कृषि

कटाई के बाद
जौं, सिरका और शराब बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
फसल की कटाई
फसल किस्म के अनुसार मार्च के आखिर और अप्रैल में पक जाती है। फसल को ज्यादा पकने से बचाने के लिए समय के अनुसार कटाई करें। फसल में नमी 25-30 प्रतिशत होने पर फसल की कटाई करें। कटाई के लिए दांतों वाली दरांती का प्रयोग करें। कटाई के बाद सूखे स्थान पर भंडारण करें।

पीली धारीदार कुंगी : इस बीमारी की रोकथाम के लिए बीमारी की प्रतिरोधक किस्मों का प्रयोग करें। अंतर फसली और मिश्रित फसली अपनायें। नाइट्रोजन का अत्याधिक प्रयोग ना करें। जब इसके लक्षण दिखें तो सल्फर 12-15 किलो का प्रति एकड़ में छिड़काव करें या मैनकोजेब 2 ग्राम या प्रोपीकोनाज़ोल 25 ई सी,1 मि.ली को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

- बीमारियां और रोकथाम

तेला : इन्हें ज्यादातर सूखे मौसम में पाया जाता है। थ्रिप्स के हमले की जांच के लिए नीले चिपकने वाले कार्ड 6-8 प्रति एकड़ में लगाएं और हमले को कम करने के लिए वर्टीसीलियम लेकानी 5 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर भी स्प्रे करें। यदि तेले का ज्यादा हमला दिखे तो इमीडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल या फिप्रोनिल 1 मि.ली. या एसीफेट 75 प्रतिशत डब्लयु पी 1.0 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें या थाइमैथोक्सम 25 प्रतिशत डब्लयु जी 1.0 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें।


चेपा : चेपे के प्रबंधन के लिए क्राइसोपरला प्रीडेटर 4-6 हज़ार या 50 ग्राम नीम के घोल को प्रति लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग करें। यदि बादलवाई के मौसम में चेपे का हमला दिखे तो थाइमैथोक्सम 80 ग्राम या इमीडाक्लोप्रिड 60 मि.ली. को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।

पौधे की देखभाल

- हानिकारक कीट और रोकथाम
खाद
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
UREA | SSP | MOP |
36 | 50 | - |
तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)
NITROGEN | PHOSPHORUS | POTASH |
16 | 8 | As per soil test results |
खरपतवार नियंत्रण
सिंचाई
बीज
बिजाई
ज़मीन की तैयारी
खेत की अच्छे से जोताई करें और नदीनों को नष्ट करें। मिट्टी में नमी की मात्रा बनाए रखने के लिए तवियों से 2-3 बार जोताई करें। तवियों से जोताई करने के बाद, मिट्टी को समतल बनाने के लिए सुहागा फेरें। पहले बोयी गई फसल की पराली को हाथों से उठाकर नष्ट कर दें ताकि दीमक का हमला ना हो सके।
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार
जलवायु
-
Temperature
12-16°C30-32°C -
Rainfall
300-600mm -
Sowing Temperature
12-16°C -
Harvesting Temperature
30-32°C
-
Temperature
12-16°C30-32°C -
Rainfall
300-600mm -
Sowing Temperature
12-16°C -
Harvesting Temperature
30-32°C
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12-16°C30-32°C -
Rainfall
300-600mm -
Sowing Temperature
12-16°C -
Harvesting Temperature
30-32°C
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Temperature
12-16°C30-32°C -
Rainfall
300-600mm -
Sowing Temperature
12-16°C -
Harvesting Temperature
30-32°C
मिट्टी
जौं की खेती कई प्रकार की मिट्टी जैसे नर्म, हल्की और खारी वाली मिट्टी में की जा सकती है। भारी दोमट से रेतली मिट्टी जो कि अच्छे जल निकास वाली और हल्की उपजाऊ हो, में भी उगाने पर अच्छे परिणाम देती है। तेजाबी मिट्टी में जौं की खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती।