Gola : इसके फल गोल आकार के सुनहरे पीले रंग के होते हैं। नर्म गुद्दा, कम रसदार होते हैं। इसकी औसतन पैदावार 125 किलोग्राम प्रति वृक्ष होती है।
Muriya murhara: इसके फल अंडाकार, ऊपर का हिस्सा तीखा और निचला हिस्सा चौड़ा, नर्म गुद्दा जो कि स्वाद में मीठा होता है। इसकी औसतन पैदावार 125 किलोग्राम प्रति वृक्ष होती है।
Sanaur-5: इसके फल बड़े गोल आकार के, निचला हिस्सा कम चौड़ा, गुद्दा सुनहरे पीले रंग का, मीठा, टी एस एस की मात्रा 18 प्रतिशत होती है। इसके फल मार्च के दूसरे पखवाड़े में पक जाते हैं और इसकी औसतन पैदावार 150 किलो प्रति वक्ष होती है।
दूसरे राज्यों की किस्में
Seb: इसके फलों का औसतन भार 14 ग्राम होता है। इसकी औसतन पैदावार 80 किलो प्रति वृक्ष होती है। इसमें घुलनशील ठोस की मात्रा 20.7 प्रतिशत होती है। विटामिन सी 85 मि.ग्रा. प्रति 100 ग्राम होता है और अम्लीय 44 प्रतिशत होता है। इस किस्म के फल जनवरी के आखिरी हफ्ते में पक जाते हैं।
Mundia: इसके फल घंटी के आकार के होते हैं, जो कि पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं। इसमें घुलनशील ठोस की मात्रा 18.5 प्रतिशत होती है। विटामिन सी 90.7 मि.ग्रा. प्रति 100 ग्राम होता है और अम्लीय की मात्रा 29 प्रतिशत होती है। इसकी औसतन पैदावार 125 किलो प्रति वृक्ष होती है।
Umran: इस किस्म के फल अंडाकार आकार के चमकदार होते हैं इसके फल का रंग सुनहरी पीला होता है जो पूरी तरह पकने के बाद चॉकलेटी रंग के हो जाते हैं। इसकी फसल मार्च के आखिर या अप्रैल के मध्य तक पककर तैयार हो जाती है। इसके एक बूटे की पैदावार 150 से 200 किलोग्राम होती है।
Kaithli: इस किस्म के फल दरमियाने और अंडाकर आकार के होते हैं और फल का रंग हरा पीला होता है। इसकी फसल मार्च के आखिर में पककर तैयार हो जाती है। इसके फलों में मिठास भरपूर मात्रा में होती है। इसके बूटे से 75 किलोग्राम तक फल प्राप्त हो जाते हैं। इस किस्म को फफूंद के हमले का ज्यादा खतरा रहता है।
ZG 2: इस किस्म के बूटे का आकार काफी घना और फैला हुआ होता है। इसके फल छोटे और अंडाकार आकार के होते हैं। पकने के बाद इनका रंग हरा हो जाता है। इसका फल भी मिठास से भरपूर होता है। इस किस्म पर फफूंद का हमला नहीं होता। यह किस्म मार्च के आखिर में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म के प्रति बूटे की पैदावार 150 किलोग्राम तक हो सकती है।
Wallaiti: इस किस्म के फल दरमियाने से बड़े आकार के होते हैं। पकने पर इसके फल का रंग सुनहरी पीला हो जाता है। इसमें टी एस एस की मात्रा 13.8 से 15 प्रतिशत तक होती है। इस किस्म के प्रति बूटे की पैदावार 114 किलोग्राम तक हो सकती है।
Sanaur 2: इस के फल बड़े आकर और नर्म परत वाले होते हैं। इसका रंग सुनहरी पीला होता है। इसका फल भी बहुत मिठास भरपूर होता है जिसमें टी एस एस की मात्रा 19 प्रतिशत तक होती है। यह किस्म भी फफूंद के हमले से रहित होती है। मार्च के अंतिम पखवाड़े में इसका फल पककर तैयार हो जाता है। इस किस्म के प्रति बूटे की पैदावार 150 किलोग्राम तक हो सकती है।
Banarasi Kadaka
Mehrun
Parbhani
Elaichi
Sanam 5