मूली की खेती

आम जानकारी

मूली एक सर्दियों वाली फसल है, लेकिन इस फसल की कुछ किस्में गर्मियों में भी उगाई जा सकती हैं। मूली, क्रूसीफेरस परिवार से संबंधित है। सही समय पर उपयुक्त किस्मों के चयन से, मूली की खेती पूरे वर्ष में की जा सकती है। इसकी खाद्य जड़ें विभिन्न रंगो जैसे सफेद से लाल रंग की होती हैं। मूली विटामिन बी 6, कैल्शियम, कॉपर, मैग्नीश्यिम और रिबोफलेविन का मुख्य स्त्रोत है। इसमें एसकॉर्बिक एसिड, फॉलिक एसिड और पोटेशियम भी भरपूर मात्रा में होता है। 

जलवायु

  • Season

    Temperature

    18-25°C
  • Season

    Rainfall

    100-225cm
  • Season

    Sowing Temperature

    20-25°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    18-20°C
  • Season

    Temperature

    18-25°C
  • Season

    Rainfall

    100-225cm
  • Season

    Sowing Temperature

    20-25°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    18-20°C
  • Season

    Temperature

    18-25°C
  • Season

    Rainfall

    100-225cm
  • Season

    Sowing Temperature

    20-25°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    18-20°C
  • Season

    Temperature

    18-25°C
  • Season

    Rainfall

    100-225cm
  • Season

    Sowing Temperature

    20-25°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    18-20°C

मिट्टी

इसे मिट्टी की कई किस्मों में उगाया जा सकता है, पर यह हल्की भुरभुरी, रेतली दोमट मिट्टी में उगाने पर अच्छे परिणाम देती है। भारी और घनी मिट्टी में इसकी खेती ना करें, क्योंकि इससे शुष्क और विकृत आकार की जड़ों का उत्पादन होता है। अच्छी उपज के लिए मिट्टी की पी एच 5.5-6.8 होनी चाहिए।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

Asiatic varieties
 
Japanese White : इस किस्म की जड़ें सफेद, लंबी और बेलनाकार होती हैं। यह किस्म 60 दिनों में तैयार हो जाती है। यह किस्म दरमियानी ऊंची पहाड़ी क्षेत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त किस्म है।  इसकी औसतन पैदावार 83-104 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। 

Chinese Pink : इसकी जड़ें गुलाबी होती हैं। यह बेलनाकार, सफेद गुद्दे वाली किस्म है। इसके लंबे पत्तों पर लाल रंग की धारियां होती हैं। यह किस्म 45 दिनों में तैयार हो जाती है। यह किस्म ऊंचे और दरमियाने पहाड़ी क्षेत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त है। इसकी औसतन पैदावार 83-104 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
Pusa Chetki : इसकी जड़ें लंबी, सफेद होती हैं। यह किस्म गर्मियों के मौसम में बोने के लिए उपयुक्त है। इसकी औसतन पैदावार 62.5-83 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
European varieties

Pusa Himani :  यह किस्म 30-35 सैं.मी. लंबी, मोटी, तीखी, और गोल आकार की होती हैं। इस किस्म का ऊपर का हिस्सा हल्के हरे रंग का  और निचला हिस्सा हल्के सफेद रंग का होता है। यह किस्म 55-60 दिनों में तैयार हो जाती है। यह किस्म दिसंबर-फरवरी के महीने में निचले क्षेत्रों में बोने के लिए उपयुक्त है और दरमियाने और ऊंची पहाड़ी क्षेत्रों में गर्मियों के महीने में बोने के लिए उपयुक्त है। इस किस्म की औसतन पैदावार 94-105 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
Palam Hiday : इस किस्म के किनारों के बिना सीधे पत्ते होते हैं। गोल से समतल जड़ें होती हैं, ऊपर का हिस्सा हल्का हरा और निचला हिस्सा हल्के सफेद रंग का होता है। इसका गुलाबी रंग का गुद्दा होता है जो कुरकुरा होता है और बिना रेषे वाला होता है। यह विटामिन सी का उच्च स्त्रोत है। यह किस्म 45-50 दिनों में तैयार हो जाती है और औसतन पैदावार 25 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।

White Icicle : यह किस्म शुद्ध सफेद, छोटी, संकीर्ण और हल्की जड़ों वाली किस्म है। यह किस्म 30 दिनों में पक जाती है। इस किस्म की बिजाई के लिए सर्दियों का मौसम अनुकूल होता है। इस किस्म की औसतन पैदावार 25 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
दूसरे राज्यों की किस्में
 
Rapid Red White Tips : यह बहुत जल्दी पकने वाली यूरोपियन टेबल की किस्म है। यह किस्म 25-30 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी जड़ें छोटी और गहरे लाल रंग की और शुद्ध सफेद रंग का गुद्दा होता है।
 
French Breakfast : यह किस्म घर के कामों में प्रयोग किए जाने के लिए उपयुक्त है।
 
Pusa Desi : यह किस्म उत्तरी मैदानों में उगाने के लिए उपयुक्त है। इसकी जड़ें शुद्ध सफेद होती हैं। यह किस्म 50-55 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं।
 
