सेब फल की फसल के बारे में जानकारी

आम जानकारी

सेब का वानस्पातिक नाम “मैलस डोमेस्टिका” है| यह व्यापारिक स्तर पर उगाने वाली फसल है, जिसके फूल बसंत ऋतु में खिलते हैं और यह पतझड़ ऋतु में फल देती है| यह संतरे, केले और अंगूर के फल के बाद चौथा ऐसा फल है जिसका उत्पादन व्यापारिक स्तर पर होता है| सेब में विटामिन सी और बीटा-कैरोटीन की उच्च मात्रा होती है| यह एक पतझड़ी वृक्ष है जिसकी ऊंचाई 1.8-4.6 मीटर होती है| यह सभी देशो में पाया जाता है और चीन सबसे बड़ा सेब उत्पादन करने वाला देश है| यह फसल हिमाचल प्रदेश, कश्मीर, उत्तर प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों होने के साथ, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, सिक्किम और मेघालय तक फैली हुई है| इसका प्रयोग मुख्य रूप से कैंडीज, जूस और जेली आदि बनाने में किया जाता है| यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है| सेब खाने से दिल की बीमारीयां, दिमाग से संबंधित समस्याएं, कैंसर और टाइप-2 डायबिटीज आदि ठीक रहते हैं|

मिट्टी

दोमट मिट्टी जिसमे खादों की उच्च मात्रा हो सेब की खेती के विकास के लिए बढ़िया होती है| इसकी बढ़िया खेती के लिए मिट्टी का pH 5.5-6.5 होना चाहिए| खेती के लिए अच्छे निकास वाली मिट्टी अनुकूल होती  है|

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

Starking red and Rich-a-red : यह मीठे फलों वाली किस्म है जो हिमाचल प्रदेश में उगाई जाती है|
 
Spur type varieties such as Starkrimson, Oregon spur, Red chief, Well Spur, Silver Spur, Harde Spur, Sturde Spur, Red Spur, Miller’s and Bright-N-Early are grown. 
 
नए स्तर की किस्में : Vance Delicious, Skyline Supreme, Top Red and Hardeman
 
जल्दी पकने वाली किस्में : EC 33683 Coop-12, Anna, Early Mclntosh and Redfree  इनकी तुड़ाई जून के अंत में की जाती है|
 
धफड़ी के प्रतिरोधक किस्में : Coop-12 and Coop-13.   
 
निचले और मध्य पहाड़ी क्षेत्रों के लिए किस्में: Michal Schloait and Anna. यह निचले क्षेत्रों की ठंडी किस्में है|
 
Promising varieties:
 
Schlomit, Michal, Golden Spur, Red Chief, Top Red, Red Spur, Granny Smith, Rich-a-red, Red Delicious, Starking Delicious, Starkrimson and Mollies Delicious  promising varieties जो हिमाचल प्रदेश में उगाई जाती है|
 
दूसरे राज्यों की किस्में
 
अगेती बिजाई वाली किस्में : Michal, Mollies, Maayan, Anna, Delicious and Shlomit.
 
दरमियानी बिजाई वाली किस्में : Royal Delicious, Red Chief, Red Spur, Red Delicious, Rich-a-Red and Citlodh Apple-1.
 
पिछेती बिजाई वाली किस्में : Lal Ambri, Sunheri and Top Red.
 

ज़मीन की तैयारी

सेब की खेती के लिए, खेत अच्छी तरह से तैयार होना चाहिए|

बिजाई

बिजाई का समय
सेब की रोपाई के लिए जनवरी और फरवरी का समय उचित होता है|
 
फासला
नर्सरी में, कतारों में 10 सैं.मी. और बीज में 5 सैं.मी. के फासले पर बिजाई की जाती है। दरमियाने आकार की किस्मों की रोपाई के लिए, 4 मीटर X 5 मीटर या 4 मीटर X 6 मीटर प्रत्येक वृक्ष में फासला रखें| छोटे कद की किस्मों के लिए 2.5 X 4.0 मीटर और अधिक छोटे कद की किस्मों के लिए 3.0 X 0.90 मीटर फासले का प्रयोग करें|
 
