गाजर के पौधे की देखभाल

आम जानकारी

गाजर एक वर्षीय या छमाही फसल है जो 'अंबैलीफराई फैमिली ' से संबंध रखती है| इसका मूल स्थान 'यूरोप' है| यह विटामिन ए का उच्च स्त्रोत है। गाजर भारत की प्रमुख सब्जी की फसल है। भारत में हरियाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब और उत्तर प्रदेश गाजर उगाने वाले प्रमुख राज्य हैं।

जलवायु

  • Season

    Temperature

    7-23°C
  • Season

    Rainfall

    75-100cm
  • Season

    Sowing Temperature

    18-23°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    20-25°C
  • Season

    Temperature

    7-23°C
  • Season

    Rainfall

    75-100cm
  • Season

    Sowing Temperature

    18-23°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    20-25°C
  • Season

    Temperature

    7-23°C
  • Season

    Rainfall

    75-100cm
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    Sowing Temperature

    18-23°C
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    Harvesting Temperature

    20-25°C
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    Temperature

    7-23°C
  • Season

    Rainfall

    75-100cm
  • Season

    Sowing Temperature

    18-23°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    20-25°C

मिट्टी

गाजर की जड़ों के अच्छे विकास के लिए गहरी, नर्म और चिकनी मिट्टी की जरूरत होती है। बहुत ज्यादा भारी और ज्यादा नर्म मिट्टी गाजरों की फसल के लिए अच्छी नहीं मानी जाती । अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का pH 5.5 से 7 होना चाहिए। (अच्छी पैदावार के लिए 6.5 pH लाभदायक होता है)।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

Early Nantes: इसकी जड़ें बेलनाकार, नोक छोटी, संतरी रंग का गुद्दा होता है, और यह किस्म 110 दिनों में तैयार हो जाती है| इसकी औसतन पैदावार 62.5-80 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|

Chantenay: फल का नीचे वाला हिस्सा तीखा होता है और ऊपर वाला हिस्सा बंद होता है, संतरी रंग का गुद्दा होता है, और यह किस्म 110-130 दिनों में तैयार हो जाती है| इसकी औसतन पैदावार 84-94 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|

Pusa Yamdagni: इसकी जड़ें लम्बी और कम तीखी, नोक दरमियानी, संतरी रंग का गुद्दा होता है, और यह किस्म 80-120 दिनों में तैयार हो जाती है| इसकी औसतन पैदावार 80-105 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|

यूरोपियन किस्में

European Carrot: इस किस्म की जड़ें आकर्षक बेलनाकार, दरमियानी लम्बी (18-20 सैं.मी.), नर्म और संतरी रंग की, सामन्य नोक वाली होती हैं| यह किस्म केराटिन का उच्च स्त्रोत है| यह किस्म 100-110 दिनों में तैयार हो जाती हैं| इसकी औसतन पैदावार 94-115 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|

एशियाई किस्में

Pusa Kesar: इसकी जड़ें लम्बी, संतरी रंग, तीखी होती है और यह किस्म 80-100 दिनों में तैयार हो जाती है| इसकी औसतन पैदावार 83-105 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|

दूसरे राज्यों की किस्में

PC 34: यह लाल रंग की और गहरे हरे पत्तों वाली किस्म है। जड़ों की लंबाई 25 सैं.मी. और जड़ों का व्यास 3.15 सैं.मी. होता है। इसमें टी एस एस की मात्रा 8.8 प्रतिशत होती है। यह किस्म बिजाई के 90 दिनों के बाद पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 204 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।

Punjab Black beauty: इसकी जड़ें जामुनी काली और पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं। इसमें एथोंसाइनिश और फिनोलस जैसे स्त्रोत होते हैं जो कि कैंसर की बीमारी से बचाते हैं। इसमें टी एस एस की मात्रा 7.5 % होती है। यह किस्म बिजाई के 93 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 196 किलोग्राम प्रति एकड़ होती है। इस किस्म की ताजी गाजरें सलाद, जूस और आचार बनाने के लिए प्रयोग की जाती हैं।

विदेशी किस्में: 1) यू एस ए - Red cored chantenay, Danvers half long, Imperator. 2) न्यूज़ीलैंड -  Akaroa long red, spring market improved, Wanganui giant. 3) जापान -Suko  4) बैल्ज़ियम & Belgium white. 5) नीदरलैंड - Early Horn 6) ऑस्ट्रेलिया - Red elephant, western red, yellow 7) फ्रांस - Chantenay, Nantes, oxheart

Pusa Kesar: यह लाल रंग की गाजर की किस्म है और आई ए आर आई, नई दिल्ली की तरफ से तैयार की गई है। यह 90-110 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 120 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।

Pusa Meghali: यह संतरी रंग की गाजर की किस्म है और आई ए आर आई नई दिल्ली की तरफ से तैयार की गई है। इसकी औसतन पैदावार 100-120 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।

