Himachal Cowpea 1 (C-475): यह पहली किस्म है जो उप पहाड़ी और कम पहाड़ी के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाई गई है। यह अधिक उपज देती है और सफेद दानों वाली किस्म है। यह मध्यम कद और मोटे तने वाली किस्म है। इसके हल्के हरे रंग के पत्ते होते हैं, 13-15 सैं.मी. लंबी फलियां होती हैं और प्रत्येक फली में 10-12 दाने होते हैं। यह किस्म 80-85 दिनों में पक जाती है। यह किस्म सरकोस्पोरा पत्ता धब्बा रोग, पीला चितकबरा रोग और पीला सुनहरा चितकबरा रोग के प्रतिरोधी है। इसके दानों की औसतन उपज 5-6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Himachal Cowpea 2 (C-519): इस किस्म की खेती उप पर्वतीय और कम पर्वतीय के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में करने के लिए उपयुक्त है। इसके हरे पौधों की औसतन पैदावार 18-20 क्विंटल और दानों की औसतन पैदावार 6-7 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म हरी सब्जियों और दालों के रूप में भी प्रयोग की जाती है। यह किस्म 85-90 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह किस्म सरकोस्पोरा पत्ता धब्बा रोग, झुलस रोग और पीला चितकबरा रोग के प्रतिरोधक किस्म है।
दूसरे राज्यों की किस्में
Cowpea 88: इस किस्म की पूरे राज्य में खेती करने के लिए सिफारिश की जाती है। इसे हरा चारा प्राप्त करने के साथ साथ बीज प्राप्त करने के उद्देश्य से भी उगाया जाता है। इसकी फली लंबी और बीज मोटे और चॉकलेटी भूरे रंग के होते हैं। यह पीला चितकबरा रोग और एंथ्राक्नोस रोग के प्रतिरोधी है। इसके बीज की औसतन पैदावार 4.4 क्विंटल प्रति एकड़ और हरे चारे की पैदावार 100 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
CL 367: इस किस्म को चारा प्राप्त करने के साथ साथ बीज प्राप्त करने के उद्देश्य से उगाया जाता है। यह किस्म ज्यादा फलियां पैदा करती है। इसके बीज छोटे और क्रीमी सफेद रंग के होते हैं। यह किस्म पीला चितकबरा रोग और एंथ्राक्नोस रोग के प्रतिरोधी है। इसके बीज की औसतन पैदावार 4.9 क्विंटल प्रति एकड़ और हरे चारे की पैदावार 108 क्विंटल होती है।
Kashi Kanchan: यह छोटी और फैलने वाली किस्म है। इसकी खेती गर्मी के मौसम के साथ साथ बरसात के मौसम में की जा सकती है। इसकी फलियां नर्म और गहरे हरे रंग की होती हैं। इसकी फली की औसतन पैदावार 6-7 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।