बीज की गहराई
नर्सरी में, बीजों को 2-3 सैं.मी. की गहराई पर बोयें।
 
बिजाई का ढंग
सीढ़ीनुमा ढंग
छ: भुज 
वर्गाकार प्रणाली
 

 

बीज

बीज की मात्रा
दरमियाने आकार की किस्मों के लिए, 166-200 वृक्ष प्रति एकड़ में लगाएं|
छोटे कद की किस्मों के लिए, 350-400 वृक्ष प्रति एकड़ में लगाएं|
अधिक छोटे कद की किस्मों के लिए, 1300 से ज्यादा वृक्ष प्रति एकड़ में लगाएं। 
 

प्रजनन

प्रजनन के लिए मुख्य रूप से कलम लगाकर और बडिंग विधि का प्रयोग किया जाता है|

पनीरी की देख-रेख और रोपण

अक्तूबर-नवंबर के महीने में 1 मीटर x 1 मीटर x 1 मीटर के गड्ढे तैयार करें| प्रत्येक गड्ढे में,  30-40 किलो रूड़ी की खाद, 500 ग्राम सिंगल सुपर फासफेट और 50 ग्राम मैलाथियोन पाउडर मिलाएं| गड्ढा खोदने के 1 महीने बाद, रोपाई की जाती है| रोपाई के बाद, तुरंत सिंचाई करना आवश्यक है|

खाद

तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)

NITROGEN PHOSPHORUS POTASSIUM
70 35 70

 

रोपाई से पहले, प्रत्येक गड्डे में,  30-40 किलो रूड़ी की खाद, 500 ग्राम सिंगल सुपर फासफेट और 50 ग्राम मैलाथियोन पाउडर मिलाएं| खाद के तौर पर N:P:K@70:35:70 ग्राम प्रति वृक्ष हर साल मिलाएं| जैसे वृक्ष की उम्र बढ़ती है, वृक्ष की उम्र के हिसाब से खादों की मात्रा बढ़ाते रहें| उदाहरण के तौर पर, 10 साल के वृक्ष के लिए, खाद के तौर पर N:P:K@700:350:700 ग्राम प्रति वृक्ष में हर साल डालें|

 

कटाई और छंटाई

सेब की बढ़िया गुणवत्ता और विकास के लिए, सही समय पर कांट-छांट करनी आवश्यक है|  वृक्ष की वृद्धि के अनुसार कांट-छांट करनी चाहिए| कांट-छांट के लिए "मॉडिफाइड सेंट्रल सिस्टम" का प्रयोग किया जाता है ताकि वृक्ष को उचित रोशनी मिल सके और दरमियानी पहाड़ी क्षेत्रों में "स्पिंडल बुश सिस्टम" का प्रयोग किया जाता है|

खरपतवार नियंत्रण

नदीनों की रोकथाम के लिए, मलचिंग और गोड़ाई की जाती है  निराई गोडाई प्रक्रिया में ग्लाइफोसेट 300 मि.ली. या पैराकुएट 0.5 प्रतिशत को नदीनों के अंकुरण होने से पहले 4-5 महीने के लिए नदीनों को खत्म करने के प्रति एकड़ में प्रयोग करें और बरगद के पत्तों या सूखी घास को मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए प्रयोग किया जाता है।

पौधे की देखभाल

सेब का सिलकी चेपा
  • हानिकारक कीट और रोकथाम
सेब का सिलकी चेपा : यह कीट मिट्टी की निचली सतह की जड़ों पर हमला करता है| परिणामस्वरूप पौधे पर सूजन पड़ जाती है और पूरा पौधा नष्ट हो जाता है| यह कीट दिसंबर और जनवरी के महीने में हमला नहीं करते है|
 
