लहसुन की खेती

आम जानकारी

लहसुन एक गांठों वाली फसल, जिसकी खेती पूरे एशिया में की जाती है। इसे कई पकवानों में मसाले के तौर पर प्रयोग किया जाता है। इसमें औषधीय गुण होते हैं। यह विटामिन ए, सी, प्रोटीन, फासफोरस और पोटाश्यिम का उच्च स्त्रोत है। यह पाचन क्रिया में मदद करता है और मानव रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करता है। बड़े स्तर पर लहसुन की खेती मध्य प्रदेश, गुजरात, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, महांराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा में की जाती है। 

जलवायु

  • Season

    Temperature

    10-30°C
  • Season

    Rainfall

    600-700mm
  • Season

    Sowing Temperature

    25-30°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    10-15°C
  • Season

    Temperature

    10-30°C
  • Season

    Rainfall

    600-700mm
  • Season

    Sowing Temperature

    25-30°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    10-15°C
  • Season

    Temperature

    10-30°C
  • Season

    Rainfall

    600-700mm
  • Season

    Sowing Temperature

    25-30°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    10-15°C
  • Season

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    10-30°C
  • Season

    Rainfall

    600-700mm
  • Season

    Sowing Temperature

    25-30°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    10-15°C

मिट्टी

इसकी खेती हर तरह की मिट्टी की किस्म में की जा सकती है। रेतली दोमट और बालुई दोमट मिट्टी, जिसमें जैविक तत्व उचित मात्रा में होते हैं, में उगाने पर अच्छे परिणाम देती है। नर्म और रेतली ज़मीनें इसके लिए अच्छी नहीं होती क्योंकि इसमें बनी गांठे जल्दी खराब हो जाती हैं। मिट्टी का पी एच 6-7 होना चाहिए।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

Large Segmented :  इसकी प्रत्येक गांठ में 2-5 कलियां होती हैं। यह कम सुगंधित और अधिक उपज वाली किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 80-105 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।

Solan Selection :  इसकी कलियां छोटी और प्रत्येक गांठ में 12-15 कलियां होती हैं। इसकी औसतन पैदावार 62.5-80 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
Selection-1:  इसकी मध्यम सफेद रंग की कलियां, छोटा आकार और अन्य किस्मों से ज्यादा आकर्षित होती है। यह किस्म कम और दरमियानी पहाड़ी क्षेत्रों में बिजाई के लिए उपयुक्त है। इसकी औसतन पैदावार 80-105 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।

G.H.C-1: यह अन्य किस्मों से अधिक उपज वाली और सुगंधित किस्म है। इसकी कलियां बड़े आकार की होती हैं जिनका छिल्का आसानी से उतारा जा सकता है। इसकी औसतन पैदावार 84-105 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
दूसरे राज्यों की किस्में
 
Bhima Omkar: यह किस्म 120-135 दिनों में पुटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह सफेद रंग की मध्यम गांठों का उत्पादन करती है। इसकी औसतन पैदावार 32-56 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
Yamuna Safed 3 (G 282) : गांठे सफेद और आकार में बड़ी होती हैं और 15-16 कलियां प्रति गांठ होती हैं।

Yamuna Safed (G-1) : इसकी गांठे सख्त और सफेद होती हैं और कलियां द्राती के आकार की होती हैं और प्रत्येक गांठ में 25-30 कलियां होती हैं।

Yamuna Safed 2(G-50) : इसकी गांठे भी सख्त और सफेद होती हैं और 35-40 कलियां प्रति गांठ होती हैं।
 
G 40 : इसकी गांठे सफेद रंग की होती हैं और इसकी औसतन पैदावार 50-60 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
Yamuna Safed 4 (G 323) : गांठे सलेटी सफेद और 20-25 कलियां प्रति गांठ होती हैं।

Yamuna Safed 5 (G -189) : यह किस्म 150-160 दिनों में पुटाई के लिए तैयार हो जाती है और इसकी औसतन पैदावार 50-60 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
Bhima Purple : यह फसल 120-135 दिनों में पुटाई के लिए तैयार हो जाती हैं। इसकी ऊपरी सतह जामुनी रंग की हो जाती हैं। इसकी औसतन पैदावार 24-28 क्विंटल प्रति एकड़ है।
 
VL Garlic 1: इसकी ऊपरी सतह सफेद रंग की हो जाती है। यह फसल 180-190 दिनों में पुटाई के लिए तैयार हो जाती है। पहाड़ी क्षेत्रों में, इसकी औसतन पैदावार 50-60 क्विंटल प्रति एकड़ और समतल क्षेत्रों में, 36-40 क्विंटल प्रति एकड़ है।
 

