Himachal Chana-1: यह किस्म उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के उप पहाड़ी और कम पहाड़ी क्षेत्रों में बिजाई के लिए उपयुक्त है। यह मध्यम लंबी और सीधी फैलने वाली किस्म है। इसके पत्ते छोटे और गुलाबी रंग के फूल होते हैं। यह किस्म 190-200 दिनों में पक जाती है और 4-5 क्विंटल प्रति एकड़ औसतन पैदावार देती है।
Himachal Chana-2: यह एक नई किस्म है जिसकी उष्णकटिबंधीय पर्वतीय क्षेत्रों के उप पहाड़ी और कम पहाड़ी वाले क्षेत्रों में उगाने के लिए सिफारिश की गई है। इसका पौधा मध्यम लंबा (ऊंचाई में 60-65 सैं.मी.), छोटे पत्ते और फूल गुलाबी रंग में होते हैं। इसके दाने मध्यम आकार के और लाल भूरे रंग के होते हैं। यह किस्म सूखे के प्रतिरोधी है। इसकी औसतन पैदावार 4-5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
HPG-17: यह किस्म सभी क्षेत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त है। इसके बीज मोटे होते हैं (22 ग्राम प्रति 100 बीज) । यह किस्म एंथ्राक्नोस और सूखे के प्रतिरोधी है। यह मध्यम फैलने वाली किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 5-6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
दूसरे राज्यों की किस्में
RSG-44: यह किस्म 1991 में RAU, दुर्गापुर द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 8-10 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म पकने के लिए 135-185 दिन लेती है। यह किस्म सूखे और ठंड के प्रतिरोधी है।
KPG 59: यह किस्म 1992 में CASUAT द्वारा जारी की गई है। यह पिछेती बिजाई वाली किस्म है जिसके बीज मोटे होते हैं। इसकी औसतन पैदावार 8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म पकने के लिए 135-150 दिनों का समय लेती है। यह किस्म रतुआ रोग, सूखा और फली छेदक को सहने योग्य है।
Pusa 372 (BG 372): यह किस्म 1993 में IARI द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 5-6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 135-150 दिनों में पक जाती है। यह किस्म झुलस रोग, सूखा और रतुआ रोग को सहने योग्य है। इसके बीज छोटे होते हैं जो कि हल्के भूरे रंग के होते हैं।
Pusa 329: यह किस्म 1993 में IARI द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 8-9 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 145-155 दिनों में पक जाती है। यह किस्म सूखे और सलेटी रंग की फंगस के काफी हद तक प्रतिरोधी होती है।
Vardan (GNG-663): यह किस्म RAU, श्रीनगर द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 9-10 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 150-155 दिनों में पक जाती है। यह किस्म सूखे के प्रतिरोधी होती है।
GPF 2: यह किस्म 1995 में PAU द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 8-9 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 152 दिनों में पक जाती है। यह किस्म सूखे के प्रतिरोधी और झुलस रोग को सहने योग्य है। इसके बीज पीले भूरे रंग के होते हैं।
Pusa-362: यह किस्म 1995 में IARI द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 9-10 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 145-150 दिनों में पक जाती है। इसके बीज मोटे होते हैं और यह किस्म सूखे को सहनेयोग्य है।
Alok (KGD 1168): यह किस्म 1996 में CSAUAT द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 7-8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 145-150 दिनों में पक जाती है। यह किस्म सूखे और रतुआ रोग के प्रतिरोधी है।
Samrat (GNG 469): यह किस्म RAU, श्रीनगर द्वारा 1997 में जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 7-8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 145-150 दिनों में पक जाती है। यह किस्म झुलस रोग के प्रतिरोधी और सूखे और रतुआ रोग को सहने योग्य है। यह किस्म कम वर्षा वाले क्षेत्रों और सिंचित क्षेत्रों में उगाने के लिए अनुकूल है।
Karnal Chana-1: यह किस्म उत्तरी राजस्थान में उगाने के लिए अनुकूल है। यह किस्म 1997 में CSSRI, करनाल द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 9-11 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 140-147 दिनों में पक जाती है। यह किस्म सूखे के प्रतिरोधी है।
