फाल आर्मीवर्म को लेकर विशेषज्ञ अलर्ट, किसानों को निगरानी करने की दे रहे सलाह

July 13 2019

मध्यप्रदेश में किसान जहां खरीफ फसलों की बोवनी में जुटे हैं। वहीं कृषि विशेषज्ञ भी खेतों में पहुंच रहे हैं। दरअसल, मक्का में फाल आर्मीवर्म कीट स्पोडोपटेरा फ्यूजेरियम कीट की कहीं दस्तक तो नहीं हुई, इसके लिए निरीक्षण किया जा रहा है। इस कीट के प्रति कि सानों को भी अलर्ट रहने को कहा गया है, क्योंकि यह कीट 80 तरह की फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है।

जिले में जहां पर भी बोवनी का काम होने के बाद पौधों की बढ़वार होने लगी है, वहां अब कृषि वैज्ञानिक एवं कृषि विभाग की टीम पहुंच रही है। गुरुवार व शुक्रवार को उप संचालक कृषि आरपीएस नायक, कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसएस धाकड़ सहित स्टाफ सदस्यों ने गोपीपुर, लोहरवास, भरड़ आदि गांवों में जाकर किसानों से चर्चा की और फसलों को देखा। यहां पर कुछ किसान बुआई करते मिले तो कु छ के खेतों में पौधे दिखाई दे रहे थे। टीम ने वहां पर जाकर फाल आर्मीवर्म कीट के बारे में भी जानकारी दी। इस दौरान बताया गया कि फसलों का नया शत्रु फाल आर्मीवर्म नामक कीट है। यह कीट हवा के साथ रात में करीब दस कि.मी तक प्रवास कर लेते हैं। इस कीट की मादा अपने जीवनकाल में एक हजार अंडे देती है। इसके अंडे विशेषकर मक्का की निचली पत्तियों पर 100 से लेकर 300 तक एक बार में दिए जाते हैं। पूर्ण विकसित इल्ली द्वारा मक्के के पौधों को नुकसान पहुंचाया जाता है। जिससे पौधे सूखकर मुरझा जाते हैं। जिले में अभी यह कीट कहीं पर भी देखने को नहीं आया है लेकिन इसके लिए अलर्ट रहना जरुरी है क्योंकि यह 80 से अधिक प्रकार की फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है। इस कीट का नियत्रंण यांत्रिकी, जैविक एवं रसायनिक विधि द्वारा किया जा सकता है। किसान अलर्ट रहकर इस कीट के लिए निगरानी जरुर करें। कि सी भी तरह की कोई आशंका लगने पर कृषि विभाग तथा कृषि विज्ञान कें द्र पर संपर्क करें। उल्लेखनीय है कि इस कीट की प्रदेश के छिंदवाड़ा में उपस्थिति मिल चुकी है।

बोवनी का काम अंतिम चरण में

क्षेत्र के आसमान में चार-पांच दिन से हल्के बादल जरुर छाए हुए हैं लेकिन मौसम खुला है। इस दौरान बारिश नहीं हुई है। मौसम को देखते हुए कि सानों द्वारा खेतों में बोवनी की जा रही है। कई जगह फसल खेतों में दिखाई देने लगी है तो दूसरी ओर अभी बुआई का काम चल रहा है, क्योंकि कई किसानों ने जून के अंत में बुआई करना प्रारंभ कर दी थी। वहीं कुछ किसानों ने पांच दिन पहले हुई बारिश के बाद अब बोवनी की जा रही है। जिले में दो लाख 80 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई संभावित है। इसमें से दो लाख 73 हजार में सोयाबीन वहीं सात हजार में अन्य फसलों की बुआई होना है। इसमें तीन हजार हेक्टेयर में मक्का की भी बुआई की जा रही है। अब तक जिले में 95 फीसदी बुआई हो चुकी है। शुक्रवार को बोवनी का अंतिम चरण रहा।

11एसजेआर32-कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञान केंद्र की टीम खेतों पर पहुंचकर किसान से चर्चा करते हुए।

 

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स्रोत: नई दुनिया