कृषि

मिट्टी
तोरिया की खेती के लिए, रेतली, दोमट और हल्की मिट्टी अच्छी होती है। खारी मिट्टी में इसकी खेती ना करें।
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार
ज़मीन की तैयारी
तोरिया की खेती मुख्य रूप से सिंचित क्षेत्रों में की जाती है जहां अच्छा जल निकास हो। मॉनसून के मौसम में पहली जोताई की जाती है उसके बाद 3-4 जोताई की जाती है। बिजाई के 3-4 सप्ताह पहले ज़मीन की तैयारी की जानी चाहिए।
बिजाई
बीज
खाद
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
UREA | SSP | MOP |
54 | 105 | 25 |
तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)
NITROGEN | PHOSPHORUS | POTASH |
25 | 16 | 15 |
सिंचाई
अच्छी खेती के लिए, तोरिया की फसल को 2 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई बिजाई के 30-35 दिनों के बाद और फूल विकसित होने से पहले करें और दूसरी सिंचाई बिजाई के 70-80 दिनों के बाद करें। यदि सिर्फ एक सिंचाई उपलब्ध हो तो इसे फल विकसित होने के बाद दें।
खरपतवार नियंत्रण
यदि नदीनों की मात्रा ज्यादा हो तो बिजाई के 20-25 दिनों के बाद गोडाई करें।
पौधे की देखभाल
- बीमारियां और रोकथाम
- हानिकारक कीट और रोकथाम
फसल की कटाई
अंत दिसंबर से जनवरी के पहले सप्ताह में कटाई की जाती है। पत्तों के गिरने और फलियों के पीले रंग के होने पर कटाई की जाती है। इसकी औसतन पैदावार 4-6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।