इस हमले रोकथाम के लिए, अक्तूबर-नवंबर के महीने में कार्बरील या डेमेथोएट की कीटनाशी स्प्रे करें और गर्मी और बसंत ऋतु में, थियोमेटोन या डेमेथोएट दानेदार 15 ग्राम प्रति वृक्ष मिट्टी में चेपे की रोकथाम के लिए मिलाएं|
 
सेब का धफड़ी रोग : यह बीमारी मुख्य तौर पर पत्तों और फलों को प्रभावित करती है। इससे पत्ते मुड़ जाते हैं और पत्तों की ऊपरी सतह पर गोल काले रंग के धब्बे पड़ जाते हैं।
 
रोकथाम : इसकी रोकथाम के लिए एम 45 50 ग्राम को 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।   
 
तना छेदक
तना छेदक :  यह कीट शाखाओं और नई टहनियों का रस चूसते है| इससे नर्सरी में पौधे कमज़ोर हो जाते है और अंत में मर जाते है|
 
इस कीट की रोकथाम के लिए डायाज़िनोन  या मिथाइल पैराथियोन @0.05% की स्प्रे करें| कीट से फसल की रक्षा के लिए एचसीएन गैस या मिथाइल ब्रोमाइड के साथ धूमन भी किया जा सकता है।
 
ब्लोसम थ्रिप्स
ब्लोसम थ्रिप्स : काले और पीले-भर रंग के थ्रिप्स जो फूलों का रस चूसते और उनमे छेद कर देते है|
 
थ्रिप्स की रोकथाम के लिए, कार्बोसल्फान @1 मि.ली. या थाइमैथोक्सम@1 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें|
 
सेब का गलना
  • बीमारीयां और रोकथाम
सेब का गलना : यह रोग ग्लोमरैला सिंगुलाटा के कारण होता है। इससे फल पर छोटे और भूरे रंग के धंसे हुए धब्बे पड़ जाते हैं।
 
रोकथाम : इस बीमारी की रोकथाम के लिए 78 50 ग्राम को प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
 

 

पत्तें पर काले रंग के धब्बे
पत्तें पर काले रंग के धब्बे : इसके लक्षण ज्यादातर बसंत के मौसम में देखे जाते हैं इसके कारण पत्तों की ऊपरी सतह पर गोल आकार में धब्बे पड़ जाते हैं। इस बीमारी से फल गल जाता है।
 
रोकथाम : इस बीमारी की रोकथाम के लिए एम 45, 50 ग्राम को 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
 
जड़ गलन
जड़ गलन : इसके कारण तने के आधार पर गहरे पानी रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। पत्ते गिरना शुरू हो जाते हैं और फल सिकुड़ना शुरू हो जाता है। प्रभावित वृक्ष अपने आप ही मर जाता है। 
 
रोकथाम : इस बीमारी की रोकथाम के लिए एलाइट 80 डब्लयु पी 2.5 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
 
फल का गिरना : फल के गिरने को रोकने के लिए फल गिरने की आशंका होने पर एन ए ए 10 पी पी एम (प्लेनोफिक्स 1 मि.ली. को 4.5 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। )
 

फसल की कटाई

8 वर्ष का सेब का वृक्ष फल देना शुरू करता है। 8-17 वर्ष तक सेब के उत्पादन में प्रत्येक वर्ष वृद्धि होती है और उसके बाद 17-30 वर्ष तक उत्पादन स्थिर हो जाता है। 30 वर्ष के बाद उत्पादकता और बढ़ जायेगी। तुड़ाई फल के पूरी तरह पकने के बाद की जाती है। 

कटाई के बाद

तुड़ाई के बाद पैकिंग से पहले सेबों को ठंडे स्थान पर रखा जाता है। उसके बाद छंटाई की जाती है। छंटाई के बाद सेबों को कोल्ड स्टोरेज में 1.1-0 डिगरी सैल्सियस पर 85-90 प्रतिशत नमी पर स्टोर किया जाता है। फलों को लकड़ी के बक्सों में लंबी दूरी के स्थानों पर ले जाने के लिए पैक किया जाता है और बिक्री उद्देश्य के लिए लोकल मार्किट में भेजा जाता है।