अदरक की खेती

आम जानकारी

अदरक भारत की एक अहम मसाले वाली फसल है। भारत अदरक की पैदावार में सबसे आगे है। कर्नाटक, उड़ीसा,  अरूणाचल प्रदेश,  आसाम,  मेघालय और गुजरात अदरक पैदा करने वाले मुख्य प्रांत है।

हिमाचल प्रदेश में, अदरक को मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है और इसे कैश क्रॉप भी खा जाता है| यह 835 एकड़ में उगाया जाता है और इसकी औसतन पैदावार 667 टन होती है| हिमाचल प्रदेश में सिरमौर, सोलन, शिमला, बिलासपुर, मंडी और कांगड़ा आदि अदरक की खेती करने वाले मुख्य क्षेत्र हैं| इसकी खेती 500-600 मीटर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में की जाती है|

जलवायु

  • Season

    Temperature

    12-35°C
  • Season

    Rainfall

    1500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    30-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    25°-33°C
  • Season

    Temperature

    12-35°C
  • Season

    Rainfall

    1500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    30-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    25°-33°C
  • Season

    Temperature

    12-35°C
  • Season

    Rainfall

    1500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    30-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    25°-33°C
  • Season

    Temperature

    12-35°C
  • Season

    Rainfall

    1500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    30-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    25°-33°C

मिट्टी

यह फसल अच्छे जल निकास वाली, चिकनी,  रेतली और लाल हर तरह की मिट्टी में उगाई जाने पर बढ़िया परिणाम देती है। खेत में पानी ना खड़ा होने दें क्योंकि खड़े पानी में यह ज्यादा देर बच नहीं पाएगी। फसल की वृद्धि के लिए 6-6.5 pH वाली मिट्टी अच्छी मानी जाती है। हर साल एक ही ज़मीन पर अदरक की फसल ना लगाएं।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

Himgiri: यह निचले और मध्यवर्ती क्षेत्रों में उगाने के लिए उचित है| इस किस्म में गांठों के गलने की बीमारी का हमला कम पाया जाता है|

दूसरे राज्यों की किस्में

IISR Varada: यह किस्म ताजा और सूखे अदरक की पैदावार के लिए अच्छी मानी जाती है। यह 200 दिनों में पकती है और इसकी औसतन पैदावार 90 क्विंटल प्रति एकड़ है।

IISR Mahima

Karthika

Suprabha

Suruchi

हरे अदरक के लिए किस्में: Rio-De-Janerio, china, Varadha

शुष्क अदरक के लिए किस्में: Maran, Nadia

ज़मीन की तैयारी

खेत को दो तीन बार जोतें और सुहागे से समतल करें। अदरक की बिजाई के लिए, 15 सैं.मी. ऊंचे और 1 मीटर चौड़े और आवश्यकता अनुसार बैड बनाएं। दो बैडों के बीच 50 सैं.मी. का फासला रखें।

बिजाई

बिजाई का समय
निचले क्षेत्रों में: मध्य-जून
मध्यवर्ती क्षेत्रों में: मध्य-अप्रैल - मध्य-मई
ऊंचे क्षेत्रों में: अप्रैल

फासला    
पौधों में 15-20 सैं.मी. कतारों की दूरी और एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 30 सैं.मी. होनी चाहिए।

बीज की गहराई
बीज को 3-4 सैं.मी. गहरा बोयें|

बिजाई का ढंग

अदरक की बिजाई सीधे ढंग से और पनीरी लगाकर की जा सकती है।

बीज

बीज की मात्रा
बिजाई के लिए, ताजे और बीमारी-रहित गांठों का प्रयोग करें। बिजाई के लिए 6-6.5 क्विंटल प्रति एकड़ बीज काफी होते है|

बीज का उपचार
बिजाई से पहले, गांठों का मैनकोजेब 3 ग्राम प्रति लीटर पानी से उपचार करें। गांठों को 30 मिन्ट के लिए घोल में भिगो दें। इससे गांठों को फफूंदी से बचाया जा सकता है। उपचार के बाद गांठों को 3-4 घंटें के लिए छांव में सुखाएं।

खाद

खादें(किलोग्राम प्रति एकड़)

UREA SSP MOP
84 132 34

 

तत्व(किलोग्राम प्रति एकड़)

NITROGEN
PHOSPHORUS
POTASH
38 22 22

 

 

खेत की तैयारी के समय, मिट्टी में 125 क्विंटल प्रति एकड़ रूड़ी की खाद डालें। नाइट्रोजन 38 किलो (84 किलो यूरिया), फासफोरस 22 किलो (132 किलो सिंगल सुपर फासफेट) और पोटाश 22 किलो (34 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश) की मात्रा प्रति एकड़ में डालें। पोटाश और फासफोरस की पूरी मात्रा गांठों की बिजाई के समय डालें। नाइट्रोजन की मात्रा को दो बराबर भागों में बांटें। पहला हिस्सा बिजाई के 75 दिन बाद और बाकी हिस्सा बिजाई के 3 महीने बाद डालें।

