कृषि

मिट्टी
इसे मिट्टी की कई किस्मों में उगाया जाता है, लेकिन अंगूर की खेती के लिए उपजाऊ मिट्टी जिसकी पी एच 6.5-8.5 हो, और जल जमाव वाली मिट्टी उपयुक्त होती है।
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार
ज़मीन की तैयारी
अंगूर की खेती के लिए, अच्छी तरह से तैयार ज़मीन की आवश्यकता होती है। मिट्टी के भुरभुरा होने तक ट्रैक्टर से 3-4 गहरी जोताई करें और हैरो से 3 जोताई करें।
खाद
खादें (ग्राम प्रति पौधा)
Age (in years) | Cow dung (kg) | CAN (gm) | SSP (gm) | MOP (gm) |
1st year | 25 | 400 | 500 | 250 |
2nd year | 40 | 800 | 1500 | 400 |
3rd year | 50 | 1200 | 2000 | 500 |
4th year | 60 | 1400 | 3000 | 600 |
5th year | 75 | 1600 | 4000 | 800 |
गड्ढे भरने के समय गाय का गोबर 50 किलो, एस एस पी 2 किलो और क्लोरपाइरीफॉस 1.5 लीटर मिट्टी में अच्छी तरह मिलाकर डालें। डालने के बाद हल्की सिंचाई जरूर करें।
खरपतवार नियंत्रण
सिंचाई
मध्य पहाड़ी क्षेत्रों में, सिंचाई फरवरी महीने के पहले पखवाड़े में की जाती है और उसके बाद मार्च के पहले सप्ताह में की जाती है। फिर अप्रैल के शुरू से जूत के अंत में फलों के विकसित होने पर सिंचाई की जाती है। सिंचाई की जरूरत तब होती है जब बारिश कम हो। शुष्क क्षेत्रों में जलवायु के आधार पर सिंचाई सप्ताह में एक बार की जाती है।
पौधे की देखभाल

- हानिकारक कीट और रोकथाम


- बीमारियां और रोकथाम

फसल की कटाई
तुड़ाई मुख्यत: फरवरी के शुरू से अप्रैल के अंत में की जाती है। पके हुए गुच्छों की तुड़ाई 18 डिगरी ब्रिक्स होती है। बीज रहित किस्मों की औसतन उपज 8-12.5 टन प्रति एकड़ होती है और बीज वाली किस्मों की औसतन उपज 15-20 टन प्रति एकड़ होती है।
कटाई के बाद
तुड़ाई के बाद छंटाई की जाती है। छंटाई के बाद 6 घंटों में फलों को 4.4 डिगरी सेल्सियस तापमान पर ठंडा होने के लिए रखा जाता है। लंबी दूरी वाले स्थानों पर ले जाने के लिए अंगूरों की पैकिंग कंटेनर में की जाती है।
बिजाई
Time of sowing:
In low hilly areas and in dry areas, sowing is done in February-March month.
Spacing:
By Kniffin method, use spacing of 3X3m and by arbour method use spacing of 5 X 3m. For Anab-e-Shahi variety, use a spacing of 6 X 3m.