Saptdhara (Atayu Selection) : यह सर्दियों के मौसम की किस्म है जो सूखे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इसका पौधा मध्यम कद का होता है। इसके दाने ठोस और सख्त होते हैं। यह किस्म पीली और भूरी कुंगी के प्रतिरोधी होती है। इसे मई महीने के अंत में हरे चारे के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है। इसकी औसतन पैदावार 15 क्विंटल प्रति एकड़ और हरे चारे की 30 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार होती है।
Raj -3777: यह पिछेती बिजाई की किस्म है। यह अधिक पैदावार देने वाली नई किस्म है। यह किस्म करनाल बंट के प्रतिरोधी होती है। यह किस्म H.S. 295 और Raj 3765 के प्रजनन द्वारा विकसित की गई है। इसके दाने ठोस और सख्त होते हैं। यह किस्म सिंचित और बारानी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। बारानी क्षेत्रों में इसकी औसतन पैदावार 11-13 क्विंटल प्रति एकड़ और बारानी क्षेत्रों में इसकी औसतन पैदावार 19-21 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
H.S. -277: यह पिछेती बिजाई की किस्म है जो कि कम और मध्यम पहाड़ी क्षेत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त है। यह मध्यम ऊंचाई वाली किस्म है जिसकी अर्द्ध ठंडे क्षेत्रों में खेती की जाती है। यह किस्म पीली कुंगी के प्रतिरोधी होती है। इसकी औसतन पैदावार 12.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
V.L.- 829: यह कम और मध्यम पहाड़ी क्षेत्रों के बारानी क्षेत्रों के लिए विकसित की गई नई किस्म है। यह किस्म पीली और भूरी कुंगी और कांगियारी के प्रतिरोधक है। इस किस्म में 11.4 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा होती है। इसके दाने रसदार और अर्द्ध सख्त होते हैं। इसकी औसतन पैदावार 12-13 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
H.P.W-251: यह कम और मध्यम पहाड़ी क्षेत्रों के बारानी क्षेत्रों के लिए विकसित की गई नई किस्म है। यह अगेती बिजाई वाली किस्म है। यह किस्म विशेषकर उन क्षेत्रों के लिए विकसित की गई है जहां पर मक्की-गेहूं की अंतर फसली किया जाता है। यह किस्म पीली और भूरी कुंगी के काफी प्रतिरोधक और कांगियारी के पूरी तरह प्रतिोधक है। इस किस्म में 11 प्रतिशत प्रोटीन होता है। इसकी औसतन पैदावार 14 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Chandrika (H.P.W-184) : यह किस्म कम और मध्यम पहाड़ी क्षेत्रों के बारानी और सिंचित क्षेत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त है। इस किस्म पर पीली कुंगी का हमला ज्यादा होता है। यह किस्म कांगियारी, हिल बंट और करनाल बंट के प्रतिरोधी है। इस किस्म का पौधा गहरे हरे रंग का होता है। इसके दाने रसदार, मध्यम मोटे और चमकदार होते हैं। इसमें प्रोटीन की मात्रा 12 प्रतिशत होती है। यह किस्म खादों के प्रतिरोधक है। बारानी क्षेत्रों में, इसकी औसतन पैदावार 5 क्विंटल प्रति एकड़ और सिंचित क्षेत्रों में, इसकी औसतन पैदावार 16 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Onkaar (H.P.W-155) : यह किस्म अधिक पहाड़ी वाले क्षेत्रों में बारानी हालातों में समय पर बोने के लिए उपयुक्त है और मध्यम पहाड़ी क्षेत्रों के सिंचित और बारानी क्षेत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त है। यह किस्म पीली और भूरी कुंगी के प्रतिरोधक है। यह किस्म कांगियारी और पत्तों के सूखने की बीमारी के भी प्रतिरोधक है। बारानी क्षेत्रों में, इसकी औसतन पैदावार 10-12 क्विंटल प्रति एकड़ और सिंचित क्षेत्रों में, इसकी औसतन पैदावार 