सिंचाई

अदरक की फसल की सिंचाई वर्षा की तीव्रता और आवर्ती के आधार पर करें।

खरपतवार नियंत्रण

बिजाई के 3 दिन बाद, एट्राज़िन 4-5 ग्राम प्रति लीटर पानी की नमी वाली मिट्टी पर स्प्रे करें। नदीनों को खत्म करने के लिए, नदीन नाशक की स्प्रे करने के बाद खेत को हरी खाद से या धान की पराली से ढक दें। बिजाई के बाद, नदीनों की संख्या को कम करने के लिए हरे पत्तों से 50 क्विंटल प्रति एकड़ में मलचिंग करें| फिर खाद डालने के बाद 20 क्विंटल प्रति एकड़ में दोबारा मलचिंग करें|
जड़ों के विकास के लिए जड़ों में मिट्टी लगाएं। बिजाई के 50-60 दिनों के बाद पहली बार जड़ों में मिट्टी लगाएं और उसके 40 दिन बाद दोबारा मिट्टी लगाएं।

पौधे की देखभाल

जड़ों का गलना
  • बीमारियां और रोकथाम

जड़ों का गलना: इस बीमारी को रोकने के लिए फसल को बिजाई के 30, 60 और 90 दिनों के बाद मैनकोजेब 3 ग्राम प्रति लीटर या मैटालैक्सिल 1.25 ग्राम प्रति लीटर में डुबो दें।

मुरझाना

मुरझाना: इस बीमारी को रोकने के लिए बीमारी दिखने के तुरंत बाद कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में पौधों को भिगोदें।

पत्तों पर धब्बे और सड़ना: यदि यह बीमारी दिखे तो मैनकोजेब 30 ग्राम या कार्बेनडाज़िम 10 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर 15-20 दिनों के फासले पर स्प्रे करें या पा्रॅपीकोनाज़ोल 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें।

एंथ्राक्नोस: यदि यह बीमारी आए तो हैक्साकोनाज़ोल 10 मि.ली. या मैनकोज़ेब 75 डब्लयु पी 25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी 10 मि.ली. स्टिकर की स्प्रे करें।

पत्तों पर धब्बे: इस बीमारी को रोकने के लिए मैनकोज़ेब 20 ग्राम और कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी की स्प्रे करें।

  • हानिकारक कीट और रोकथाम

पौधे की मक्खी: यदि इस मक्खी का हमला खेत में दिखे तो इसे रोकने के लिए एसीफेट 75 एस पी 15 मि.ली. को 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें और 10 दिनों के बाद दोबारा स्प्रे करें।

तने का कीट: यदि तने के कीट का हमला दिखे तो इसे रोकने के लिए डाइमैथोएट 17 मि.ली. या क्विनलफॉस 20 मि.ली. प्रति 10 लीटर पानी की स्प्रे करें।

शाख का कीट: यदि शाख के कीट का हमला दिखे तो  इसे रोकने के लिए डाइमैथोएट 2 मि.ली. प्रति लीटर या क्विनलफॉस 2.5 मि.ली.  प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें।

रस चूसने वाले कीड़े: इन्हें रोकने के लिए नीम से बने कीटनाशक जैसे कि अझादिरैक्टिन 0.3 ई सी 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें।

फसल की कटाई

यह फसल 8 महीनों में पुटाई के लिए तैयार हो जाती है। यदि फसल का प्रयोग मसाले बनाने के लिए करना हो तो 6 महीने बाद पुटाई करें और यदि नए उत्पाद बनाने के लिए प्रयोग करना हो तो फसल की पुटाई 8 महीने बाद करें। जब पत्ते पीले हो जायें और पूरी तरह सूख जायें तब पुटाई के लिए सही समय होता है। गांठों को उखाड़कर बाहर निकालें और 2-3 बार पानी से धो कर साफ करें। फिर 2-3 दिनों के लिए छांव में सुखाएं।

कटाई के बाद

शुष्क अदरक के लिए, अदरक की गांठों का सिर्फ ऊपर वाला छिल्का ही उतारे और 1 सप्ताह के लिए धूप में सूखाएं| बांस से बने चाकू से इसके बाहरी छिलके को उतारा जाता है| शुष्क अदरक की पैदावार हरे अदरक की 16-25 % होती है।

स्टोर करना: ताजी और बीमारी रहित गांठें चुनें और कार्बेनडाज़िम+मैनकोज़ेब 40 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी के घोल से 30 मिन्ट के लिए उपचार करें। इससे गांठों को गलने से बचाया जा सकता है। फिर गांठों को छांव में सुखाएं। गांठों को सही आकार के गड्ढे में भरें, और ढकने के समय हवा के लिए 2-3 छेद बनाएं। गड्ढे भरने से पहले, उनमें 1 इंच मोटी रेत की परत बिछा दें।