बरसीम की खेती

आम जानकारी

बरसीम एक जल्दी बढ़ने वाली और अधिक गुणवत्ता वाली पशुओं के चारे की फसल है जिसकी मुख्य रूप से कटाई की जाती है और चारे के रूप में पशुओं को खिलाया जाता है। विशेष तौर पर दूध देने वाले पशुओं के लिए बरसीम उच्च तत्वों और स्वादिष्ट हरा चारा होता है। यह फसल उपजाऊ ज़मीन में उगाने पर हरे चारे की अधिक मात्रा देती है। हरे चारे की अक्तूबर से मई तक 6 कटाई की जा सकती है। यह क्षारीय और खारी मिट्टी में भी सुधार करती है। इसके फूल पीले-सफेद रंग के होते हैं। बरसीम अकेले या अन्य मसाले वाली फसलों के साथ उगाई जाती है। इसे अच्छी गुणवत्ता वाला आचार बनाने के लिए रायी घास या जई के साथ भी मिलाया जा सकता है।

जलवायु

  • Season

    Temperature

    23-35°C
  • Season

    Rainfall

    550-750mm
  • Season

    Sowing Temperature

    23-30°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    30-35°C
  • Season

    Temperature

    23-35°C
  • Season

    Rainfall

    550-750mm
  • Season

    Sowing Temperature

    23-30°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    30-35°C
  • Season

    Temperature

    23-35°C
  • Season

    Rainfall

    550-750mm
  • Season

    Sowing Temperature

    23-30°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    30-35°C
  • Season

    Temperature

    23-35°C
  • Season

    Rainfall

    550-750mm
  • Season

    Sowing Temperature

    23-30°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    30-35°C

मिट्टी

दरमियानी से भारी मिट्टी में उगाने पर यह फसल अच्छे परिणाम देती है। इसे रेतली दोमट मिट्टी में भी उगाया जा सकता है परंतु इस मिट्टी में लगातार सिंचाई की आवश्यकता होती है। यह मिट्टी की उपजाऊ शक्ति, भौतिक और रासायनिक क्रिया को सुधारती है।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

Miscavi: यह जल्दी पकने वाली किस्म है और पौधे का कद 75 सैं.मी. होता है। इसके हरे चारे की औसतन पैदावार 208-250 क्विंटल प्रति एकड़ और सूखे चारे की औसतन पैदावार 41-52 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। इसकी मुख्य रूप से 5 कटाईयां की जाती हैं। इसके सूखे चारे में 20 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा होती है।
 
B L 1: यह Miscavi किस्म से, ज्यादा लम्बे समय तक उगने वाली किस्म है इसलिए इसकी अतिरिक्त कटाई जून के अंत तक की जाती है। इसके हरे चारे की औसतन पैदावार 250 क्विंटल और सूखे चारे की औसतन पैदावार 54 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
B L 22: यह लंबे समय में पकने वाली किस्म है इसलिए इसकी अतिरिक्त कटाई जून के अंत तक की जा सकती है। इसकी औसतन पैदावार 312 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।

दूसरे राज्यों की किस्में

Khadaravi (1995) 
 
Faili (1995)
 
Tetraploid varieties
 
S-99-1 (Wardan) (1982): यह किस्म IGFRI,  झांसी द्वारा विकसित की गई है। यह किस्म हर क्षेत्र में उगाने के लिए उपयुक्त है।
 
Promising tetraploid varieties are Pusa Giant और T-678.
 
T-678
 
T-724
 
T-560
 
Hisar Berseem 2 (HB 2)
 
HB 1: यह किस्म सिंचित क्षेत्रों में समय पर बोने के लिए अनुकूल है। यह तना और जड़ छेदक के प्रतिरोधी है। इसकी औसतन पैदावार 280 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
HFB 600 : यह किस्म सी सी एस, हिसार की तरफ से तैयार की गई है और यह किस्म हर क्षेत्र में उगाने के लिए उपयुक्त है। यह मैस्कावी किस्म से ज्यादा लाभ देने वाली किस्म है। यह जड़ और तना गलन के प्रतिरोधी है। इसकी हरे चारे की औसतन पैदावार 280-300 क्विंटल प्रति एकड़ होती है और सूखे चारे की पैदावार 36-40 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
BL 180 : यह किस्म पी ए यू, लुधियाणा की तरफ से बनाई गई है और यह उत्तरी भारत के क्षेत्रों में उगाने के लिए अनुकूल है।
 

