कृषि

जलवायु
-
Temperature
10-28°C -
Rainfall
200-300mm -
Sowing Temperature
10-20°C -
Harvesting Temperature
20-28°C
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मिट्टी
अच्छी वृद्धि और अच्छी उपज के लिए, अच्छे निकास वाली, उच्च जैविक तत्वों वाली रेतली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। अच्छी वृद्धि के लिए मिट्टी की पी एच 6 से 7 होनी चाहिए। यह मिट्टी के पास ऊंची पानी वाली जगह में उगाने पर भी अच्छे परिणाम देती है।
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार
ज़मीन की तैयारी
मिट्टी के भुरभुरा होने तक ज़मीन की जोताई करें। गाय का गला हुआ गोबर 8-10 किलो खेत की तैयारी के समय प्रति एकड़ में डालें। खेती के लिए बैड तैयार करें। बीज को गड्ढों या खालियों में बोया जा सकता है।
बिजाई
बीज
फंगसनाशी/कीटनाशी दवाई | मात्रा (प्रति किलोग्राम बीज) |
Carbendazim | 3gm |
Thiram | 2.5gm |
खाद
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
UREA | SSP | MOP |
84 | 130 | 38 |
तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)
NITROGEN | PHOSPHORUS | POTASH |
38 | 21 | 22 |
टिंडे की पूरी फसल को नाइट्रोजन 38 किलो (यूरिया 84 किलो), फासफोरस 21 किलो (एस एस पी 130 किलो) और पोटाश 22 किलो (म्यूरेट ऑफ पोटाश 38 किलो) प्रति एकड़ में डालें। नाइट्रोजन की 1/3 मात्रा, फासफोरस और पोटाश की पूरी मात्रा बिजाई के समय डालें। बाकी बची नाइट्रोजन की मात्रा शुरूआती समय में डालें।
सिंचाई
इसे लगातार सिंचाई की जरूरत होती है क्योंकि यह कम समय की फसल है। यदि बीज को सिंचाई से पहले खालियों में बोया जाये, तो पहली सिंचाई बिजाई के बाद दूसरे या तीसरे दिन करें। गर्मियों के मौसम में 4-5 दिन के अंतराल पर जलवायु, मिट्टी की किस्म, के अनुसार सिंचाई करें। बारिश के मौसम में बारिश की आवृति के आधार पर सिंचाई करें। चप्पन कद्दू ड्रिप सिंचाई देने पर अच्छा परिणाम देता है और 28 प्रतिशत उपज बढ़ जाती है।
खरपतवार नियंत्रण
काली पॉलीथीन मल्च का प्रयोग करने से नदीनों की रोकथाम होगी और मिट्टी में भी नमी बनी रहेगी। खेत को नदीनों से मुक्त करने के लिए हाथों से गोडाई करें और नदीनों की जांच करते रहें। बिजाई के 15-20 दिनों के बाद हाथों से गोडाई करें। नदीनों की तीव्रता के आधार पर बाकी की गोडाई करें।
पौधे की देखभाल
- हानिकारक कीट और रोकथाम
- बीमारियां और रोकथाम
फसल की कटाई
किस्म के आधार पर बिजाई के 60 दिनों में फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। जब फल पक जाएं और मध्यम आकार के हो जायें तब तुड़ाई कर लें। 4-5 दिनों के अंतराल पर तुड़ाई करें। इसकी औसतन पैदावार 105-125 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
बीज उत्पादन
टिंडे की अन्य किस्मों से 800 मीटर का फासला रखें। प्रभावित पौधों को खेत में से बाहर निकाल दें, जब फल पक जाएं तब वे हल्के रंग के हो जाते हैं, फिर उन्हें ताजे पानी में डालकर हाथों से मसलदिया जाता है जिससे गुद्दे से बीज अलग हो जाते हैं। बीज, जो नीचे सतह पर बैठ जाते हैं, उन्हें बीज उद्देश्य के लिए इकट्ठा कर लिया जाता है।