कृषि

आम जानकारी
भारत विश्व में तिल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। कम समय की फसल होने के कारण इसे पूरे वर्ष उगाया जा सकता है। इसके बीज से निकाला गया तेल खाने के लिए प्रयोग किया जाता है। बीज दो रंगो में उपलब्ध होते हैं- काले और सफेद। तिल हिमाचल प्रदेश की महत्तवपूर्ण तिलहनी फसल है। जिसे सूखे, ढलान वाले और कम उपजाऊ क्षेत्रों में उगाया जाता है। इसकी औसतन पैदावार 2.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
जलवायु
-
Temperature
27-33°C -
Rainfall
400-600mm

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Temperature
27-33°C -
Rainfall
400-600mm

मिट्टी
तिल की खेती के लिए अच्छे निकास वाली हल्की से दरमियानी मिट्टी जिसमें पानी को रोक कर रखने की अच्छी क्षमता हो, उपयुक्त होती है। मिट्टी की पी एच 5 से 8 होनी चाहिए। क्षारीय और तेजाबी मिट्टी में तिल की खेती ना करें।

- बीमारियां और रोकथाम
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

ज़मीन की तैयारी
खेत की देसी हल की सहायता से एक बार जोताई करें। उसके बाद 1-2 क्रॉस जोताई करें। मिट्टी को समतल करें ताकि खेत में पानी खड़ा ना हो सके।

बिजाई

फसल की कटाई
जब पत्ते और फल रंग बदल कर पीले रंग के हो जायें और पत्ते गिरना शुरू हो जायें, तब फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। कटाई में देरी करने से फलियां सूखकर गिरने लगती हैं।
बीज
कटाई के बाद
कटाई के बाद, फसल को बंडलों में इक्ट्ठा करें और अच्छे से सुखाने के लिए कई दिनों तक फर्श पर ढेर लगा दें। लाठियां मारकर बीज को फसल से अलग कर लें। सफाई के बाद बीज को तीन दिनों के लिए धूप में सुखाएं। उसके बाद बोरियों में स्टोर करके रख दें।
खाद
तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)
NITROGEN | PHOSPHORUS | POTASH |
24 | 16 | 8 |
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
UREA | SSP | MOP |
50 | 100 | 13 |
खेत की तैयारी के समय, अच्छी तरह से गला हुआ गाय का गोबर 12.5 टन प्रति एकड़ में डालें। बिजाई के समय पूरी नाइट्रोजन, फासफोरस और पोटाश का बुरकाव करें।
सिंचाई
खरीफ के मौसम में वृद्धि के लिए कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। बारिश की तीव्रता और नियमितता के आधार पर सिंचाई करें। फूल निकलने और फल बनने के समय पानी की कमी ना होने दें।
खरपतवार नियंत्रण
खेत को नदीन मुक्त करने के लिए, बिजाई के 20-25 दिन बाद पहली गोडाई करें। दूसरी गोडाई बिजाई के 40-45 दिन बाद करें। नदीनों की रासायनिक रोकथाम के लिए उनके अंकुरण से पहले फलूक्लोरालिन 800 मि.ली. या एलाक्लोर 600 मि.ली. को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में डालें।
पौधे की देखभाल

- हानिकारक कीट और रोकथाम