पत्ता गोभी की खेती

आम जानकारी

यह एक हरा या जामुनी पत्तेदार पौधा है, जो कि वार्षिक सब्जी फसल के रूप में उगाया जाता है। इसमें विटमिन ए और सी, खनिज जैसे फासफोरस, पोटाश्यिम, कैल्श्यिम, सोडियम और लोहा भरपूर मात्रा में होते हैं। इसको कच्चा या पकाकर खाया जा सकता है। भारत में, बंद गोभी आमतौर पर सर्दियों में मैदानी क्षेत्रों में उगाई जाती है।

जलवायु

  • Season

    Temperature

    12-30°C
  • Season

    Rainfall

    80-100 cm
  • Season

    Sowing Temperature

    25-30°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    12 - 18°C
  • Season

    Temperature

    12-30°C
  • Season

    Rainfall

    80-100 cm
  • Season

    Sowing Temperature

    25-30°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    12 - 18°C
  • Season

    Temperature

    12-30°C
  • Season

    Rainfall

    80-100 cm
  • Season

    Sowing Temperature

    25-30°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    12 - 18°C
  • Season

    Temperature

    12-30°C
  • Season

    Rainfall

    80-100 cm
  • Season

    Sowing Temperature

    25-30°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    12 - 18°C

मिट्टी

इसे हर तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है, पर यह अच्छे जल निकास वाली और नमी वाली मिट्टी में उगाने पर अच्छे परिणाम देती है। मिट्टी का pH 5.5 से 6.5 होना चाहिए। यह उच्च तेज़ाबी मिट्टी को सहन नहीं कर सकती।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

Golden acre: यह सारे क्षेत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त,जल्दी पकने वाली, छोटे कद वाली, 4-5 खुले हुए पत्ते, गोलाकार हरी और छोटे आकार के सख्त फूल वाली किस्म है| यह किस्म 60-70 दिनों में तैयार हो जाती है और इसकी औसतन पैदावार 94-104 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|

Pusa Mukta: यह किस्म गोलाकार, सख्त फूल वाली और आकर्षक हल्के रंग की होती है| यह किस्म 85-90 दिनों में तैयार हो जाती है| गर्मियों की फसल की औसतन पैदावार 84 क्विंटल प्रति एकड़ और सर्दियों के मौसम की फसल की औसतन पैदावार 125 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|

Pride of India: यह छोटे कद का पौधा, लगभग गोलाकार, हरे रंग और छोटे से दरमियाने आकार का फूल होता है| इस की औसतन पैदावार 100-125 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|

Pusa Drum Head: यह देरी वाली किस्म है, इसका तना दरमियाना- लम्बा, समतल, हरा रंग और सख्त और बड़े आकार में फूल होता है| इसकी औसतन पैदावार 156-182 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|

दूसरे राज्यों की किस्में

बंद गोभी की प्रसिद्ध किस्में: Golden Acre, Pusa Mukta, Pusa Drumhead, K-1, Pride of india, Kopan hagen, Ganga, Pusa synthetic, Shriganesh gol, Hariana, Kaveri, Bajrang. इनकी औसतन पैदावार लगभग 75-80 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|

Midseason Market, September Early, Early Drum head, late large drum head, K1

ज़मीन की तैयारी

जमीन को भुरभुरा करने के लिए अच्छी तरह से 3-4 बार जोताई करे और फिर मिट्टी को समतल करें। आखिरी जोताई के समय रूड़ी की खाद को मिट्टी में अच्छी तरह डालकर मिलाएं।

बिजाई

बिजाई का समय
निचले क्षेत्रों में: अगस्त-सितंबर
मध्यवर्ती क्षेत्रों में: अगस्त-सितंबर, फरवरी-मार्च
ऊंचे क्षेत्रों में: अप्रैल-जून

फासला
अगेती मौसम की फसलों के लिए 45x30 सैं.मी. और देरी से पजकने वाली फसलों के लिए 60x45 सैं.मी. फासले का प्रयोग करें|

