Suketi-1 (DPM-8909): यह अधिक उपज वाली किस्म है जो एक समय में तैयार हो जाती है इसलिए इसकी कटाई एक समय में ही की जाती है। यह किस्म खरीफ मौसम में उगाने के लिए उपयुक्त है। यह किस्म पीला चितकबरा रोग की प्रतिरोधक और पत्तों के रोगों को सहनेयोग्य होती है। यह किस्म 85 दिनों में पक जाती है और इसकी औसतन पैदावार 4 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Shining Moong Number-1: यह जल्दी पकने वाली किस्म है जो 70-80 दिनों में तैयार हो जाती है। इसके दाने मोटे और चमकदार होते हैं। यह किस्म बीमारियों के कुछ हद तक प्रतिरोधक है। इसकी औसतन पैदावार 2.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Pusa Baisakhi: यह जल्दी पकने वाली किस्म है जो 65-70 दिनों में पक जाती है। यह किस्म गर्मियों और खरीफ के मौसम में उगाने के लिए उपयुक्त है। इसकी औसतन पैदावार 2.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
दूसरे राज्यों की किस्में
Marudhar (GNG 1958): इसकी खेती सिंचित क्षेत्रों में की जाती है यह किस्म सिंचित हालातों में सामान्य बिजाई के लिए भी उपयुक्त है। इसके बीज भूरे रंग के होते हैं। यह किस्म 145 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 8-10 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Triveni (GNG 1969): इसकी खेती सिंचित क्षेत्रों में की जाती है यह किस्म सिंचित हालातों में सामान्य बिजाई के लिए भी उपयुक्त है। यह किस्म 146 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 9 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Gangaur (GNG 1981): यह किस्म 2008 में भारत के उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों के लिए विकसित की गई। इस किस्म के दाने हरे रंग के होते हैं। इसके 100 बीजों का भार 15-18 ग्राम होता है। राजस्थान में इस किस्म को ज्यादा पसंद किया जाता है। इसकी अधिक शाखाएं होती हैं और कई बार तो एक फली में 3 दाने भी पाये जाते हैं। इसकी औसतन पैदावार 10 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Sangam (GNG 1488): यह पिछेती बिजाई की किस्म है जो कि 2007 में राजस्थान क्षेत्र के लिए विकसित की गई है। इस किस्म की बिजाई दिसंबर के पहले सप्ताह में की जाती है। इसके बीज भूरे और चमकदार होते हैं। दाने मध्यम आकार के होते हैं। 100 दानों का भार 15.8 ग्राम होता है। पिछती बिजाई से यह किस्म 130-135 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 7.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Gauri (GNG 1499): यह किस्म 2007 में राजस्थान के क्षेत्रों के लिए विकसित की गई है। इसके दाने मोटे होते हैं इसके 100 दानों का भार 29-30 ग्राम होता है और फूल सफेद रंग के होते हैं। यह किस्म 143 दिनों में तैयार हो जाती है और इसकी औसतन पैदावार 7.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Vardan (GNG 663): यह छोटे दानों वाली पुरानी किस्म है जिसके दाने भूरे रंग के होते हैं। इसकी औसतन पैदावार 8-10 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Samrat (GNG 469): यह किस्म 1997 में उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों के लिए जारी की गई है। इसके भूरे रंग के दाने होते हैं जिनके 100 दानों का भार 23-24 ग्राम होता है।
GNG 1292: यह छोटे दानों के आकार की किस्म है (100 दानों का भार 22 ग्राम) जो 2002 में राजस्थान क्षेत्रों के लिए विकसित की गई है। इसकी औसतन पैदावार 10 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
RSG 888: यह देसी किस्म है यह किस्म 2001 में भारत के राजस्थान और उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों के लिए जारी की गई है। इसके दाने मध्यम आकार के होते हैं। इसकी औसतन पैदावार 8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
PBG 7: इस किस्म की पूरे पंजाब में खेती के लिए सिफारिश की गई है। यह किस्म अशोचत्य झुलस रोग के कुछ हद तक प्रतिरोधक और सूखे के प्रतिरोधक और सूखी जड़ों के गलने के प्रतिरोधक है। इसके दाने मध्यम आकार के होते हैं और औसतन पैदावार 8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 159 दिनों में पक जाती है।
CSJ 515: यह किस्म सिंचित हालातों में उगाने के उपयुक्त, बीज छोटे और भूरे रंग के और 100 बीजों का भार 17 ग्राम होता है। यह किस्म कुछ हद तक सूखी जड़ों के गलने के प्रतिरोधी और अशोचत्य झुलस रोग को सहनेयोग्य है। यह किस्म 135 दिनों में पक जाती है और औसतन पैदावार 7 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
BG 1053: यह एक काबुली किस्म है इसके फूल जल्दी निकलते हैं और यह किस्म 155 दिनों में पक जाती है। इसके बीज क्रीमी सफेद रंग के और आकार में मोटे होते हैं। यह पूरे राज्य के सिंचित हालातों में उगाने के लिए उपयुक्त है।
L 550: यह काबुली किस्म है अर्द्ध फैलने वाली और जल्दी फूल निकलने वाली किस्म है। यह 160 दिनों में पक जाती है। इसके बीज क्रीमी सफेद रंग के होते हैं। इसकी औसतन पैदावार 6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
L 551: यह काबुली किस्म है। यह सूखे की बीमारी के प्रतिरोधक किस्म है। यह किस्म 135-140 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 6-8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
GLK 28127: यह किस्म सिंचित क्षेत्रों में खेती करने के लिए उपयुक्त है। इसके बीज बड़े आकार के और हल्के पीले या क्रीम रंग के होते हैं। इसका आकार उल्लू के सिर के आकार की तरह अनियमित होता है। यह किस्म 149 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
GPF2: इस किस्म का पौधा लंबा होता है और सीधा बढ़ता है। यह अशोचत्य झुलस रोग के अधिक प्रतिरोधक किस्म है यह किस्म लगभग 165 दिनों में पक जाती है। इसकी औसतन पैदावार 7.6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Aadhar (RSG-963): यह किस्म सूखे, सूखी जड़ गलन, बी जी एम और तना गलन, फली छेदक, निमाटोड के कुछ हद तक प्रतिरोधी है। यह किस्म 125-130 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Anubhav (RSG 888): यह किस्म बारानी क्षेत्रों में खेती करने के लिए उपयुक्त है। यह सूखे और जड़ गलन के कुछ हद तक प्रतिरोधी है। यह किस्म 130-135 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 9 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Pusa Chamatkar: यह काबुली किस्म है। यह सूखे को सहनेयोग्य किस्म है। यह 140-150 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 7.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
C 235: यह किस्म 145-150 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह किस्म तना गलन और झुलस रोग को सहनेयोग्य है। इसके दाने मध्यम आकार के और भूरे रंग के होते हैं। इसकी औसतन पैदावार 8.4-10 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
G 24: यह अर्द्ध फैलने वाली किस्म, बारानी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। यह किस्म 140-150 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 10-12 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
G 130: यह मध्यम समय की किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 8-12 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Pant G 114: यह किस्म 150 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह किस्म झुलस रोग के प्रतिरोधी है। इसकी औसतन पैदावार 12-14 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
C 104: यह काबुली किस्म, पंजाब और उत्तर प्रदेश के लिए उपयुक्त है। इसकी औसतन पैदावार 6-8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Pusa 209: यह किस्म 140-165 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जात है। इसकी औसतन पैदावार 10-12 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।