पंजाब में सनई की खेती

आम जानकारी

सनई एक तेजी से उगने वाली फलीदार फसल है जो रेशे और हरी खाद के लिए उगाई जाती है। जब इसे मिट्टी में मिलाया जाता है तो यह खारेपन और खनिजों के नुकसान को रोकता है और मिट्टी में नमी बनाई रखता है। यह भारत में उगाई जाने वाली मुख्य फसल है और इसके इलावा भारत में यह महांराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार,  राज्यस्थान, उड़ीसा और यू पी राज्यों में हरी खाद के लिए उगाई जाती है।

जलवायु

  • Season

    Temperature

    20-35°C
  • Season

    Rainfall

    400-1000mm
  • Season

    Sowing Temperature

    25-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    22-30°C
  • Season

    Temperature

    20-35°C
  • Season

    Rainfall

    400-1000mm
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    Sowing Temperature

    25-35°C
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    Harvesting Temperature

    22-30°C
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    22-30°C
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    Temperature

    20-35°C
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    400-1000mm
  • Season

    Sowing Temperature

    25-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    22-30°C

मिट्टी

सनई सेम वाली ज़मीनों को छोड़कर हर तरह की ज़मीनों में उगाई जा सकती है पर रेतली चिकनी या चिकनी मिट्टी वाली ज़मीनें सबसे अनुकूल हैं।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

Narendra sanai 1 : यह पकने के लिए 152 दिनों का समय लेती है। इसके पत्ते, हरे और फूल पीले और दाने मोटे काले रंग के होते हैं। बीजने से 45-60 दिनों के बाद यह ज़मीन में 4-6.5 टन खाद प्रति एकड़ छोड़ती है। इसके दानों की पैदावार 4.8 क्विंटल प्रति एकड़ है।
 
PAU 1691: यह 136 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके पत्ते चौड़े, हरे और फूल पीले और दाने मोटे काले रंग के होते हैं। बीजने से 45-60 दिनों के बाद यह ज़मीन में 4-6.5 टन खाद प्रति एकड़ छोड़ती है। इसके दानों की पैदावार 4.8 क्विंटल प्रति एकड़ है। 
 
दूसरे राज्यों की किस्में
 
Ankur :  इसकी औसतन पैदावार 4.4-4.8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
Swastik : इसकी औसतन पैदावार 4-4.8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
T 6 : यह किस्म हरी खाद के लिए बोयी जाती है।
 
K 12 : इसकी औसतन पैदावार 3.6-4.8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। 
 

ज़मीन की तैयारी

ज़मीन को अच्छी तरह जोतकर भुरभुरा कर लें। बीजने से पहले ज़मीन में अच्छी नमी होनी ज़रूरी है। अच्छी नमी बीज को अंकुरन में मदद करती है।

बिजाई

बिजाई का समय
हरी खाद के लिए फसल को बीजने का सही समय अप्रैल से जुलाई है। बीज के लिए तैयार की फसल को जून महीने में बोया जाता हैं।
 
फासला
जब फसल को हरी खाद के लिए बोया जाता है तब इसकी बिजाई छींटे द्वारा की जाती है। बीज के लिए फसल को बीजने के समय पंक्ति से पंक्ति का फासला 45 सैं.मी. रखें।
 
बीज की गहराई
बीज की गहराई 3-4 सैं.मी. होनी चाहिए।
 
बिजाई का ढंग
हरी खाद बनाने के लिए छींटे से बिजाई की जाती है और बीज तैयार करने के लिए इसकी बिजाई, बिजाई वाली मशीन द्वारा की जाती है।
 

बीज

बीज की मात्रा
हरी खाद के लिए 20 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ के लिए काफी है और बीज के लिए 10 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ बोयें।
 
बीज का उपचार
बीज के अच्छे विकास के लिए बिजाई से पहले बीजों को एक रात के लिए पानी में भिगोकर रखें।
 

खाद

खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)

UREA SSP MURIATE OF POTASH
# 100 #

 

तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)

NITROGEN PHOSPHORUS POTASH
# 16 #

 

हरी खाद लेने के लिए फासफोरस 16 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से डालें। इसमें नाइट्रोजन वाली खाद का प्रयोग नहीं किया जाता पर कईं बार शुरू वाला विकास करने के लिए 4-6 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से डाली जाती है।

 

 

खरपतवार नियंत्रण

नदीनों की रोकथाम के लिए बिजाई से एक महीने बाद गोडाई करें।

सिंचाई

हरी खाद लेने के लिए दो-तीन पानी मौसम के आधार पर दिए जा सकते हैं। बीज उत्पादन के लिए फूल आने के समय और दाने बनने के समय पानी की कमी नहीं आनी चाहिए।

फसल की कटाई

बीज उत्पादन के लिए फसल को बीजने के 150 दिनों के बाद (मध्य अक्तूबर के नवंबर के शुरू में) काट लें और हरी खाद वाली फसल को बीजने के 45-60 दिनों के बाद मिट्टी में मिला दें।

रेफरेन्स

1.Punjab Agricultural University Ludhiana

2.Department of Agriculture

3.Indian Agricultural Research Instittute, New Delhi

4.Indian Institute of Wheat and Barley Research

5.Ministry of Agriculture & Farmers Welfare