बीज की गहराई    
बीजों को 1-2 सैं.मी. की गहराई पर बोयें।

बिजाई का ढंग
इसकी बिजाई गड्ढा खोदकर और खेत में रोपाई करके की जाती हैं।
नर्सरी में बीजों को बोयें और सिंचाई करें, खादों का प्रयोग आवश्यकता के अनुसार करें। बिजाई के 25-30 दिनों के बाद नए पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। खेत में पौध की रोपाई के लिए 3-4 सप्ताह पुराने पौधों का प्रयोग करें।

बीज

बीज की मात्रा
बिजाई के लिए प्रति एकड़ में 200-290 ग्राम बीजों की आवश्यकता होती है|

बीज का उपचार
बिजाई से पहले बीज को गर्म पानी में 50° सैल्सियस 30 मिनट के लिए या स्ट्रैपटोसाइकलिन 0.01 ग्राम प्रति लीटर में दो घंटों के लिए भिगो दें। बीज उपचार के बाद उन्हें छांव में सुखा दें और बैडों पर बीज दें। रबी की फसल में गलने की बीमारी बहुत पाई जाती है और इससे बचाव के लिए बीजों का मरकरी क्लोराईड के साथ उपचार करें। इसके लिए बीज को मरकरी कलोराइड 1 ग्राम प्रति लीटर घोल में 30 मिनट के लिए डालें और छांव में सुखाएं। रेतली ज़मीनों में बोयी फसल पर तने का गलना बहुत पाया जाता है। इस बीमारी को रोकने के लिए बीज को कार्बनडैज़िम 50% डब्लयू पी 3 ग्राम प्रति किलो बीजों का उपचार करें।

खाद

खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)

UREA SSP MOP
100 280 35

 

तत्व(किलोग्राम प्रति एकड़)

NITROGEN PHOSPHOURS POTASH
46 280 21

 

ज़मीन में पूरी तरह गली हुई रूड़ी की खाद 40 टन प्रति एकड़ और नाइट्रोजन 45 किलो (यूरिया 100 किलो), फासफोरस 45 किलो (सिंगल सुपर फासफेट 280 किलो) और पोटाश 22 किलो (म्यूरेट ऑफ़ पोटाश 22 किलो) प्रति एकड़ मिट्टी में डालें। सारी रूड़ी की खाद, सिंगल सुपर फासफेट, म्यूरेट ऑफ़ पोटाश और आधी यूरिया पनीरी खेत में लगाने से पहले और बाकी यूरिया पनीरी खेत में लगाने के 4 सप्ताह बाद डालें।

अच्छे फूल खिलने और अधिक पैदावार लेने के लिए फसल और पानी के घोल वाली खाद NPK(19:19:19) 10 ग्राम प्रति लीटर पानी शुरूआती दिनों में डालें। पनीरी के खेत में लगाने के 40 दिन बाद 12:61:00, 4-5 ग्राम, सूक्ष्म तत्च 2.5-3 ग्राम+बोरोन 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें। फूलों की अच्छी गुणवत्ता के लिए, फूल विकसित होने के समय पानी घोल वाली खाद 13:00:45@20 ग्राम प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें।

मिट्टी की जांच करवाएं और मैग्नीश्यिम की कमी आने पर मैगनीश्यिम सल्फेट 5 ग्राम प्रति लीटर की स्प्रे, फसल खेत में लगाने के 30-35 दिनों के बाद करें और कैल्श्यिम की कमी आने पर कैल्श्यिम नाइट्रेट 5 ग्राम प्रति लीटर की स्प्रे, फसल खेत में लगाने के 30-35 दिनों के बाद करें। यदि तने खाली और बेरंगे, फूल भूरे और पत्ते मुड़ जाये तो बोरोन की कमी होती है और इसे पूरा करने के लिए बोरैक्स 250-400 ग्राम प्रति एकड़ में डालें|

खरपतवार नियंत्रण

फसल को खेत में लगाने से 4 दिन पहले पैंडीमैथालीन 1 लीटर प्रति एकड़ डालें और बाद में हाथों से एक बार गोडाई करें ।

सिंचाई

फसल को खेत में लगाने के तुरंत बाद, पहली सिंचाई करें। ज़मीन और वातावरण के अनुसार, सर्दियों में 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। नए पौधे आने की अवस्था में सही मात्रा में पानी लगाएं। ज्यादा पानी देने की सूरत में फूलों में दरारें पड़ जाती हैं।

