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Temperature
15-30°C -
Rainfall
600-650mm -
Sowing Temperature
25-30°C -
Harvesting Temperature
15-20°C
कृषि

खाद
खेत की तैयारी के समय, रूड़ी की खाद 20 किलो प्रति वर्ग मीटर डालें| खुराक के तौर पर नाइट्रोजन 20 ग्राम, फासफोरस 20 ग्राम और पोटाश 20 ग्राम प्रति वर्ग मीटर और अच्छी तरह तैयार खेत में नए पौधे लगाने से पहले मिलाएं| फूल विकसित होने के बाद, N:P:K@13:00:45 @2 किलो को 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें|
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Temperature
15-30°C -
Rainfall
600-650mm -
Sowing Temperature
25-30°C -
Harvesting Temperature
15-20°C
- बीमारियां और रोकथाम
पत्तों के धब्बे: इस बीमारी के कारण पत्तों की ऊपरी सतह पर हल्के भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं जोकि बाद में गहरे भूरे रंग के हो जाते हैं|
इसकी बीमारी की रोकथाम के लिए, इंडोफिल एम-45 @0.2% 2 ग्राम प्रति लीटर की स्प्रे करें|
मिट्टी
जरबेरा की खेती के लिए हल्की और बढीया निकास वाली मिट्टी उचित होती है| लाल लेटराइट मिट्टी जरबेरा की खेती के लिए अच्छी मानी जाती है| इसकी खेती के लिए मिट्टी का pH 5.0-7.2 होना चाहिए|
सर्कोस्पोरा स्पॉट्स: इस बीमारी के कारण पत्तों की ऊपरी सतह पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं जोकि बाद में काले रंग के हो जाते हैं|
इसकी बीमारी की रोकथाम के लिए, बेनलेट 0.1% या इंडोफिल एम-45 @0.2% 2 ग्राम प्रति लीटर की स्प्रे करें|
सिंचाई
जरबेरा की बिजाई के बाद कई बार खुले पानी से सिंचाई करें| गर्मियों में, सिंचाई 5 दिन के अंतराल पर और सर्दियों में 10 दिनों के अंतराल पर करें| ज़मीन में ज्यादा नमी ना हो क्योंकि इसके कारण बीमारियां हो सकती हैं|
खरपतवार नियंत्रण
जरबेरा की खेती के लिए गोड़ाई आवश्यक है| बिजाई से पहले 3 महीनों में, हर 2 हफ्ते में एक बार गोड़ाई करें और फिर बिजाई के 3 महीने बाद, 30 दिनों के अंतराल पर गोड़ाई करें|

जड़ गलन: यह जरबेरा पौधे की साधारण बीमारी है|
इसकी बीमारी की रोकथाम के लिए, कॉपर-ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लीटर डालें|
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार
लाल रंग के फूलों की किस्म: Salvadore, Amlet, Rainy, Julia, Loraito, Natasha, Sonata.
सफेद रंग के फूलों की किस्म: Top Model, Damblanki, Dalma, Jambla, Balance.
गुलाबी रंग के फूलों की किस्म: Lauriyana, Ariyana, Murail, Pink Elegance, Rosalin.
संतरी रंग के फूलों की किस्म: Elite, Kailiyan, Marinila Solaria.
पीले रंग के फूलों की किस्म: Teqla, Pasto, Solido, Laurence, Pitan, Dana Ellen.
बहुरंगे फूलों की किस्में: Maxima, Figaro.
दूसरे राज्यों की किस्में
हाइब्रिड किस्में:
लाल रंग के फूलों की किस्म: Fredorella, Vesta, Red Impulse, Shania, Dusty, Ruby Red, Tamara and Salvadore.
पीले रंग के फूलों की किस्म: Fredking, Gold spot, Horaizen, Talasaa, Panama, Nadja, Supernova, Mammut, Uranus and Fullmoon.
संतरी रंग के फूलों की किस्म: Orange Classic, Goliath, Carrera, Marasol and Kozak.
गुलाब के फूलों की रंग वाली किस्म: Salvadore and Rosalin.
क्रीम रंग के फूलों की किस्म: Winter Queen, Snow Flake, Dalma and Farida.
गुलाबी रंग के फूलों की किस्म: Valentine, Marmara, Pink Elegance, Terraqueen and Esmara.
सफेद रंग के फूलों की किस्म: White Maria and Delphi.
जामुनी रंग के फूलों की किस्म: Blackjack and Treasure.

