प्याज़ (खरीफ) का उत्पादन

आम जानकारी

प्याज़ एक प्रसिद्ध व्यापक सब्जी वाली प्रजाति है| इसको रसोई के कार्यो में प्रयोग किया जाता है| इसके इलावा इस के कड़वे रस के कारण इसे कीटों की रोकथाम, कांच और पीतल के बर्तनों को साफ करने के लिए और प्याज़ के घोल को कीट-रोधक के तौर पर पौधों पर स्प्रे करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है| भारत प्याज़ की खेती के क्षेत्र में पहले और उत्पादन के तौर पर चीन के बाद दूसरे स्थान पर है|

जलवायु

  • Season

    Temperature

    21-26°C
  • Season

    Rainfall

    650-750mm
  • Season

    Sowing Temperature

    18°C - 20°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    25°C - 30°C
  • Season

    Temperature

    21-26°C
  • Season

    Rainfall

    650-750mm
  • Season

    Sowing Temperature

    18°C - 20°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    25°C - 30°C
  • Season

    Temperature

    21-26°C
  • Season

    Rainfall

    650-750mm
  • Season

    Sowing Temperature

    18°C - 20°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    25°C - 30°C
  • Season

    Temperature

    21-26°C
  • Season

    Rainfall

    650-750mm
  • Season

    Sowing Temperature

    18°C - 20°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    25°C - 30°C

मिट्टी

इसकी खेती अलग-अलग किस्म की मिट्टी जैसे की रेतली दोमट, चिकनी, गार और भारी मिट्टी में की जा सकती है| यह गहरी दोमट और जलोढ़ मिट्टी, जिसका निकास प्रबंध बढ़िया, नमी को बरकरार रखने की समर्थता, जैविक तत्वों वाली मिट्टी में बढ़िया परिणाम देती है| विरली और रेतली मिट्टी इसकी खेती के लिए बढ़िया नहीं मानी जाती है, क्योंकि मिट्टी के घटिया जमाव के कारण इसमें गांठों का उत्पादन सही नहीं होता है| इसकी खेती के लिए मिट्टी का pH 6-7 होना चाहिए|

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

Agrifound Dark Red: यह किस्म 95-110 दिनों में तैयार हो जाती है| इसकी औसतन पैदावार 120 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|

दूसरे राज्यों की किस्में

N 53: यह किस्म 100-110 दिनों में तैयार हो जाती है| इसकी गांठे बढ़े आकार की और गहरे लाल रंग की होती हैं| इसकी औसतन पैदावार 60-80 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|

Bhima Shakti

Bhima Shakti

Bhima Dark red

ज़मीन की तैयारी

मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए तीन-चार बार गहराई से जोताई करें| मिट्टी में जैविक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए रूड़ी की खाद डालें| फिर खेत को छोटे-छोटे प्लाटों में बांट दे|

बिजाई

बिजाई का समय
नर्सरी तैयार करने का उचित समय मध्य जून महीने का है| नए पौधे बिजाई से 6-8 हफ्तों में रोपण के लिए तैयार हो जाते हैं| रोपण का काम अगस्त के पहले हफ्ते में खत्म कर दें|

फासला
रोपण के समय, पंक्तियों के बीच 15 सैं.मी. और पौधों के बीच 7.5 सैं.मी. का फासला रखें|

बीज की गहराई
नर्सरी में बीज 1-2 सैं.मी. गहराई पर बोयें|

बिजाई का ढंग
बिजाई के लिए रोपण विधि का प्रयोग करें|

बीज

बीज की मात्रा
एक एकड़ के लिए 3-4 किलो बीजों का प्रयोग करें|

बीज का उपचार
उखेड़ा रोग और कांव-गियारी से बचाव के लिए थीरम 2 ग्राम+बैनोमाइल 50 डब्लयू पी 1 ग्राम प्रति लीटर पानी से प्रति किलो बीजों का उपचार करें| रासायनिक उपचार के बाद बायो एजेंट ट्राईकोडर्मा विराइड 2 ग्राम के साथ प्रति किलो बीजों का उपचार करने की सिफारिश की जाती है| इस तरह करने से नए पौधे मिट्टी से पैदा होने वाली और अन्य बीमारीयों से बच जाते है|

खाद

खादें(किलोग्राम प्रति एकड़)

UREA SSP MURIATE OF POTASH
90 125 35

 

तत्व(किलोग्राम प्रति एकड़)

NITROGEN PHOSPHORUS POTASH
40 20 20

 