14.8-16 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Surbhi (H.P.W-89) : यह अधिक उपज वाली किस्म है जो कि भूरी और पीली कुंगी के प्रतिरोधक है। यह किस्म कम और दरमियाने पहाड़ी क्षेत्रों के सिंचित और बारानी क्षेत्रों में बिजाई के लिए उपयुक्त है। यह किस्म खादों के प्रतिरोधक है। बारानी क्षेत्रों में, इसकी औसतन पैदावार 11 क्विंटल प्रति एकड़ और सिंचित क्षेत्रों में, इसकी औसतन पैदावार 14 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Palam (H.P.W.-147) : यह अधिक उपज वाली किस्म है जो कि भूरी और पीली कुंगी के प्रतिरोधक है। यह किस्म कम और दरमियाने पहाड़ी क्षेत्रों के सिंचित और बारानी क्षेत्रों में बिजाई के लिए उपयुक्त है। बारानी क्षेत्रों में, इसकी औसतन पैदावार 10 क्विंटल प्रति एकड़ और सिंचित क्षेत्रों में, इसकी औसतन पैदावार 13.75 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
H.S. -240 : यह किस्म भूरी और पीली कुंगी के प्रतिरोधी है। यह किस्म कम और दरमियाने पहाड़ी क्षेत्रों के सिंचित और बारानी क्षेत्रों में बिजाई के लिए उपयुक्त है। यह मध्यम कद की और देरी से पकने वाली किस्म है। यह पीली कुंगी, भूरी कुंगी और कांगियारी के प्रतिरोधक किस्म है। बारानी क्षेत्रों में इसकी औसतन पैदावार 11 क्विंटल प्रति एकड़ और सिंचित क्षेत्रों में इसकी औसतन पैदावार 15 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
दूसरे राज्यों की किस्में
Raj 1482 : यह किस्म को पौधा गहरा हरा और कद 80-90 सैं.मी. होता है। इसकी अधिक फलियां, मोटे दाने, हल्के चमकदार होते हैं। इसकी औसतन पैदावार 15-16 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 126-134 दिनों में पक जाती है। यह मुख्य तौर पर ब्रैड बनाने के लिए प्रयोग की जाती है। इसमें प्रोटीन की मात्रा 11-12 प्रतिशत होती है।
PBW 502 : यह सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इसके पौधे का कद 90-100 सैं.मी. होता है। यह किस्म 130-135 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह करनाल बंट के प्रतिरोधी है। इसकी औसतन पैदावार 18-20 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
PBW 550 : इस किस्म के पौधे का कद 83-92 सैं.मी. होता है। यह किस्म 128-135 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके दाने मोटे होते हैं जो कि सुनहरी पीले रंग के होते हैं। इस किस्म के 1000 दानों का भार लगभग 38 ग्राम होता है। इसकी औसतन पैदावार 18-24 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
HD 2697: इस किस्म के पौधे का कद 83-91 सैं.मी. होता है। यह किस्म 128-133 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह किस्म भारी ज़मीनों में खेती के लिए अच्छी हैं इसके दाने मोटे और सुनहरी रंग के होते हैं। इसकी औसतन पैदावार 18-24 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Raj 6560 : यह सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इसके पौधे का कद 90-100 सैं.मी. होता है। यह किस्म 130-135 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 18-22 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Raj 3077: इस किस्म को वंडर वीह्ट के नाम से भी जाना जाता है। इसके पौधे का कद 115-118 सैं.मी. होता है। इसकी औसतन पैदावार 15-16 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 126-134 दिनों में पक जाती है। यह मुख्य तौर पर ब्रैड बनाने के लिए प्रयोग की जाती है। इसमें प्रोटीन की मात्रा 11-12.5 प्रतिशत होती है।