पौधे की देखभाल

कुतरा सुंडी
  • हानिकारक कीट और रोकथाम

कुतरा सुंडी: इसके हमले से बचाव के लिए मिथाइल पैराथियॉन या मैलाथियॉन (5%dust)10-12 किलोग्राम प्रति एकड़ के साथ बिजाई से पहले मिट्टी में डालें।

पत्ते खाने वाली सुंडी

पत्ते खाने वाली सुंडी: यह सुंडी पत्तों को खाती है। यदि नुकसान दिखे तो डाईक्लोरोवॉस 200 मि.ली. को 200 लीटर पानी में या फलूबैनडायामाइड 48% एस सी 0.5 मि.ली. को 3 लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें।

चमकीली पीठ वाला पतंगा

चमकीली पीठ वाला पतंगा: यह बंद गोभी का एक खतरनाक कीड़ा है और पत्तों के नीचे की और अंडे देता है।हरे रंग की सूण्डी पत्तों को खाती हैं और उनमें छेद कर देती हैं।यदि इसे ना रोका जाये तो 80-90 % तक नुकसान हो सकता है।

शुरूआत में नीम की निंबोलियों का रस 40 ग्राम प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें और 10-15 दिन बाद द्वारा स्प्रे करें| इसके बिना बी टी घोल 500 ग्राम प्रति हैक्टेयर की बिजाई से 35 और 50 दिनों के बाद स्प्रे करें। यदि नुकसान बढ़ जाये तो स्पिनोसैड 25 प्रतिशत एस सी 80 मि.ली. प्रति 100 लीटर पानी की स्प्रे करें।

रस चूसने वाले कीड़े : यह कीड़े पत्तों के रस चूसते हैं और पत्ते पीले होकर गिर जाते हैं और ठूठी आकार के हो जाते हैं। यदि चेपे और तेले का नुकसान बढ़ जाये

तो इमीडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल 60 मि.ली. 150 लीटर पानी एकड़ में स्प्रे करें| शुष्क मौसम में नुकसान बढ़ जाता है। इसके लिए थाईमैथोज़ैम 5 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी की स्प्रे करें।

पत्तों के धब्बे
  • बीमारियां और रोकथाम

पत्तों के धब्बे और झुलस रोग: यदि यह बीमारी बढ़ जाये तो मैटालैक्सिीकल 8% मैनकोज़ेब 64% डब्लयू पी 25 ग्राम प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें।

पत्तों के निचले धब्बे: पत्तों के निचली ओर भूरे और जामुनी धब्बे दिखाई देते हैं। खेत की सफाई और फसली चक्र अपनाने से इस बीमारी को कम किया जा सकता है। यदि खेत में
यदि इस बीमारी का हमला दिखे तो मैटालैक्सिल + मैनकोजेब 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। 10 दिनों के अंतराल पर तीन स्प्रे करें। 
 
गलना

गलना: इस बीमारी से बचाने के लिए मरकरी क्लोराइड से बीज का उपचार करें। मरकरी क्लोराइड 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में बीजों को 30 मिनटों के लिए भिगो दें। उसके बाद इन्हें छांव में सुखा लें। यदि पूरे खेत में यह बीमारी नज़र आये तो कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 300 ग्राम स्ट्रेपटोमाइसलिन 6 ग्राम को प्रति 150 लीटर पानी में डाल कर स्प्रे करें।

फसल की कटाई

बंद गोभी के फूल पूरे और बढ़िया आकार के होने पर तुड़ाई करें। तुड़ाई बाजार की मांग के अनुसार की जा सकती है। यदि मांग ज्यादा और मूल्य भी ज्यादा हो तो तुड़ाई जल्दी करें। तुड़ाई के लिए चाकू का प्रयोग किया जाता है।

कटाई के बाद

तुड़ाई के बाद, फूलों को आकार के अनुसार अलग-अलग करें। यदि मांग और मूल्य ज्यादा हो तो तुड़ाई जल्दी की जा सकती है।