पिछले हफ्ते की जोरदार बारिश के बाद अब मानसून के कमजोर पड़ने की संभावना बताई जा रही है. ऐसी स्थिति में मानसून देश के ज्यादातर हिस्सों में कमजोर पड़ जाता है और अच्छी बारिश सिर्फ कुछ हिस्सों में सीमित हो जाती है. बताया जा रहा है कि 15 जुलाई के बाद ज्यादातर हिमालयी क्षेत्रों, उत्तराखंड और उत्तर-पूर्व में ही अच्छी बारिश होगी.
स्काई मेट के मैनेजिंग डायरेक्टर जतिन सिंह बताते हैं कि उत्तर प्रदेश और उससे जुड़े मध्य प्रदेश के ऊपर बना लो प्रेशर (कम दबाव का क्षेत्र) खत्म हो रहा है. इसकी वजह से देश के मध्य हिस्सों में बारिश में काफी कमी आएगी. बारिश होने वाली स्थिति हिमालयी क्षेत्रों में बनती दिख रही है. वहां बारिश में तेजी आएगी. 15 जुलाई के बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, गुजरात और महाराष्ट्र के ज्यादातर हिस्सों में मानसून डराने वाले हालात पैदा करने वाला है. कम बारिश सूखे की नौबत ला सकती है.
कहीं बाढ़ कहीं सूखे की स्थिति
मानसून में उलटफेर बड़ी समस्या पैदा करने वाला है. कहीं बाढ़ की स्थिति बनने वाली है तो कहीं कम बारिश की वजह से सूखे की दस्तक पड़ सकती है. मुंबई और उसके आसपास के इलाकों में बारिश की स्थिति अभी बनी रहेगी. 2-3 घंटों की तेज बारिश कुछ दिनों तक जारी रहेगी, इसलिए वहां जगह-जगह पानी जमा होने की समस्या बनी रहेगी. जुलाई के पहले 8 दिन में मुंबई में 678 एमएम की बारिश हो चुकी है, जुलाई में आमतौर पर यहां 840.7 एमएम की बारिश होती है. 163 एमएम की बारिश अब भी बाकी है.
यूपी, बिहार और असम में अगले कुछ हफ्तों में भारी बारिश
11 जुलाई के बाद यहां बारिश में कमी आएगी. लेकिन पूर्व और उत्तरपूर्व के कुछ राज्यों में मुश्किल हालात पैदा हो सकते हैं. यूपी, बिहार और असम में अगले कुछ हफ्तों में भारी बारिश होगी. स्काईमेट के मुताबिक यूपी के रामपुर, लखीमपुर खीरी, बलरामपुर और बाराबंकी में बाढ़ के हालात बनने वाले हैं. बिहार में भी 12 जुलाई के बाद पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सीतामढ़ी, मधुबनी, खगड़िया, मधेपुरा और सुपौल में बाढ़ की स्थिति आने वाली है. इसी दौरान असम और उत्तरपूर्व के राज्यों में भी भारी बारिश होगी.
मानसून के उलटफेर ने बिगाड़े हालात
मानसून में उलटफेर ने किसानों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है. आने वाला वक्त चुनौतीपूर्ण हो सकता है. पूरे देश के लिए जून का महीना बारिश के लिहाज से बेहद खराब रहा है. बारिश कम हुई है और कमी बनी हुई है. जून के अंत तक 33 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. बारिश में कमी की वजह से खरीफ की फसल की बुआई में देरी हुई है और बुआई में कमी आई है.
एक आंकड़े के मुताबिक धान-दलहन की बुआई में 36 लाख हेक्टेयर कम हो गई है. पिछले साल से तुलना करने पर धान और दलहन की बुआई में काफी कमी आई है. पिछले साल 5 जुलाई 2018 तक धान की बुआई 68.60 लाख हेक्टेयर में हुई थी. इस साल 5 जुलाई 2019 तक सिर्फ 52.47 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई हुई है. यानी सीधे-सीधे 16 लाख हेक्टेयर कम. इसी तरह दलहन की बुआई पिछले साल 5 जुलाई 2018 तक 27.91 लाख हेक्टेयर में हुई थी. इस साल 5 जुलाई 2019 तक सिर्फ 7.94 लाख हेक्टेयर जमीन पर दलहन की बुआई हुई है. यानी करीब 20 लाख हेक्टेयर में दलहन बोई ही नहीं गई है.
दलहन की बुआई में कमी से उत्पादन पर असर
फसलों की बुआई में कमी का असर सीधे तौर पर उत्पादन पर पड़ेगा. पिछले साल की तुलना में दलहन की बुआई में 61 फीसदी की कमी आई है. दलहन का उत्पादन करने वाले सभी राज्यो में बुआई में कमी आई है. राजस्थान में करीब 28.85 लाख हेक्टेयर में दलहन की खेती होती है. वहां इस बार हालात खराब हैं. अभी तक राजस्थान में सिर्फ 2.285 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुआई हुई है. जबकि पिछले साल इस वक्त तक 5.6 लाख हेक्टेयर मे दलहन की बुआई हो चुकी थी.
महाराष्ट्र के हालात तो और भी खराब हैं. महाराष्ट्र में इस बार सिर्फ 0.373 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुआई हुई है. जबकि पिछले साल अब तक 5.63 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी.
दलहन में सबसे ज्यादा बुआई में गिरावट तूर (तुअर) या अरहर दाल में आई है. इस साल सिर्फ 0.84 लाख हेक्टेयर में अरहर दाल की बुआई हुई है. जबकि पिछले साल अब तक 3.69 लाख हेक्टेयर में अरहल दाल की बुआई हो चुकी थी. अरहर दाल की बुआई जून महीने में होती है. बुआई में देरी का सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा.
केंद्र सरकार ने मानसून में देरी पर चिंता तो जाहिर की है. लेकिन अभी सूखे की स्थिति पर स्पष्ट राय नहीं बन पाई है. जुलाई में अच्छी बारिश की संभावना की वजह से अभी सूखे के हालात कहने से बचा जा रहा है. कृषि मंत्रालय का मानना है कि मानसून में देरी से हुए नुकसान की भरपाई मुमकिन है.
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स्रोत: न्यूज़ 18 हिंदी