कृषि

मिट्टी
इसे मिट्टी की व्यापक किस्मों में उगाया जा सकता है। अच्छे निकास वाली पहाड़ी मिट्टी पपीते की खेती के लिए उपयुक्त होती है। रेतली और भारी मिट्टी में इसकी खेती ना करें। पपीते की खेती के लिए मिट्टी की पी एच 6.5-7.0 होनी चाहिए।
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार
ज़मीन की तैयारी
पपीते की खेती के लिए, अच्छी तरह से तैयार ज़मीन की आवश्यकता होती है। मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए ज़मीन को समतल करना ज़रूरी है। आखिरी जोताई के समय गली हुई रूड़ी की खाद डालें।
बिजाई
पनीरी की देख-रेख और रोपण
नए पौधों को 25x10 सैं.मी. लंबाई, चौड़ाई वाले पॉलीथीन के बैगों में तैयार किया जाता है। इन पॉलीथीन बैगों में पानी के उचित निकास के लिए निचले हिस्से में 1 मि.मी. अर्द्ध व्यास के 8-10 छेद करें। रूड़ी की खाद, मिट्टी और रेत के समान अनुपात से पॉलीथीन बैगों को भरें। मुख्य तौर पर पॉलीथीन बैग में जुलाई के दूसरे सप्ताह से सितंबर के तीसरे सप्ताह तक बीजों को बोया जाता है। बिजाई से पहले, कप्तान 3 ग्राम से प्रति किलो बीज का उपचार करें। नये निकले पौधों को उखेड़ा रोग से बचाने के लिए कप्तान 0.2 प्रतिशत का मिट्टी में छिड़काव करें। नए पौधों की रोपाई अक्तूबर नवंबर महीने में की जाती है।
खाद
रोपाई के समय कोई भी खाद ना डालें। उसके बाद फरवरी महीने में N:P:K(19:19:19) 1 किलो दो बार डालें।
सिंचाई
मौसम, फसल की वृद्धि और मिट्टी की किस्म के आधार पर सिंचाई करें।
पौधे की देखभाल

- बीमारियां और रोकथाम


- हानिकारक कीट और रोकथाम

फसल की कटाई
मुख्यत: फल के पूरा आकार लेने, हल्का हरा होने और शिखर से पीला होने पर फल की तुड़ाई की जाती है। पहली तुड़ाई रोपाई के 14-15 महीनों के बाद की जा सकती है। 4-5 तुड़ाइयां प्रति मौसम की जा सकती हैं।