DCP-92-3: यह किस्म 1997 में IIPR द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 7-8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 145-150 दिनों में पक जाती है। इसके बीज मध्यम मोटे, पीले भूरे रंग के होते हैं। यह किस्म उत्तरी राजस्थान में उगाने के लिए उपयुक्त है जहां पर भूमि उपजाऊ और नमी ज्यादा मात्रा में है।
Pusa Chamatkar (G 1053) Kabuli: यह किस्म 1999 में IARI द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 7-8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 145-150 दिनों में पक जाती है। यह किस्म सूखे के प्रतिरोधी है।
Asha (RSG 945): यह किस्म 2005 में ARS, दुर्गापुर द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 7 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 75-80 दिनों में पक जाती है। यह किस्म सूखी जड़ों और सूखे की कुछ हद तक प्रतिरोधी है।
PGC-1 (Pratap Channa 1): यह किस्म 2005 में ARS, बंसवारा द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 5-6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 90-95 दिनों में पक जाती है। यह किस्म सूखे और फली बेधक की कुछ हद तक प्रतिरोधी है।
Arpita (RSG-963): यह किस्म 2005 में ARS, बीकानेर द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 125-130 दिनों में पक जाती है। यह किस्म जड़ गलन, सूखा और बोट्रीटिस ग्रे मोल्ड के लिए कुछ हद तक प्रतिरोधी है।
Aadhar (RSG-963): यह सूखा, जड़ गलन, बोट्रीटिस ग्रे मोल्ड और तना गलन, फली बेधक और नेमाटोडस के लिए कुछ हद तक प्रतिरोधक किस्म है। यह 125-130 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Abha (RSG-973): यह किस्म 2006 में ARS, दुर्गापुर द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 120-125 दिनों में पक जाती है। यह किस्म कुछ हद तक जड़ गलन और सूखे के प्रतिरोधी है।
Abha (RSG-807): यह किस्म 2006 में ARS, दुर्गापुर द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 7.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 120-125 दिनों में पक जाती है। यह किस्म सूखा जड़ गलन के कुछ हद तक प्रतिरोधी है।
Rajas: यह किस्म 2007 में MPKV द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 7.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 136 दिनों में पक जाती है। यह किस्म सूखा रोग के प्रतिरोधी है।
GNG 421 (Gauri): यह किस्म 2007 में ARS, श्री गंगानगर द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 7.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 127-160 दिनों में पक जाती है। यह किस्म सूखा जड़ गलन, विकास का रूकना और सूखे के प्रतिरोधी है।
GNG 1488 (Sangam): यह किस्म 2007 में ARS, श्री गंगानगर द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 7.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 99-157 दिनों में पक जाती है। यह किस्म सूखा जड़ गलन, विकास का रूकना के प्रतिरोधी है।
RSG 991 (Aparna): यह किस्म 2007 में ARS, दुर्गापुर द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 5-6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 130-135 दिनों में पक जाती है। यह किस्म सूखा जड़ गलन, सूखा और तना गलन के प्रतिरोधी है।
RSG 896 (Arpan): यह किस्म 2007 में ARS, दुर्गापुर द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 5-6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 130-135 दिनों में पक जाती है। यह किस्म सूखा जड़ गलन, सूखा और फली बेधक के प्रतिरोधी है।
RSG 902 (Aruna): यह किस्म 2007 में ARS, दुर्गापुर द्वारा जारी की गई है। इसकी औसतन पैदावार 6-7 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म 130-135 दिनों में पक जाती है। यह किस्म सूखा जड़ गलन, सूखा और फली बेधक के प्रतिरोधी है।
RSG 974 (Abhilasha): यह किस्म 2010 में ARS, दुर्गापुर द्वारा जारी की गई है। यह किस्म 130-135 दिनों में पक जाती है। यह किस्म सूखा जड़ गलन, बोट्रीटिस ग्रे मोल्ड सूखा और चितकबरा रोग के प्रतिरोधी है।
GNG 1958: यह सिंचित इलाकों और आम सिंचाई वाले क्षेत्रों के लिए अनुकूल है। यह किस्म 145 दिनों में पक जाती है। इसके बीज भूरे रंग के होते हैं। इसकी औसतन पैदावार 8-10 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|
