कृषि

मिट्टी
इसे मिट्टी की व्यापक किस्मों में उगाया जा सकता है। अच्छी उपज के लिए, अच्छे निकास वाली और गहरी, उपजाऊ दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी अनुकूल होती है। मिट्टी का पी एच 6-7.5 होना चाहिए। जल जमाव वाली मिट्टी में इसकी खेती करने से परहेज़ करें।
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार
ज़मीन की तैयारी
खेत की अच्छे से जोताई करें। ज़मीन को डलियों और नदीन मुक्त रखें। जैतून जल जमाव वाले हालातों को सहन नहीं कर सकती इसलिए खेत की तैयारी के समय इसका ध्यान रखें।
बिजाई
बीज
प्रजनन
कटाई और छंटाई
खाद
खादें (ग्राम प्रति पौधा)
Age (in years) |
UREA (in kg) |
NITROGEN (in gm) |
PHOSPHORUS (gm) |
POTASH (gm) |
1st year | 10 | 75 | 50 | 50 |
2nd year | 15 | 150 | 100 | 100 |
3rd year | 20 | 225 | 150 | 150 |
4th year | 25 | 300 | 200 | 200 |
5th year | 30 | 375 | 250 | 250 |
6th year | 35 | 450 | 300 | 300 |
7th year | 40 | 525 | 350 | 350 |
8th year | 45 | 600 | 400 | 400 |
9th year | 50 | 675 | 450 | 450 |
10th year and above | 60 | 750 | 500 | 500 |
सिंचाई
इस फसल की वृद्धि के समय 100 सैं.मी. की वर्षा की आवश्यकता होती है। फूल निकलने, खिलने और फलों के निकलने की अवस्था सिंचाई के लिए महत्तवपूर्ण होती है। फूल निकलने के दो सप्ताह पहले सिंचाई करें ताकि फूल अच्छे से खिलें और कलियां कम से कम गिरें। फूल खिलने के समय भी सिंचाई करें और फल बनने के एक महीने बाद भी सिंचाई आवश्यक है। गर्म और सूखे हालातों में भी सिंचाई आवश्यक है।
खरपतवार नियंत्रण
नदीनों की वृद्धि को रोकने और मिट्टी को हवादार बनाने के लिए गोडाई और निराई करें। नदीनों की रासायनिक रोकथाम के लिए, उनकी तीव्रता के आधार पर ग्लाइसोफेट 800-1000 मि.ली. को वृद्धि के दौरान प्रति एकड़ में दो तीन बार डालें। घास के नदीनों की रोकथाम के लिए, ड्यूरॉन 800 ग्राम प्रति एकड़ में डालें।
पौधे की देखभाल
- हानिकारक कीट और रोकथाम
- बीमारियां और रोकथाम
सूखा: यह जैतून की फसल की गंभीर फंगस वाली बीमारी है। विकास के मौसम में पत्तों का झड़ना इसके मुख्य लक्षण हैं। कई हालातों में वृक्ष पूरा सूख जाता है और सूखकर मर जाता है।
बिजाई से पहले बीजों को थीरम 3 ग्राम या कार्बेनडाज़िम 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर उपचार करें। बुरी तरह से प्रभावित क्षेत्रों में अगेती बिजाई ना करें। प्रभावित क्षेत्र को कार्बेनडाज़िम 5 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर प्रभावित क्षेत्र में डालें।