ਮਿ.ਲੀ. ਪ੍ਰਤੀ ਸੁਰਾਖ ਲਾਓ।


जूं

ਜੂੰ: ਜੇਕਰ ਇਸ ਦਾ ਹਮਲਾ ਦਿਖੇ ਤਾਂ ਇਸ ਨੂੰ ਰੋਕਣ ਲਈ ਮੈਟਾਸਿਸਟੋਕਸ 2 ਮਿ.ਲੀ. ਨੂੰ ਪ੍ਰਤੀ ਲੀਟਰ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾ ਕੇ ਸਪਰੇਅ ਕਰੋ। 15 ਦਿਨਾਂ ਦੇ ਫਾਸਲੇ ਤੇ ਦੋਬਾਰਾ ਸਪਰੇਅ ਕਰੋ।
 

पत्तों का गिरना

पत्तों का गिरना: यदि इसका हमला जुलाई महीने में दिखे तो इसे रोकने के लिए क्लोरपाइरीफॉस@200 मि.ली. + साइपरमैथरीन 80 मि.ली. की स्प्रे प्रति एकड़ में करें।

  • बीमारियां और रोकथाम

तना गलन: इस बीमारी से बचाव के लिए नए पौधों की जड़ों का एमीसान 6, 4 से 5 ग्राम से प्रति पौधा उपचार करें।



झुलस रोग

झुलस रोग: इस बीमारी का हमला अगस्त और सितंबर के महीने में होता है। यदि इसका हमला दिखे तो इसे रोकने के लिए कार्बेनडाज़िम 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

सूखा: इसका हमला मई से जून के महीने में दिखे तो इसकी रोकथाम के लिए घुलनशील सलफर पाउडर 500 ग्राम की प्रति एकड़ में स्प्रे करें।

फसल की कटाई

अच्छा बाजारी मूल्य लेने के लिए कटाई सही समय पर करना महत्तवपूर्ण है। उदाहरण के तौर पर यदि पोपलर पौधे का घेरा 24 इंच और भार 1 क्विंटल है तो कीमत 900 रूपये प्रति क्विंटल होगी। यदि पोपलर पौधा 10-18 इंच का है और भार 1.5 क्विंटल है तो उसकी कीमत 725 रूपये प्रति क्विंटल होगी।

रेफरेन्स

1.Punjab Agricultural University Ludhiana

2.Department of Agriculture

3.Indian Agricultural Research Instittute, New Delhi

4.Indian Institute of Wheat and Barley Research

5.Ministry of Agriculture & Farmers Welfare