PBG 7: पूरे पंजाब में इसकी बिजाई की सिफारिश की जाती है। यह किस्म फली के ऊपर धब्बा रोग, सूखा और जड़ गलन रोग की प्रतिरोधी है। इसके दाने दरमियाने आकार के होते हैं और इसकी औसतन पैदावार 8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म तकरीबन 159 दिनों में पक जाती है।
CSJ 515: यह किस्म सिंचित इलाकों के लिए अनुकूल है। इसके दाने छोटे और भूरे रंग के होते हैं और भार 17 ग्राम प्रति 100 बीज होता है। यह जड़ गलन रोग की प्रतिरोधी है और फली के ऊपर धब्बों के रोग को सहनेयोग्य है। यह किस्म तकरीबन 135 दिनों में पक जाती है और इसकी औसतन पैदावार 7 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
BG 1053: यह काबुली चने की किस्म है। इस किस्म के फूल जल्दी निकल आते हैं और यह 155 दिनों में पक जाती है। इसके दाने सफेद रंग के और मोटे होते हैं। इसकी औसतन पैदावार 8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। इनकी खेती पूरे प्रांत के सिंचित इलाकों में की जाती है।
L 550: यह काबुली चने की किस्म है। यह दरमियानी फैलने वाली और जल्दी फूल देने वाली किस्म है। यह 160 दिनों में पक जाती है। इसके दाने सफेद रंग के और औसतन पैदावार 6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
L 551: यह काबुली चने की किस्म है। यह सूखा रोग की प्रतिरोधी किस्म है। यह 135-140 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है और इसकी औसतन पैदावार 6-8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
GNG 1969: यह सिंचित इलाकों और आम सिंचाई वाले क्षेत्रों के लिए अनुकूल है। इसका बीज सफेद रंग का होता है और फसल 146 दिनों में पक जाती है। इसकी औसतन पैदावार 9 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
GLK 28127: यह सिंचित इलाकों के लिए अनुकूल किस्म है इसके बीज हल्के पीले और सफेद रंग के और बड़े आकार के होते हैं। जो दिखने में उल्लू जैसे लगते हैं। यह किस्म 149 दिनों में पक जाती है। इसकी औसतन पैदावार 8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
GPF2: इस किस्म के पौधे लंबे होते हैं जो कि ऊपर की ओर बढ़ते हैं। यह फली के ऊपर पड़ने वाले धब्बा रोग की प्रतिरोधी किस्म है। यह किस्म तकरीबन 165 दिनों में पक जाती है। इसकी औसतन पैदावार 7.6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Aadhar (RSG-963): यह किस्म फली के धब्बा रोग, जड़ गलन, बी.जी. एम, तने से जड़ तक के मध्य हिस्से का गलना, फली का कीट और नीमाटोड आदि की प्रतिरोधी है। यह किस्म तकरीबन 125-130 दिनों में पक जाती है। इसकी औसतन पैदावार 6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Anubhav (RSG 888): यह किस्म बारानी क्षेत्रों के लिए अनुकूल है। यह सूखा रोग और जड़ गलन की रोधक किस्म है। यह किस्म तकरीबन 130-135 दिनों में पक जाती है। इसकी औसतन पैदावार 9 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Pusa Chamatkar: यह काबुली चने की किस्म है। यह किस्म तकरीबन 140-150 दिनों में पक जाती है। इसकी औसतन पैदावार 7.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
C 235: यह किस्म तकरीबन 145-150 दिनों में पक जाती है। यह किस्म तना गलन और झुलस रोग को सहनेयोग्य है। इसके दाने दरमियाने आकार के और पीले-भूरे रंग के होते हैं। इसकी औसतन पैदावार 8.4-10 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
G 24: यह दरमियानी फैलने वाली किस्म है और बारानी क्षेत्रों के लिए अनुकूल है। यह किस्म तकरीबन 140-145 दिनों में पक जाती है। इसकी औसतन पैदावार 10-12 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
G 130: यह दरमियाने अंतराल की किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 8-12 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Pant G 114: यह किस्म तकरीबन 150 दिनों में पक जाती है। यह झुलस रोग की रोधक किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 12-14 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
C 104 : यह काबुली चने की किस्म, पंजाब और उत्तर प्रदेश में खेती के लिए अनुकूल है। इसकी औसतन पैदावार 6-8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Pusa 209: यह किस्म तकरीबन 140-165 दिनों में पक जाती है। इसकी औसतन पैदावार 10-12 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।