सफेद फफूंदी: धब्बे, पत्तों की निचली तरफ सफेद रंग की फफूंदी दिखाई देती है| यह पौधे को खाद्य रूप में इस्तेमाल करता है| यह आमतौर पर पुराने पत्तो पर पाई जाती है पर यह फसल की किसी भी स्थिति में विकसित हो जाती है| इसके कारण पत्ते झड़ने लहग जाते है|
इसकी बीमारी की रोकथाम के लिए, कॉपर-ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लीटर डालें|
पौधे की देखभाल
- हानिकारक कीट और रोकथाम
चेपा: यह पत्तों का रस चूसते हैं जिससे पत्तों में पीलापन आ जाता है| शहद जैसा चिपचिपा पदार्थ और काला फफूंदी जैसा मल उस भाग पर विकसित करता है|
इसकी रोकथाम के लिए, रोगर 30 ई सी 0.1% या मेटासिस्टोक्स 25 ई सी @ 2 मि.ली. प्रति लीटर की स्प्रे 15 दिन के बाद डालें|
आम जानकारी
जरबेरा को “ट्रांसवल डेज़ी”या “अफ्रीकन डेज़ी” के नाम से भी जाना जाता है| यह सजावटी फूलों का पौधा है| यह कोम्पोसिटे परिवार से संबंध रखता है| भारत में जरबेरा कट फ्लावर महाराष्ट्र, उत्तरांचल, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक और गुजरात आदि उगाने वाले मुख्य क्षेत्र है| पंजाब में, जरबेरा की खेती मुख्य तौर पर पॉलीहाउस में की जाती है|
ज़मीन की तैयारी
जरबेरा की खेती के लिए, खेत को अच्छी तरह से तैयार करें| खेत को भुरभुरा बनाने के लिए, रोपण से पहले 2-3 बार जोताई करें| 15 सैं.मी. की ऊंचाई और 1.2 मीटर की चौड़ाई पर बैड तैयार करें|
तना गलन: यह बीमारी आमतौर पर पौधे के निचले हिस्से पर बनती है| यह बीमारी फंगस के कारण होती है| यह बीमारी ज्यादातर ज्यादा नमी वाली जगह पर होती है|
इसकी बीमारी की रोकथाम के लिए, कॉपर-ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लीटर डालें|
बिजाई
बिजाई का समय
जरबेरा की खेती, जनवरी से मार्च और जून से अगस्त तक की जाती है|
फासला
बिजाई के लिए कतारों में 37.5 सैं.मी. और पौधों में 30 सैं.मी. का फासला रखें|
बिजाई का ढंग
• टिशू कल्चर मेथड

सफेद मक्खी: इसकी रोकथाम के लिए, रोगर 30 ई सी 0.1% @ 2 मि.ली. प्रति लीटर या मेटासिस्टोक्स 25 ई सी की स्प्रे 15 दिन के बाद डालें|
फसल की कटाई
रोपण के 3 महीने बाद, जरबेरा पर फूल आने शुरू हो जाते है| सिंगल किस्म की कटाई पंखुड़ियों की बाहर वाली 2-3 कतारें खुलने पर की जाती है और दोहरी किस्म की कटाई फूलों के थोड़ा पकने पर की जाती है। कटाई के बाद फूलों को 200 मि.ग्रा. एच. क्यू. सी. और 5% सुक्रोस के घोल में लगभग 5 घंटे रखने से कटाई किए गए फूलों की ज़िंदगी बढ़ाई जा सकती है। खुले खेत में कटाई किए गए फूलों की औसतन उपज 140-150 फूल प्रति वर्गमीटर प्रति वर्ष होती है और ग्रीन हाउस में कटाई किए गए फूलों की औसतन पैदावार 225-250 फूल वर्गमीटर प्रति वर्ष होती है।
बीज
बीज की मात्रा
आरोपण के समय 6 पौधे प्रति वर्ग मीटर का प्रयोग करें|
बीज का उपचार
फुमीगेशन विधि द्वारा बैड तैयार करने के साथ मिथाइल बरोमाइड 30 ग्राम प्रति वर्ग मीटर या फोरमेलिन 100 मि.ली.को 5 लीटर प्रति वर्ग मीटर पानी में मिलाकर मिट्टी से पैदा होने वाली बीमारीयां जैसे कि पाईथीयम, फाइटोफ्थोरा, फ़ुज़ेरियम से बचाव किया जा सकता है|
जलवायु
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Temperature
15-30°C -
Rainfall
600-650mm -
Sowing Temperature
25-30°C -
Harvesting Temperature
15-20°C
कटाई के बाद
कटाई के बाद, इनको अलग-अलग श्रेणी में रखा जाता है| फिर इन फूलो को गत्तों के बक्सों में पैक करके लम्बे समय की दूरी पर भेजा जाता है|
प्रजनन
इसका प्रजनन गांठे या टिशू कल्चर मेथड द्वारा किया जाता है|
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Temperature
15-30°C -
Rainfall
600-650mm -
Sowing Temperature
25-30°C -
Harvesting Temperature
15-20°C
सुरंगी कीट: इसकी रोकथाम के लिए, रोगोर 40 ई सी 0.1% @ 2 मि.ली. प्रति लीटर या मेटासिस्टोक्स 25 ई सी की स्प्रे 15 दिन के बाद डालें|

थ्रिप्स: पौधे के टिशू पर धब्बे पड़ जाते है| थ्रिप्स के कारण पत्तों पर धब्बे पड़ जाते है, गिर जाते है और मुड़ जाते है|
इसकी रोकथाम के लिए, रोगोर 30 ई सी 0.1% @2 मि.ली. प्रति लीटर या मेटासिस्टोक्स 25 ई सी की स्प्रे 15 दिन के बाद डालें|