Raj 4079 : यह किस्म 115-120 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके पौधे का कद 75-80 सैं.मी. होता है। यह किस्म सामान्य के साथ सिंचित हालातों में अच्छे परिणाम देती है। यह किस्म गर्दन तोड़ के प्रतिरोधक है। यह 19-21 क्विंटल प्रति एकड़ उपज देती है। इसके दाने मोटे, मध्यम आकार के और सख्त होते हैं। यह किस्म राजस्थान के गर्म जलवायु को भी सहनेयोग्य है और अधिक उपज देती है।
Raj 4037: इसके पौधे का कद 83-95 सैं.मी. होता है। इसकी औसतन पैदावार 15-16 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 120 दिनों में पक जाती है। यह मुख्य तौर पर ब्रैड बनाने के लिए प्रयोग की जाती है। इसमें प्रोटीन की मात्रा 11-12 प्रतिशत होती है। यह किस्म काली और तने की कुंगी के प्रतिरोधक है।
Raj 4120 : यह किस्म 110-124 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके पौधे का का कद 80-94 सैं.मी. होता है। यह किस्म सामान्य के साथ साथ सिंचित क्षेत्रों में भी अच्छे परिणाम देती है। इसका तना मजबूत होता है इसलिए यह गर्दन तोड़ के प्रतिरोधक किसम है। इसकी औसतन पैदावार 20-24 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म राजस्थान के गर्म जलवायु को भी सहनेयोग्य है और अधिक उपज देती है।
DBW 17: इसके पौधे का कद 80-85 सैं.मी. होता है। यह किस्म 130-132 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह किस्म करनाल बंट के प्रतिरोधक है। इसका तना मजबूत होता है इसलिए यह गर्दन तोड़ के प्रतिरोधक किसम है। इसके दाने मोटे, मध्यम आकार के और सख्त होते हैं। यह किस्म सामान्य के साथ सिंचित क्षेत्रों में भी अच्छे परिणाम देती है। यह 16-20 क्विंटल प्रति एकड़ उपज देती है।
Raj 4238 : यह किस्म 115-120 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके पौधे का कद 82-86 सैं.मी. होता है। इसका तना मजबूत होता है और फसल को गर्दन तोड़ के हमले से बचाता है। यह करनाल बंट के प्रतिरोधक किस्म है। इसके दाने मध्यम आकार के होते हैं। यह किस्म 16-20 क्विंटल प्रति एकड़ तक उपज देती है।
WH 1080 : यह किस्म 127-133 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके पौधे का कद 85-101 सैं.मी. होता है। सिंचित हालातों में यह किस्म 16-18 क्विंटल प्रति एकड़ उपज देती है। इसके दाने सुनहरे, मध्यम मोटे और सख्त होते हैं।
PBW 175 : यह किस्म 130-132 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके पौधे का कद 90-105 सैं.मी. होता है। इसके दाने सुनहरे, मध्यम मोटे और सख्त होते हैं। सिंचित हालातों में यह 15-16 क्विंटल प्रति एकड़ उपज देती है।
CCNNRVOI(Raj Molya Rodhak-1) : यह किस्म सिंचित हालातों में समय पर बोने के लिए उपयुक्त है। इसके पौधे का कद 84 सैं.मी. होता है। इसके दाने सुनहरे, अर्द्ध सख्त और गोल आकार के होते हैं। यह किस्म 120-125 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 15-18 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म निमाटोड से प्रभावित क्षेत्रों में प्रसिद्ध है।
पिछेती बिजाई की किस्में
Raj 3765 : यह किस्म दिसंबर के तीसरे सप्ताह से मध्य जनवरी तक बोयी जा सकती है। इसके पौधे का कद 85-95 सैं.मी. होता है। यह किस्म 120 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 16-20 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Raj 3777: यह किस्म 90-95 दिनों में पक जाती है। इस किस्म के बोने का उपयुक्त समय मध्य जनवरी है। इसकी औसतन पैदावार 14-16 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
