गेंदे की फसल के बारे में जानकारी

फसल की कटाई

किस्म के आधार पर गेंदा 2 से 2.5 महीने में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। फ्रैंच गेंदे की किस्म 1.5 महीने में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है जबकि अफ्रीकी गेंदे की किस्म दो महीने में तैयार हो जाती है। जब गेंदे का पूरा आकार विकसित हो जाये तब उसे तोड़ लें। कटाई सुबह के समय और शाम के समय करें। फूलों की तुड़ाई से पहले खेत को सिंचित करना चाहिए इससे फूलों की गुणवत्ता लंबे समय तक बनी रहती है।

कटाई के बाद

फूलों की पैकिंग के लिए बांस की टोकरी या गनी बैग का प्रयोग करें। लोकल या लंबी दूरी वाले स्थानों पर भेज दें। 

फसल की कटाई

किस्म के आधार पर गेंदा 2 से 2.5 महीने में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। फ्रैंच गेंदे की किस्म 1.5 महीने में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है जबकि अफ्रीकी गेंदे की किस्म दो महीने में तैयार हो जाती है। जब गेंदे का पूरा आकार विकसित हो जाये तब उसे तोड़ लें। कटाई सुबह के समय और शाम के समय करें। फूलों की तुड़ाई से पहले खेत को सिंचित करना चाहिए इससे फूलों की गुणवत्ता लंबे समय तक बनी रहती है।

 

उखेड़ा रोग : नमी और घटिया निकास वाली मिट्टी के कारण यह बीमारी लगती है। यह मिट्टी से पैदा होने वाली बीमारी है। तने पर पानी रंग के धब्बे और झुर्रिया बन जाती हैं। यदि इसका हमला नर्सरी में हो जाये तो काफी मात्रा में नए पौधों का नुकसान होता है।
 
इसकी रोकथाम के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 25 ग्राम या कार्बेनडाज़िम 20 ग्राम को 10 लीटर पानी में मिलाकर खालियों में डालें।
पत्तों पर धब्बे
  • बीमारियां और रोकथाम
पत्तों पर धब्बे :  इससे पत्तों के नीचे के ओर सफेद धब्बे पड़ जाते हैं। यह पौधे को अपना भोजन बनाती है। यह ज्यादातर पुराने पत्तों पर हमला करते हैं, पर फसल के विकसित होने की किसी भी अवस्था में विकसित होते हैं। इनके हमले के कारण पत्ते गिर जाते हैं।
 
खेत में पानी खड़ा ना होने दें। खेत को साफ रखें। यदि इनका हमला दिखे तो घुलनशील सलफर 20 ग्राम को 10 लीटर पानी में मिलाकर 10 दिनों के अंतराल पर दो बार स्प्रे करें।
 
थ्रिप्स
थ्रिप्स : इससे पौधे का रंग बदलना शुरू हो जाता है।  पत्ते का रंग बदलना, मुड़ना और गिरना थ्रिप्स के कारण होता है।
 
थ्रिप्स की संख्या के अनुसार एक एकड़ में 20 पीले स्टिकी ट्रैप प्रयोग करें। यदि इसका हमला दिखे तो फिप्रोनिल 1.5 मि.ली. या आज़ार्डिरैक्टिन 3 मि.ली को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
 

पौधे की देखभाल

मिली बग
  • हानिकारक कीट और रोकथाम
मिली बग : यह पत्तों, तनों और नए पत्तों पर देखा जाता है। यह पत्तों पर शहद जैसा पदार्थ छोड़ता है। उस पर बाद में काले रंग की फंगस होती है, जिसे सूटी मॉल्ड कहते हैं। 
यदि इसका हमला दिखे तो डाइमैथोएट 2 मिली को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
 

सिंचाई

मध्य सिंतबर से अक्तूबर तक सप्ताह में एक बार सिंचाई करें और मार्च से अप्रैल तक सप्ताह में तीन या चार बार सिंचाई करें और उसके बाद मई- जून में मौसम के अनुसार सिंचाई करें।

खाद

खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)

CAN SSP
MOP
250 100 27

 

तत्व(किलोग्राम प्रति एकड़)
 
 
NITROGEN PHOSPHORUS POTASH
115 16 16

 

रूड़ी की खाद, एस एस पी और म्यूरेट ऑफ पोटाश की पूरी मात्रा और कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट की आधी मात्रा को खेत की तैयारी के समय प्रयोग करें और बाकी बची कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट की आधी मात्रा को रोपाई के 1 महीने बाद टॉप ड्रेसिंग के तौर पर प्रयोग करें। 

 

 

 

 

खरपतवार नियंत्रण

नदीनों को रोकने के लिए हाथों से गोडाई या नदीननाशक स्प्रे का प्रयोग किया जाता है। नदीनों के नियंत्रण के लिए सप्ताह में एक बार हाथों से गोडाई करें। एट्राज़िन 400-500 ग्राम या पैंडीमैथालीन 600-800 मि.ली. को नदीनों के अंकुरण से पहले और पैराकुएट 600-800 मि.ली. या ग्लाइसेल 800 मि.ली. नदीनों के अंकुरण के बाद प्रति एकड़ में स्प्रे करें। पैराकुएट और ग्लाइसेल को मुख्य फसल पर ना डालें क्योंकि यह मुख्य फसल को नुकसान पहुंचाती है सिर्फ नदीनों पर ही डालें।

बीज

बीज की मात्रा
एक एकड़ खेत के लिए 600 से 800 ग्राम बीजों की आवश्यकता होती है।
जब फसल 30-45 दिन की हो जाए, तब पौधे के सिरे से उसे काट दें। इससे पौधे को झाड़ीदार और घना होने में मदद मिलती है, इससे फूलों की गुणवत्ता और अच्छा आकार भी प्राप्त होता है।
 
