Palampur-1: यह दरमियाने मौसम की किस्म है, जब इसके 50 % फूल निकलते हैं तब इसका कद 115 सैं.मी. तक पहुंच जाता है| यह किसम 190 दिनों में पक जाती है| इसके पत्ते बड़े होते है जिनका रंग गहरा हरा होता है| इसकी औसतन पैदावार 208 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|
Kent: यह भारत के सारे इलाकों में उगाने योग्य किस्म है। इसके पौधे की औसतन ऊंचाई 75-80 सैं.मी. है| यह किसम 125 दिनों में फूल देना शुरू कर देती है| यह गर्दन-तोड़, कुंगी और झुलस रोग की प्रतिरोधी किस्म है| इसके हरे चारे की औसतन पैदावार 150 क्विंटल प्रति एकड़ होती है| यह किस्म 180 दिनों में तैयार हो जाती है|
दूसरे राज्यों की किस्में
Haryana Javi-114: यह अगेती बिजाई वाली किस्म है। यह किस्म 1974 में CCS HAU, हिसार द्वारा जारी की गई है। यह किस्म पूरे भारत में उगाने के लिए उपयुक्त है। यह किस्म गर्दन तोड़ के प्रतिरोधी है। यह दोहरी कटाई के लिए उपयुक्त है। इसकी हरे चारे की औसतन पैदावार 50-230 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
OL-9: यह पंजाब के सारे सिंचित इलाकों में उगाने योग्य किस्म है। इसके बीज दरमियाने आकार के होते हैं। इसकी दानों के तौर पर पैदावार 7 क्विंटल और चारे के तौर पर औसतन पैदावार 230 क्विंटल प्रति एकड़ है।
Harita (RO 19): यह किस्म 2007 में MPKV, राहुरी द्वारा जारी की गई है। यह किस्म दोहरी कटाई के लिए उपयुक्त है। इसकी हरे चारे की औसतन पैदावार 200 क्विंटल और सूखे चारे की पैदावार 40 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म पत्तों के झुलस रोग के प्रतिरोधी है।
Bundel Jai 2004 (JHO-2000-4): यह किस्म 2002 में IGFRI, झांसी द्वारा जारी की गई है। यह उत्तर पूर्वी और उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में उगाने के लिए अनुकूल है। यह एक कटाई के लिए उपयुक्त किस्म है। इसके हरे चारे की औसतन पैदावार 200 क्विंटल और सूखे चारे की पैदावार 40 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म तना गलन, कुंगी, पत्तों के ऊपरी धब्बा रोग, पत्तों के झुलस रोग और जड़ गलन को सहनेयोग्य है।
OL 125: यह 1995 में PAU, लुधियाणा द्वारा जारी की गई है। यह किस्म उत्तर पश्चिमी और केंद्रीय क्षेत्रों में खेती करने के लिए उपयुक्त है। यह एक कटाई और दोहरी कटाई के लिए उपयुक्त किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 240 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
(Bundel Jai 851) JHO 851 और OL 529 भी जई की उपयुक्त किस्में हैं।
OL-10: यह पंजाब के सारे सिंचित इलाकों में उगाने योग्य किस्म है। इसके बीज दरमियाने आकार के होते हैं। इसकी चारे के तौर पर औसतन पैदावार 270 क्विंटल प्रति एकड़ है।
Brunker-10: यह तेजी से बढ़ने वाली अच्छी, छोटे और तंग आकार के नर्म पत्तों वाली किस्म है। यह सोके की प्रतिरोधक है। यह पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश के इलाकों में उगाई जाती है।
HFO-114: यह जई उगाने वाले सारे इलाकों में उगाई जा सकती है। यह 1974 में हिसार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, हिसार की तरफ से जारी की गई। यह किस्म लंबी और भुरड़ रोग की रोधक है। इसके बीज मोटे होते हैं और इसके दानों की औसतन पैदावार 7-8 क्विंटल प्रति एकड़ है।
Algerian: यह किस्म सिंचित इलाकों में उगाने योग्य किस्म है। पौधे का औसतन कद 100-120 सैं.मी. होता है। इसका शुरूआती विकास मध्यम होता है और पत्ते हल्के हरे रंग के होते हैं।
OS-6: यह भारत के सभी इलाकों में उगाई जा सकती है। इसकी चारे के तौर पर औसतन पैदावार 210 क्विंटल प्रति एकड़ है।
Bundel Jai 851: यह भारत के सभी इलाकों में उगाई जा सकती है। इसकी हरे चारे के तौर पर औसतन पैदावार 188 क्विंटल प्रति एकड़ है।