रेतली मिट्टी की किस्में इन किस्मों को उगाने के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है।
C 306: यह किस्म बंजर भूमि में प्रयोग की जाती है और इसे कम पानी की आवश्यकता होती है। इसके पौधे का कद लंबा होता है। इसके दाने मध्यम आकार के और सुनहरे रंग के होते हैं। इसकी औसतन पैदावार 14-16 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
P.B.W. 299 : इसके पौधे का कद 95 सैं.मी. होता है। यह किस्म 150-160 दिनों में पकती है और यह अगेती उगाने वाली किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 16-18 कि्ंवटल प्रति एकड़ होती है। इस किस्म के साथ PBW 396 और WH 147 किस्में भी उगाई जाती है।
Saline soil varieties : क्षारीय क्षेत्रों के लिए Raj 3077 , K.R.L 1-4 और WH 157 किस्मों का प्रयोग किया जाता है, जो कि अच्छी उपज देती हैं ।
RAJ-3765 : यह किस्म 120-125 दिनों में पक जाती है। यह किस्म गर्मी को सहने योग्य, भूरी जंग के संवेदनशील और कुछ हद तक धारीदार जंग और करनाल बंट के संवेदनशील है। इसकी औसत पैदावार 21 क्विंटल प्रति एकड़ है।
UP-2338 : यह किस्म 125-130 दिनों में पक जाती है। यह पत्तों की कुंगी के संवेदनशील और धारीदार जंग के कुछ हद तक संवेदनशील है। यह किस्म करनाल बंट के संवेदनशील और झुलस रोग को सहनेयोग्य है। इस किस्म की लगभग 21 क्विंटल प्रति एकड़ उपज होती है।
UP-2328 : यह किस्म 130 से 135 दिनों में पकती है। इसके दाने सख्त, रंग शरबती और मध्यम आकार के होते हैं। यह किस्म सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयंक्त है। असकी औसत उपज 20-22 क्विंटल प्रति एकड़ है।
सोनालिका : यह एक जल्दी पकने वाली, छोटे कद वाली गेहूं की किस्म है। जो कि बहुत सारे हालातों के अनुकूल है। इसके दाने सुनहरी होते हैं। इसकी बुवाई पिछेती की जा सकती है। और यह फंगस की बीमारियों से रहित होती है।
कल्याणसोना : यह गेहूं की बहुत छोटे कद वाली किस्म है। जो कि बहुत सारे हालातों के अनुकूल होती है। और पूरे भारत में इसको बीजने की सलाह दी जाती है। इसे बहुत जल्दी फंगस की बीमारी लगती है।इसलिए इसे फंगस रहित क्षेत्रों में बीजने की सलाह दी जाती है।
UP-(368) : अधिक पैदावार वाली इस किस्म को पंतनगर द्वारा विकसित किया गया है। यह फंगस और पीलेपन की और बीमारियों से रहित होती है।
WL-(711) : यह छोटे कद और अधिक पैदावार वाली और कम समय में पकने वाली किस्म है। यह कुछ हद तक सफेद धब्बे ओर पीलेपन की बीमारी से रहित होती है।
UP-(319) : यह बहुत ज्यादा छोटे कद वाली गेहूं की किस्म है, जिसमें फंगस/उल्ली के प्रति प्रतिरोधकता काफी हद तक पाई जाती है। दानों को टूटने से बचाने के लिए इसकी समय से कटाई कर लेनी चाहिए।
देर से बोई जाने वाली किस्में
HD-2851, HD-293, RAJ-3765, PBW-373, UP-2338, WH-306, 1025
PBW 590 : यह किस्म पंजाब के सभी क्षेत्रों में उगाई जाती है। यह 128 दिनों के अंदर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह किस्म पीली और भूरी कुंगी रोगों के प्रतिरोधक किस्म है। इस किस्म का औसतन कद 80 सैं.मी. होता है।
PBW 509 : यह उप पर्वतीय क्षेत्रों को छोड़कर पंजाब के सभी क्षेत्रों में उगाई जाती है। यह किस्म 130 दिनों के अंदर अंदर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह पीली और भूरी कुंगी रोगों के प्रतिरोधक किस्म है। इसका औसतन कद 85 सैं.मी. होता है।
PBW 373 : इस किस्म को पंजाब के सभी क्षेत्रों में उगाया जाता है। यह किस्म 140 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह भूरी कुंगी के प्रतिरोधी किस्म है। इसका औसतन कद 90 सैं.मी. होता है।