शफतल की खेती

आम जानकारी

शफतल को भुकल के रूप में भी जाना जाता है। यह उच्च पोषक तत्वों वाली चारे की फसल है। यह सभी पशुओं द्वारा पसंद की जाती है। यह पिछेती मौसम में उगाई जाने वाली फसल है। इसकी पैदावार बढ़ाने के लिए इसकी बिजाई जई और  राई घास के साथ मिलाकर की जाती है।
हिमाचल प्रदेश में इसे मुख्य रूप से कुल्लू, मंडी, शिमला और चंबा क्षेत्रों में उगाया जाता है।
 

जलवायु

  • Season

    Temperature

    12-20°C
  • Season

    Rainfall

    500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    13°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    20-25°C
  • Season

    Temperature

    20-25°C
  • Season

    Temperature

    12-20°C
  • Season

    Rainfall

    500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    13°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    20-25°C
  • Season

    Temperature

    20-25°C
  • Season

    Temperature

    12-20°C
  • Season

    Rainfall

    500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    13°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    20-25°C
  • Season

    Temperature

    20-25°C
  • Season

    Temperature

    12-20°C
  • Season

    Rainfall

    500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    13°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    20-25°C
  • Season

    Temperature

    20-25°C

मिट्टी

शफतल, मिट्टी की काफी किस्मों जैसे रेतली दोमट से भारी चिकनी मिट्टी में उगाए जाने के लिए अनुकूल है।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

S H-48 : इस किस्म के गोल और गहरे हरे पत्ते होते हैं तना पतला और खोखला होता है और इसके छोटे सफेद रंग के फूल होते हैं जो पकने पर गुलाबी रंग के हो जाते हैं। इसके पौधे में 25-27 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा होती है। इसे बारानी क्षेत्रों में भी बोया जा सकता है। यह 5-6 कटाइयां देता है इसके हरे चारे की उपज 280-320 क्विंटल प्रति एकड़ और सूखे चारे की उपज 50-52 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
 
दूसरे राज्यों की किस्में

Shaftal 69 : इसके पत्ते का डंठल लंबा और आकार में गोल होता है। फूल गुलाबी रंग के होते हैं। यह किस्म तना गलन के प्रतिरोधी किस्म है। इसके बीज हरे रंग के होते हैं जो कि पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं।

Shaftal 48,  SH 69.
 

ज़मीन की तैयारी

सीड बैड तैयार करने के लिए ज़मीन की डिस्क हैरो से एक बार जोताई और कल्टीवेटर से दो बार जोताई करें।

बिजाई

बिजाई का समय
बीज बोने के लिए सितंबर के आखिरी सप्ताह से लेकर अक्तूबर का पहला सप्ताह अनुकूल होता है।
 
फासला
इसके लिए फासले की जरूरत नहीं होती, बीज को छींटे द्वारा बोया जाता है। 

बीज की गहराई
बीज को खड़े पानी में बोया जाता है।

बिजाई का ढंग
बीज को छींटा विधि द्वारा बोया जाता है।
 

बीज

बीज की मात्रा
एक एकड़ खेत के लिए 5-6 किलो बीज का प्रयोग करें।
 

खाद

(तत्व किलोग्राम प्रति एकड़)

NITROGEN PHOSPHORUS POTASH
10 24 12

 

(खादें किलोग्राम प्रति एकड़)

UREA SSP MOP
22 150 20

 

बिजाई के समय नाइट्रोजन 10 किलो (यूरिया 22 किलो), फासफोरस 24 किलो (एस एस पी 150 किलो) पोटाश 12 किलो (म्यूरेट ऑफ पोटाश 20 किलो) प्रति एकड़ में डालें। 

 

 

सिंचाई

शफतल की फसल के लिए सिंचाई आवश्यक होती है। हल्की मिट्टी में, बिजाई के 3-6 दिनों बाद पहली सिंचाई और भारी मिट्टी में, बिजाई 6-8 दिनों के बाद सिंचाई करें। बाकी की सिंचाई जलवायु के हालातों के आधार पर गर्मियों में 9-10 दिनों के अंतराल पर और सर्दियों में 10-15 दिनों के अंतराल पर करें।

पौधे की देखभाल

बालों वाली सुंडी
  • हानिकारक कीट और रोकथाम
बालों वाली सुंडी : यह पत्तों और तनों को खत्म कर देती है। इनके हमले से फसल का आर्थिक नुकसान होता है।
 
रोकथाम : फसल के साथ में जो खरपतवार उगते हैं उन्हें हटा देना चाहिए क्योंकि कीट उन्हीं को अपना भोजन बनाते हैं।
 
सुंडी
सुंडी : यह फसल को गंभीर रूप से नष्ट कर देती है।
 
रोकथाम : इसकी रोकथाम के लिए 50 मि.ली. क्लोरनट्रैनिलीप्रोल  18.5 एस एल या 60 मि.ली ट्रेसर की स्प्रे करें। यदि आवश्यकता हो तो 10 दिनों के बाद दोबारा स्प्रे करें।
 
पत्तों पर धब्बा रोग
  • बीमारियां और रोकथाम
पत्तों पर धब्बा रोग : यह बीमारी जनवरी के महीने में हमला करती है। यह पौधे के शिखर पर दिखाई देते हैं, जो सलेटी कपास की तरह दिखते हैं। इससे तने की वृद्धि रूक जाती है और पत्ते मुड़ जाते हैं।
 
 कुंगी
कुंगी : पौधे के हरे भाग में लाल रंग के छोटे धब्बे दिखाई देते हैं। पहले पत्तों को जंग लगती है और बाद में पत्ते गिर जाते हैं, जो बीज प्रभावित होते हैं उनका वनज हल्का होता है।
 
रोकथाम : इन दोनों बीमारियों को रोकने के लिए सेहतमंद बीजों का प्रयोग करें। मिट्टी में अधिक जैविक तत्वों से परहेज करें। ज्यादा सिंचाई का प्रयोग ना करें।
 

फसल की कटाई

फसल पहली कटाई के लिए 55-60 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। बाकी की कटाई 30 दिनों के अंतराल पर करें।