बिजाई से 10 दिन पहले 20 टन रूड़ी की खाद डालें| नाइट्रोजन 40 किलो(यूरिया 90 किलो), फासफोरस 20 किलो(सिंगल सुपर फासफेट 125 किलो) और पोटाश 20 किलो(मिउरेट ऑफ़ पोटाश 35 किलो) प्रति एकड़ डालें| फासफोरस और पोटाश की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा रोपण के समय डालें| बाकी बची नाइट्रोजन छींटा देकर रोपण के चार हफ्ते बाद डालें|
पानी में घुलनशील खादें: रोपण से 10-15 दिन बाद सूक्ष्म-तत्व 2.5-3 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ 19:19:19 की स्प्रे करें|
 

खरपतवार नियंत्रण

शुरुआत में नए पौधे धीरे-धीरे बढ़ते है| इसलिए नुकसान से बचाव के लिए गोड़ाई की जगह रासायनिक नदीन-नाशक का प्रयोग करें| रोकथाम के लिए बिजाई से 72 घंटे में पेंडीमैथालीन(स्टंप) 1 लीटर को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें| नदीनों के अंकुरण उपरांत बिजाई से 7 दिन बाद आक्सीफ्लोरफैन 425 मि.ली. को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें| नदीनों की रोकथाम के लिए 2-3 गोड़ाईयों की सिफारिश की जाती है| पहली गोड़ाई बिजाई से एक महीने बाद और दूसरी गोड़ाई, पहली से एक महीने बाद करें|

सिंचाई

मिट्टी की किसम और जलवायु के आधार पर सिंचाई की मात्रा और आवर्ती का फैसला करें| पहली सिंचाई बिजाई से तुरंत बाद करें और फिर आवश्यकता अनुसार 10-15 दिनों के फासले पर सिंचाई करें|

पौधे की देखभाल

सफेद सुंडियां
  • कीट और रोकथाम

सफेद सुंडियां: इनका हमला आमतौर पर जनवरी-फरवरी महीने में होता है| यह पौधे की जड़ों को खाते है, जिस कारण पत्ते भूरे हो जाते है| इससे पौधे का शिखर गीला रहने लग जाता है|

अगर इसका हमला दिखाई दे तो कार्बरील 4 किलो या फोरेट 4 किलो मिट्टी में डालें और हल्की सिंचाई करें| सिंचाई वाले पानी या मिट्टी में मिला कर क्लोरपाइरीफोस 1.5 लीटर प्रति एकड़ में डालें|

थ्रिप्स

थ्रिप्स: यदि इसे ना रोका जाए तो यह पैदावार को 50% तक नुकसान पहुंचाते है| यह ज्यादातर शुष्क मौसम में पाए जाते है| यह पत्तों का रस चूसते है, जिस कारण पत्ते मुड़ जाते है, और कप के आकार के हो जाते है या ऊपर की तरफ मुड़ जाते है|

थ्रिप्स के हमले की जांच के लिए 6-8 नीले चिपकने वाले कार्ड प्रति एकड़ में लगाएं|अगर इनका हमला दिखाई दे तो फिपरोनिल (रीजेंट) 30 मि.ली. को प्रति 15 लीटर पानी में घोल कर स्प्रे करें या प्रोफैनोफोस 10 मि.ली.को प्रति 10 लीटर की स्प्रे 8-10 दिनों के फासले पर करें|

जामुनी धब्बे और तने का झुलस रोग

जामुनी धब्बे और तने का झुलस रोग: गंभीर हमले के दौरान यह बीमारी फसल की पैदावार को 70% तक नुकसान पहुंचाती है| इससे पत्तों पर जामुनी रंग के धब्बे पड़ जाते है| इसकी पीली धारियां भूरी हो जाती है और तीखी और लम्बी हो जाती है|

इसकी रोकथाम के लिए प्रोपीनेब 70% डब्लयू पी 350 ग्राम को 150 लीटर में मिलाकर प्रति एकड़ में 10 दिन के फासले पर स्प्रे करें|

फसल की कटाई

सही समय पर पुटाई करना बहुत जरूरी है| पुटाई का समय किस्म,ऋतु,मंडी रेट आदि पर निर्भर करता है| 50% पौधे की पत्तियां नीचे की तरफ गिरना दर्शाता है कि फसल पुटाई के लिए तैयार है| फसल की पुटाई हाथों से प्याज़ को उखाड़ कर की जाती है| पुटाई के बाद इनको 2-3 दिन के लिए अनावश्यक नमी निकालने के लिए खेत में छोड़ दे|

कटाई के बाद

पुटाई और पूरी तरह से सूखने के बाद, गांठों को आकार अनुसार छांट ले|

रेफरेन्स

1.Punjab Agricultural University Ludhiana

2.Department of Agriculture

3.Indian Agricultural Research Instittute, New Delhi

4.Indian Institute of Wheat and Barley Research

5.Ministry of Agriculture & Farmers Welfare