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आम जानकारी

लौकी को कैलाबाश के नाम से जाना जाता है और यह कुकुरबिटेशियाई फैमिली से संबंधित है। यह एक वार्षिक फल देने वाला पौधा है, जिसकी बढ़वार अधिक होती है। इसके पौधे के फूल सफेद रंग के होते हैं जो गुद्देदार और बोतल के आकार के फल देते हैं। इसके फल का उपयोग सब्जी के तौर पर किया जाता है। लौकी के शारीरिक फायदे भी हैं। यह पाचन प्रणाली को अच्छा करता है, शूगर के स्तर और कब्ज को कम करता है। अनिद्रा और मूत्र संक्रमण का इलाज करता है और अनिद्रा उपचार के लिए अच्छा उपाय है। 

मिट्टी

इसे मिट्टी की कई किस्मों में उगाया जाता है। रेतली दोमट से दोमट मिट्टी में उगाने पर यह अच्छे परिणाम देती है।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

लंबी किस्में

Punjab Long (1997): इस किस्म की बेलें जल्दी बढ़ती और अत्यधिक शाखाओं वाली होती है। इसके फल चमकदार, बेलनाकार, नर्म और हल्के हरे रंग के होते हैं। यह किस्म लंबे परिवहन के लिए उपयुक्त है। इसकी औसतन पैदावार 180 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।

Punjab Komal (1988): यह जल्दी पकने वाली किस्म है। इस पर पहला फल बुवाई के लगभग 70 दिनों में पककर तैयार हो जाता है। इसकी प्रति बेल पर 10-12 फल होते हैं जो आयताकार, मध्यम आकार के, हल्के हरे, बालों वाले होते हैं। इसके फल नर्म होते हैं और चौथे या पांचवें नोड से मध्यम, लंबे, पतले डंठल पर लगते हैं। यह किस्म खीरे के चितकबरे रोग के प्रतिरोधक है। इसकी औसतन पैदावार 200 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।

Punjab Barkat (2014): इस किस्म की बेलें जल्दी बढ़ती है और अत्यधिक शाखाओं वाली होती है इसके फल लंबे बेलनाकार, चमकदार, नर्म और हल्के हरे रंग के होते हैं। यह किस्म चितकबरा रोग के काफी हद तक प्रतिरोधक है। इसकी औसतन पैदावार 226 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।

Punjab Bahar (2017): इस किस्म की बेलें बालों वाली और मध्यम लंबाई की होती हैं। इसके फल लगभग गोल, मध्यम आकार के, हल्के हरे, चमकदार और बालों वाले होते हैं। इसकी बेलों पर औसतन 9 से 10 फल लगते हैं। इसकी औसतन पैदावार 222 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।

गोल आकार की किस्में

गोल लौकी की मुख्य किस्में Pusa Summer Prolific Round, Pusa Manjri (Sankar variety), और Punjab Round है।

ICAR IIHR बैंगलोर द्वारा विकसित किस्में 

Arka Bahar: इस किस्म को IIHR-20A से चयनित किया गया है। इसके फल मध्यम लंबे, सीधे होते हैं। जब फल नर्म हो जाता है तो इसका छिलका हल्के हरे रंग का हो जाता है इसके साथ फल का वजन 1 किलोग्राम हो जाता है। यह किस्म फल की नोक सड़न रोग को सहनेयोग्य है। इसकी औसतन पैदावार 160-180 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।

 

ज़मीन की तैयारी

लौकी की खेती के लिए, ज़मीन को अच्छी तरह से तैयार करें। मिट्टी के भुरभुरा होने तक जोताई के बाद सुहागा फेरें।

बिजाई

बिजाई का समय
इसकी बिजाई के लिए फरवरी से मार्च, जून से जुलाई और नवंबर से दिसंबर का समय उपयुक्त होता है।
 
