कृषि
मिट्टी
लोकाट को अच्छे निकास वाली रेतली दोमट मिट्टी जिसमें जैविक तत्व उच्च मात्रा में होते हैं, की आवश्यकता होती है।
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार
ज़मीन की तैयारी
लोकाट की खेती के लिए, अच्छी तरह से तैयार ज़मीन की आवश्यकता होती है। मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए 2-3 गहरी जोताई करें और समतल करें।
बिजाई
बीज
प्रजनन
प्रजनन के लिए, एयर लेयरिंग विधि का प्रयोग किया जाता है। बिजाई के लिए बडिंग किए हुए और कलम वाले पौधों का प्रयोग किया जाता है क्योंकि वे जल्दी फल देते हैं।
खाद
तत्व (ग्राम प्रति एकड़)
| Age (in years) | FYM (kg/tree) | UREA | SSP | MOP |
| 1-2 years | 10-20 | 150-500 | 200-500 | 150-400 |
| 3-6 years | 25-40 | 600-750 | 600-1200 | 600-1000 |
| 7-10 years | 40-50 | 800-1000 | 1500-2000 | 1100-1500 |
| 10 and above years | 50 | 1000 | 2000 | 1500 |
अच्छी तरह से गली हुई रूड़ी की खाद, फासफोरस और पोटाशियम को सितंबर महीने में डालें और यूरिया को दो भागों में बांटकर पहले भाग को अक्तूबर महीने में और बाकी की मात्रा को फल बनने के बाद जनवरी फरवरी महीने में डालें।
खरपतवार नियंत्रण
नदीनों को हाथ से गोडाई करके या रासायनों द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है ग्लाइफोसेट 1.6 लीटर को प्रति 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। ग्लाइफोसेट की स्प्रे सिर्फ नदीनों पर ही करें, मुख्य फसल पर ना करें।
सिंचाई
मिट्टी और मौसम के आधार पर सिंचाई दी जाती है। मुख्यत: तुड़ाई के समय 3-4 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है।
पौधे की देखभाल
- हानिकारक कीट और रोकथाम
- बीमारियां और रोकथाम
फसल की कटाई
मुख्य तौर पर पौधा रोपाई के तीसरे वर्ष में फल देना शुरू करता है और 15 वें वर्ष में पौधा अधिक उपज देना शुरू कर देता है। फलों के पूरी तरह पकने पर तीखे यंत्र से तुड़ाई करें। तुड़ाई के बाद छंटाई की जाती है। इसकी औसतन उपज 6-8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।