ज़मीन की तैयारी

मिट्टी के भुरभुरा होने तक खेत की 3-4 बार गहरी जोताई करें। जैविक खनिजों को बढ़ाने के लिए रूड़ी की खाद डालें। खेत को समतल करके क्यारियों और खालियों में बांट दें।

बिजाई

बिजाई का समय
निचले क्षेत्र : अक्तूबर-नवंबर
दरमियाने क्षेत्र : सितंबर-अक्तूबर
ऊंचे क्षेत्र : अप्रैल
 
फासला
बिजाई के लिए, कतार से कतार में 20 सैं.मी. और पौधे से पौधे में 10 सैं.मी. फासले का प्रयोग करें।
 
बीज की गहराई
लहसुन की गांठों को 1.5-2 सैं.मी. गहरा और उसका उगने वाला हिस्सा ऊपर की तरफ रखें।
 
बिजाई का ढंग
लहसुन की बिजाई के लिए गड्ढा खोदकर ढंग का प्रयोग किया जाता है।
 
 
 

बीज

बीज की मात्रा
एक एकड़ खेत में बिजाई के लिए 208-250  कि.ग्रा. कलियों का प्रयोग करें।
 
बीज का उपचार
थीरम 2 ग्राम प्रति किलो बीज + बैनोमाईल 50 डब्लयु पी 1 ग्राम प्रति लीटर पानी से उपचार कर उखेड़ा रोग और कांगियारी से बचाया जा सकता है। रासायण प्रयोग करने के बाद, बीज को टराइकोडरमा विराइड 2 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचार कर इसे मिट्टी से होने वाली और नए पोधौं की बीमारियों से बचाया जा सकता है।
 

खाद

खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)

UREA SSP MOP
100 200

42

 

तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)

NITROGEN P2O5 K2O
46 32 25

 

खेत की तैयारी के समय गली हुई रूड़ी की खाद या अच्छी तरह से गला हुआ गाय का गोबर 100 क्विंटल प्रति एकड़ में डालें। 46 किलो नाइट्रोजन (100 किलो यूरिया) और 32 किलो फासफोरस (200 किलो एस एस पी), पोटाश 25 किलो (42 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश) प्रति एकड़ डालें। फासफोरस और पोटाश की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा लहसुन की बिजाई से पहले डालें। बाकी बची नाइट्रोजन को बिजाई के एक महीने बाद डालें।
 
WSF: फसल को खेत में लगाने के 10-15 दिन बाद NPK 19:19:19@10 ग्राम और सूक्ष्म तत्व 2.5-3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
 

 

 

सिंचाई

सिंचाई वातावरण और ज़मीन के अनुसार करें। पहली सिंचाई बिजाई के तुरंत बाद करें।  बाकी की सिंचाई 8-12 दिनों के अंतराल पर करें।

खरपतवार नियंत्रण

शुरू में लहसुन का पौधा धीरे-धीरे बढ़ता है। इसलिए नदीन नाशकों का प्रयोग गोडाई से बढ़िया रहता है। नदीनों के अंकुरन से पहले पैंडीमैथालीन 900 मि.ली. या ऑक्सीफ्लोरफेन 425 मि.ली. प्रति एकड़ में बिजाई के 72 घंटों में डालें। नदीनों की रोकथाम के लिए 2-3 गोडाइयों की सिफारिश की जाती है।पहली गोडाई बिजाई से 1 महीने बाद और दूसरी गोडाई बिजाई के 2 महीने बाद करें।

फसल की कटाई

यह फसल बिजाई के 135-150 दिनों के बाद या जब 50 प्रतिशत पत्ते पीले हो जायें और सूख जायें तब पुटाई की जा सकती है। पुटाई से 15 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें। पौधों को उखाड़ कर छोटे गुच्छों में बांधे और 2-3 दिनों के लिए खेत में सूखने के लिए रख दें। पूरी तरह सूखने के बाद, सूखे हुए तने काट दें और गांठों को साफ करें। इसकी औसतन पैदावार 42-62.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।

कटाई के बाद

पुटाई करने और सूखाने के बाद, गांठों को आकार के अनुसार बांटें। लहसुन को अंधेरे, हवादार, साफ और सूखी जगह पर रखें। कोल्ड स्टोरेज में, लहसुन को 3-4 महीने के लिए 0-2 डिगरी सैल्सियस और 65-70 प्रतिशत नमी में रखा जा सकता है।