फासला
कतारों में 2.0-2.5 - और पौधों में 45-60 सैं.मी. फासले का प्रयोग करें। 
 
बीज की गहराई
बीज को 1-2 सैं.मी. की गहराई पर बोयें। 
 

बीज

बीज की मात्रा
एक एकड़ में बिजाई के लिए 2 किलो बीज पर्याप्त होते हैं।
 
बीज का उपचार
मिट्टी से पैदा होने वाली फंगस से बचाने के लिए बाविस्टिन 0.2 प्रतिशत 3 ग्राम से प्रति किलो बीज का उपचार करें।
 

खाद

अच्छी तरह से गली हुई रूड़ी की खाद 20-25 टन प्रति एकड़ में डालें। नाइट्रोजन 28 किलो (यूरिया 60 किलो) प्रति एकड़ में डालें। नाइट्रोजन 14 किलो (यूरिया 30 किलो) की पहली मात्रा को बिजाई के समय प्रति एकड़ में डालें और नाइट्रोजन 14 किलो (यूरिया 30 किलो) को पहली तुड़ाई के समय प्रति एकड़ में डालें।

सिंचाई

इस फसल को तुरंत सिंचाई की आवश्यकता होती है। बिजाई के तुरंत बाद सिंचाई करें। गर्मियों में फसल को 6—7 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है और बारिश के मौसम में आवश्यकतानुसार पानी लगाएं। इस फसल को कुल 9 सिंचाइयों की जरूरत होती है।

खरपतवार नियंत्रण

नदीनों की रोकथाम के लिए, पौधे की वृद्धि के शुरूआती समय में 2-3 गोडाई करें। गोडाई खाद डालने के समय करें। बरसात के मौसम में नदीनों की रोकथाम के लिए मिट्टी चढ़ाना भी प्रभावी तरीका है।

पौधे की देखभाल

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  • हानिकारक कीट और रोकथाम
फल की मक्खी : ये फल के अंदरूनी भागों को अपना भोजन बनाते हैं जिसके कारण फल पकने से पहले ही गिर जाते हैं गल जाते हैं और पीले पड़ जाते हैं।
उपचार : कार्बरिल 10 प्रतिशत 600-700 ग्राम को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।
 
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पेठे की भुण्डियां : ये कीट जड़ों को अपना भोजन बनाकर नुकसान पहुंचाती है।
उपचार : कार्बरिल 10 प्रतिशत 600-700 ग्राम को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।
 
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रंग बिरंगी भुण्डी : ये कीट पौधे के भागों को अपना भोजन बनाकर उसे नष्ट कर देते हैं।
उपचार : कार्बरिल 10 प्रतिशत 600-700 ग्राम को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।
 
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  • बीमारियां और रोकथाम
पत्तों के निचले धब्बे : क्लोरोटिक धब्बे इस बीमारी के लक्षण हैं।
उपचार : मैनकोजेब 400 ग्राम को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।
 
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पत्तों पर सफेद धब्बे : इस बीमारी के कारण छोटे, सफेद रंग के धब्बे पत्तों और तने पर देखे जाते हैं।
उपचार : इस बीमारी से बचाव के लिए, एम-45 या Z – 78, 400-500 ग्राम की स्प्रे करें।
 
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चितकबरा रोग : इस बीमारी के कारण वृद्धि रूक जाती है और उपज में कमी आती है।
उपचार : चितकबरे रोग से बचाव के लिए, डाइमैथोएट 200-250 मि.ली. को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।
 

फसल की कटाई

किस्म और मौसम के आधार पर, फसल 60-70 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। मार्किट की आवश्यकतानुसार, मध्यम और नर्म फलों की तुड़ाई करें। बीज उत्पादन के लिए ज्यादातर पके फलों को स्टोर किया जाता है। तीखे चाकू की मदद से फलों को बेलों  से काटें। मांग ज्यादा होने पर फल की तुड़ाई प्रत्येक 3-4 दिन में करनी चाहिए।

कटाई के बाद

लौकी की अन्य किस्मों से 800 मीटर का फासला रखें। खेत में से बीमार पौधों को निकाल दें। बीज उत्पादन के लिए, फल की तुड़ाई पूरी तरह पकने पर करें। सही बीज लेने के लिए खेत की तीन बार जांच आवश्यक है। तुड़ाई के बाद, फलों के सूखाएं और फिर बीज निकाल लें।