Punjab Pasand :  यह किस्म मार्च के दूसरे पखवाड़े में बिजाई के लिए उपयुक्त है। यह जल्दी पकने वाली किस्म है, जो बिजाई के बाद 45 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी जड़ें लंबी, सफेद और बालों रहित होती हैं। यह किस्म मौसमी और बेमौसमी फसल के तौर पर उगाई जा सकती है। मुख्य मौसम में इसकी औसतन पैदावार 215 क्विंटल और बेमौसम में इसकी औसतन पैदावार 140 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
Pusa Reshmi : यह किस्म अगेती बिजाई के लिए अनुकूल है। यह 50-60 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
 
Arka Nishant : यह लंबी और गुलाबी जड़ों वाली किस्म है। यह किस्म 50-55 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं।
 

ज़मीन की तैयारी

खेत की अच्छे से जोताई करें और खेत को नदीन रहित बनायें और डलियों को तोड़ें। खेत की तैयारी के समय अच्छी तरह से गली हुई रूड़ी की खाद 5-10 टन प्रति एकड़ में डालें। अच्छी तरह से ना गली हुई रूड़ी की खाद को ना डालें। इससे जड़ें दोमुंही हो जाती हैं।

बिजाई

बिजाई का समय
निचले क्षेत्रों में : अगस्त-सितंबर
दरमियाने क्षेत्रों में :  जुलाई - अक्तूबर
ऊंचे क्षेत्रों में : मार्च-अगस्त
 
फासला 
कतार से कतार में 45 सैं.मी. और पौधे से पौधे में 7.5 सैं.मी. फासले का प्रयोग करें।
 
बीज की गहराई
अच्छी पैदावार के लिए बीजों को 1.25 सैं.मी. गहरा बोयें।
 
बिजाई का ढंग
बिजाई पंक्तियों में या बुरकाव विधि द्वारा की जा सकती है।
 

बीज

बीज की मात्रा
2.5-3.5 किलो बीज प्रति एकड़ में प्रयोग करें।
 

खाद

खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)

UREA SSP MOP
84 125 25

 

तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़) 

NITROGEN PHOSPHORUS POTASH
38 20 15

 

खेत की तैयारी के समय अच्छी तरह से गली रूड़ी की खाद 42 क्विंटल प्रति एकड़ में डालें। नाइट्रोजन 38 किलो (यूरिया 84 किलो), फासफोरस 20 किलो (एस एस पी 125 किलो), पोटाश 15 किलो (म्यूरेट ऑफ पोटाश 25 किलो) प्रति एकड़ में बिजाई के समय मिट्टी में मिलायें।

 

 

सिंचाई

अच्छे अंकुरन के लिए बिजाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें। गर्मियों में मिट्टी की किस्म और जलवायु के आधार पर बाकी की सिंचाइयां 4-6 दिनों के अंतराल पर दें और सर्दियों में 8-15 दिनों के अंतराल पर दें। मूली की पूरी फसल को चार से छ: सिंचाइयों की आवश्यकता होती है। ज्यादा सिंचाई ना करें, इससे जड़ों का आकार बेढंगा और जड़ों के ऊपर बालों की वृद्धि बहुत ज्यादा हो जाती है।  गर्मियों में कटाई से पहले हल्की सिंचाई करें, इससे जड़ें ताजी और दुर्गंध कम हो जाती है।

खरपतवार नियंत्रण

नदीनों की रोकथाम और मिट्टी को हवादार बनाने के लिए हाथों से और कही की सहायता से गोडाई करें। पहली गोडाई बिजाई के 2-3 सप्ताह बाद करें। गोडाई के बाद मेंड़ों पर मिट्टी चढ़ाएं।

पौधे की देखभाल

  • हानिकारक कीट और रोकथाम
चेपा : यह मूली का हानिकारक कीट है। इसका हमला नए पौधे पर या पकने के समय होता है। हमला दिखने पर रोगोर 1 मि.ली. या मैलाथियॉन 50  ई सी 1 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। 10 दिनों के अंतराल पर दो-तीन बार दोबारा स्प्रे करें।  
 
सरसों पर देखी जाने वाली मक्खी : इनका हमला यदि खेत में  दिखे तो इसे रोकने के लिए मैलाथियॉन  50 ई सी 2 मि.ली को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। 10 दिनों के अंतराल पर दोबारा 2-3 बार दोबारा स्प्रे करें।
 
  • बीमारियां और रोकथाम
ऑल्टरनेरिया झुलस रोग : पत्तों पर पीले रंग के धब्बे देखे जा सकते हैं। इनका हमला ज्यादातर बारिश वाले मौसम में होता है। फलियों और बीजों पर फंगस लग जाती है और विकास धीमा हो जाता है।
 
इनका हमला रोकने के लिए मैनकोजेब 3 ग्राम या कार्बेनडाज़िम 3 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
 
सफेद कुंगी :इनका हमला दिखने पर मैनकोज़ेब 2 ग्राम या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
 

फसल की कटाई

फसल की किस्म के अनुसार, मूली बिजाई के 25-60 दिनों के बाद पुटाई के लिए तैयार हो जाती है। पुटाई हाथों से जड़ों को उखाड़कर की जाती है। उखाड़ी गई जड़ों को धोएं और इनके आकार के अनुसार छांटे।

कटाई के बाद

पुटाई के बाद मूली को उनके आकार के अनुसार छांटे। कुछ समय के लिए इन्हें खुला रखा जाता है फिर गनी बैग और टोकरी में पैक किया जाता है।