New Kuroda: यह हाइब्रिड किस्म समतल क्षेत्रों और पहाड़ी क्षेत्रों में लगाने के लिए अनुकूल होती है।

ज़मीन की तैयारी

खेत को अच्छी तरह जोत कर नदीनों से मुक्त कर लेना चाहिए और कंकड़ों को अच्छी तरह तोड़कर समतल कर लें। खेत की जोताई समय 10 टन रूड़ी की खाद मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें। ताजे गोबर और कम गली खाद को डालने से परहेज़ करें क्योंकि इससे जड़ें नर्म हो जाती हैं।

बिजाई

बिजाई का समय
निचले क्षेत्रों में: अगस्त-सितंबर
मध्यवर्ती क्षेत्रों में: जुलाई-सितंबर
ऊंचे क्षेत्रों में: मार्च-जुलाई

फासला
बिजाई के लिए कतारों के बीच 30 सैं.मी. और पौधों के बीच का फासला 8-10 सैं.मी. होता है।

बीज की गहराई
फसल के अच्छे विकास के लिए बीज की गहराई 2-3 सैं.मी. होनी चाहिए।

बिजाई का ढंग
बिजाई के लिए, गड्ढे खोदकर और बुरकाव विधि का प्रयोग किया जाता है।

बीज

बीज की मात्रा
बिजाई के लिए 2.6 किलो बीज प्रति एकड़ के लिए काफी होते है।

बीज का उपचार
बिजाई से पहले बीजों को 12-24 घंटे पानी में भिगो दें। इससे बीज के अंकुरन में वृद्धि होती है।

खाद

खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)

UREA SSP MOP
42 105 25

 

तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)

NITROGEN PHOSPHORUS POTASH
20 17 15

 

गली-सड़ी हुई रूड़ी की खाद 42 क्विंटल प्रति एकड़ के साथ नाइट्रोजन 20 किलो ( यूरिया 42 किलो), फासफोरस 17 किलो ( सिंगल सुपर फासफेट 105 किलो)  और पोटाश 15 किलो (  म्यूरेट ऑफ पोटाश 25 किलो ) की मात्रा प्रति एकड़ में बिजाई के समय डालें।

खाद के तौर पर पूरी गली-सड़ी रूड़ी की खाद, नाइट्रोजन और म्यूरेट ऑफ़ पोटाश खेत की तैयारी के समय डालें| बिजाई के समय यूरिया की आधी मात्रा और बाकि की बची हुई मात्रा दो बराबर हिस्सों में डालें| पहला हिस्सा मेंड़ों पर मिट्टी चढ़ाने के बाद और दूसरा हिस्सा मिट्टी चढ़ाने के एक महीने बाद डालें|

सिंचाई

बिजाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें। यह अंकुरन में सहायता करती है। उसके बाद मिट्टी की किस्म  और जलवायु के आधार पर बाकी सिंचाइयां गर्मियों में 6-7 दिनों के फासले पर करें और सर्दियों के महीने में 10-12 दिनों के अंतराल पर करें। आमतौर पर गाजर की पूरी फसल को तीन से चार सिंचाइयां की आवश्यकता होती है। ज्यादा सिंचाई से परहेज़ करें क्योंकि इससे जड़ों के गलने का डर रहता है। कटाई से दो या तीन हफ्ते पहले सिंचाई रोक दें। इससे गाजर की मिठास और स्वाद बढ़ जाता है।

खरपतवार नियंत्रण

नदीनों की रोकथाम के लिए, हाथों से या कसी की मदद से गोड़ाई करें ताकि नदीनों की नियमित जांच की जा सके और मिट्टी को हवादार बनाया जा सके|

पौधे की देखभाल

  • हानिकारक कीट और रोकथाम

नीमाटोडस: नीमाटोडस की रोकथाम के लिए नीम केक 0.5 टन प्रति एकड़ में बिजाई के समय डालें।

  • बीमारियां और रोकथाम

पत्तों पर धब्बे: यदि खेत में इसका नुकसान मैनकोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में डालकर पानी स्प्रे करें।

फसल की कटाई

किस्मों के आधार पर बिजाई के 90-100 दिनों के बाद गाजरों की कटाई की जाती है। इसकी पुटाई हाथों से पौधों को जड़ों सहित उखाड़कर की जाती है। कटाई के बाद गाजरों के ऊपरी हरे पत्तों को तोड़कर गाजरों को साफ पानी से धो लिया जाता है। इसकी औसतन पैदावार 83-105 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|

कटाई के बाद

पुटाई के बाद, गाजरों के आकार के अनुसार उनकी छंटाई की जाती है। उसके बाद उन्हें बोरियों या टोकरियों में भर लिया जाता है।