ज़मीन की तैयारी

बिजाई के लिए, ज़मीन समतल होनी चाहिए। फसल के विकास के लिए ज़मीन में पानी ज्यादा देर खड़ा नहीं रहने देना चाहिए। 

बिजाई

बिजाई का समय 
अच्छी उपज के लिए, मध्य सितंबर से अक्तूबर के पहले सप्ताह का समय उपयुक्त होता है।
 
फासला
इसकी बिजाई के लिए छींटा विधि का प्रयोग किया जाता है।
 
बीज की गहराई
यह मौसम के हालातों पर निर्भर करती है। खड़े पानी में बीजों का छिड़काव करें। पानी की गहराई 4-5 सै.मी. हो, बिजाई शाम के समय करनी चाहिए।
 
बिजाई का ढंग
इसकी बिजाई के लिए छींटा विधि ढंग का प्रयोग किया जाता है।
 

बीज

बीज की मात्रा
बीज नदीन रहित होने चाहिए। बीजने से पहले बीज को पानी में भिगो देना चाहिए और जो बीज पानी के ऊपर तैरने लग जाये उन्हें निकाल दें। बीज की मात्रा 10-12 किलो प्रति एकड़ होनी चाहिए। 
अच्छी उपज लेने के लिाए बरसीम के बीजों को 750 किलोग्राम सरसों के बीजों के साथ मिलाएं।
 
बीज का उपचार
बिजाई से पहले बीज का उपचार राइज़ोबियम से कर लेना चाहिए। बिजाई से पहले राइज़ोबियम के एक पैकेट में 10 प्रतिशत गुड़ मिलाकर घोल तैयार कर लेना चाहिए। फिर इस घोल को बीज के ऊपर छिड़क देना चाहिए और बाद में बीज को छांव में सुखा देना चाहिए।
 

खाद

खादें (किलो प्रति एकड़)

UREA SSP MOP ZINC
23 150 - -

 

तत्व (किलो प्रति एकड़)

NITROGEN PHOSPHORUS POTASH
10 25 -

 

खेत की तैयारी के समय 6-8 टन रूड़ी की खाद को मिट्टी में अच्छी तरह मिलायें या खेत की तैयारी से 20 दिन पहले डालें।
 
नाइट्रोजन 10 किलो (यूरिया 22 किलो), फासफोरस 24 किलो (सुपर फासफेट 150 किलो) बिजाई के समय प्रति एकड़ में डालें। 
 

 

 

खरपतवार नियंत्रण

बुई बरसीम का गंभीर नदीन है। इसकी रोकथाम के लिए फ्लूकलोरालिन 400 मि.ली. को 200 ली. पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें।

सिंचाई

पहला पानी हल्की  ज़मीनों में 3-5 दिनों में और भारी जमीनों में 8-10 दिनों के बाद लगाएं। सर्दियों में 10-15 दिनों के फासले पर और गर्मियों में 8-10 दिनों के फासले पर पानी लगाएं।

पौधे की देखभाल

  • हानिकारक कीट और रोकथाम
घास का टिड्डा : यह मई से जून के महीने में पत्तों का नुकसान करता है। इस की रोकथाम के लिए 500 मि.ली. मैलाथियान 50 ई.सी. को 80-100 ली. पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़काव करें। छिड़काव के बाद 7 दिनों तक पशुओं के लिए प्रयोग ना करें।
 
  • बीमारियां और रोकथाम
तने का गलना : यह रोग फंगस के कारण होता है, जिस कारण तना गल जाता है। इस कारण तने और ज़मीन पर सफेद रंग की फंगस जम जाती है। 
इसकी रोकथाम के लिए कार्बेनडाज़िम 400 ग्राम को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। प्रभावित बूटों को खेत से बाहर निकाल दें।
 

चने के सूण्डी : यह फसल के दानों को खाती है। इसकी रोकथाम के लिए, फसल को टमाटर, चने और पिछेती गेहूं के नजदीक ना बोयें।इसकी रोकथाम के लिए क्लोरैनट्रानीलिप्रोल 18.5 एस सी 50 मि.ली. या स्पिनोसैड 48 एस सी 60 मि.ली. को 80-100 पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

फसल की कटाई

फसल बिजाई के 50 दिनों के बाद कटाई के योग्य हो जाती है। सर्दियों में 40 दिनों के फासले और बसंत के 30 दिनों पर कटाई करें। पशुओं के लिए आचार बनाने के इसे 20 प्रतिशत मक्की में मिलाकर तैयार किया जाता है।