बीज का उपचार
बिजाई से पहले बीजों को एजोसपीरियम 200 ग्राम को 50 मि.ली. धान के चूरे में मिलाकर उपचार करें।
 

बिजाई

बिजाई का समय
निचले पहाड़ी क्षेत्रों में :  सितंबर अक्तूबर
मध्य पहाड़ी क्षेत्रों में : जनवरी फरवरी
ऊंची पहाड़ी क्षेत्रों में : मई जून
 
फासला
सीढ़ीनुमा खेती में अफ्रीकन गेंदे के लिए 40ग40 सैं.मी. और छोटे कद की किस्मों के लिए 30x20 सैं.मी. फासले का प्रयोग करें और सामान्य हालातों में अफ्रीकन गेंदे के लिए 60x60 सैं.मी. और छोटे कद की किस्मों के लिए  60x40 सैं.मी. फासले का प्रयोग करें।
 
बीज की गहराई
नर्सरी बैड पर बीजों का छिड़काव करें।
 
बिजाई का ढंग
बिजाई के लिए पनीरी ढंग का प्रयोग किया जाता है।
 

ज़मीन की तैयारी

मिट्टी के भुरभुरा होने तक खेत की जोताई करें। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिए  आखिरी जोताई के समय 250 क्विंटल रूड़ी की खाद और अच्छी तरह से गला हुआ गाय का गोबर मिट्टी में मिलायें।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

African Marigold:  इस किस्म की फसल 90 सैं.मी. तक लम्बी होती है। इसके फूल बड़े आकार के और लैमन, पीले, सुनहरे, संतरी और गहरे पीले रंग के होते हैं। यह लम्बे समय की किस्म है। इसकी अन्य किस्में जैसे Giant Double African Orange, Crown of Gold, Giant Double African Yellow, Chrysanthemum Charm, Golden Age, Cracker Jack  आदि हैं।
 
French Marigold:  यह छोटे कद की जल्दी पकने वाली किस्में हैं। इसके फूल छोटे आकार के और पीले, संतरी, सुनहरे पीले, लाल जंग और महोगनी रंग के होते हैं। इसकी अन्य किस्में जैसे Rusty Red, Butter Scotch, Red
Borcade, Star of India, Lemon drop आदि हैं।
 
दूसरे राज्यों की किस्में
 
Pusa Basanti Gainda: यह लम्बे समय की किस्म है। इसका पौधा 58.80 सैं.मी. लम्बा और गहरे हरे रंग के पत्ते होते हैं। इसके फूल सल्फर पीले, दोहरे और कारनेशन किस्म के होते हैं।
 
Pusa Narangi Gainda: फूल निकलने के लिए 125-136 दिनों की आवश्यकता होती है। इसका पौधा लम्बा और कद में 73.30 सैं.मी. का होता है और पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं। इसके फूल संतरी रंग के और कारनेशन किस्म के होते हैं फूल घने और दोहरी परत वाले होते हैं। इसके ताजे फूलों की पैदावार 140 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 

मिट्टी

इसे मिट्टी की व्यापक किस्मों में उगाया जा सकता है पर यह अच्छे जल निकास वाली उपजाऊ मिट्टी में उगाने पर अच्छे परिणाम देती है। मिट्टी अच्छे निकास वाली होनी चाहिए क्योंकि यह फसल जल जमाव वाली मिट्टी में स्थिर नहीं रह सकती। मिट्टी की पी एच 6.5 से 7.5 होनी चाहिए। तेजाबी और खारी मिट्टी इसकी खेती के लिए अनुकूल नहीं है। फ्रैंच गेंदे की किस्म हल्की मिट्टी में अच्छी वृद्धि करती है। जबकि अफ्रीकी गेंदे की किस्म उच्च जैविक खाद वाली मिट्टी में अच्छी वृद्धि करती है।

  • Season

    Temperature

    25-35°C
  • Season

    Rainfall

    100-150cm
  • Season

    Sowing Temperature

    25-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    28-35°C
  • Season

    Temperature

    25-35°C
  • Season

    Rainfall

    100-150cm
  • Season

    Sowing Temperature

    25-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    28-35°C
  • Season

    Temperature

    25-35°C
  • Season

    Rainfall

    100-150cm
  • Season

    Sowing Temperature

    25-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    28-35°C

जलवायु

  • Season

    Temperature

    25-35°C
  • Season

    Rainfall

    100-150cm
  • Season

    Sowing Temperature

    25-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    28-35°C

आम जानकारी

यह भारत में आम उगाया जाने वाला फूल है। यह बहुत महत्तवपूर्ण फूल है क्योंकि यह व्यापक रूप से धार्मिक और सामाजिक कार्यों में प्रयोग किया जाता है। कीटों को पकड़ने के लिए भी इस फसल का प्रयोग किया जाता है। कम समय के साथ कम लागत की फसल होने के कारण यह भारत की लोकप्रिय फसल बन जाती है। गेंदे के फूल आकार और रंग में आकर्षित होते हैं। इसकी खेती आसान होने के कारण इसे व्यापक रूप से अपनाया जाता है। आकार और रंग के आधार पर इसकी दो किस्में होती हैं- अफ्रीकी गेंदा और फ्रैंच गेंदा। फ्रैंच गेंदे की किस्म का पौधा अफ्रीकी गेंदे के आकार से छोटा होता है। महांराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्रा प्रदेश, तामिलनाडू और मध्य प्रदेश भारत के मुख्य गेंदा उत्पादक राज्य है। दशहरा और दीवाली मुख्य दो त्योहार हैं, जब इस फसल की मांग अधिक होती है।