सेब बगीचों में रूट बोरर-बीटल को खत्म करेगा सोलर लाइट ट्रैप, युवा बागवान ने तैयार की सस्ती तकनीक

July 19 2019

सेब के पेड़ की जड़ों पर रूट बोरर के हमलों से परेशान बागवानों के लिए राहत भरी खबर है। सेब बेल्ट रोहड़ू के एक मेकेनिकल इंजीनियर और युवा बागवान जयंत अतरेटा ने इस समस्या का तोड़ तैयार कर लिया है। जयंत ने लंबे अध्ययन और शोध के बाद सोलर लाइट ट्रैप तकनीक तैयार की है।

जयंत ने अपने सेब बगीचे में इस ट्रैप का परीक्षण किया है। वैज्ञानिकों ने भी अपनी जांच में इसे कारगर बताया है। जयंत के इस नवोन्मेष को इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के एग्रीकल्चरल टेकभनोलॉजी एप्लीकेशन रिसर्च इंस्टीट्यूट की पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

जयंत अतरेटा का दावा है कि सोलर लाइट ट्रैप की तकनीक रूट बोरर और बीटल जैसे कीटों का सफाया करने में सक्षम है। एक ट्रैप लगाने पर करीब डेढ़ से दो बीघा तक के बगीचे में कीटों के हमले रोके जा सकते हैं। जयंत ने बताया कि इस नई तकनीक को उन्होंने सबसे पहले अपने बागीचे पर आजमाया है। इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं।

सोलर लाइट ट्रैप को आईसीएआर लुधियाना की नवोन्मेष एवं नवाचार तकनीकों पर केंद्रित पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इस तकनीक को वैज्ञानिकों ने उनके बगीचे में आकर जांचा है। वैज्ञानिकों ने भी पाया है कि सोलर लाइट ट्रैप सेब के पेड़ों की जड़ों को काटने वाले कीटों को पकड़ने और उनकी संख्या नियंत्रित करने में सक्षम है। वहीं इस ट्रैप के साथ ही ग्लू पैड लगाकर अन्य कई तरह के पौधों के लिए हानिकारक कीट भी मारे जा सकते हैं। 

ऐसे काम करती है ट्रैप तकनीक

रूट बोरर तकनीक में एक खास तरह का सोलर पैनल इस्तेमाल कर उसे बगीचे में लगा दिया जाता है। इसके नीचे कैरोसीन मिक्स पानी के मिश्रण का एक बर्तन रख दिया जाता है। जुलाई से सितंबर माह में शाम सात से ग्यारह बजे के बीच सोलर लाइट के आसपास कीट पतंगे मंडराते हैं।  इनमें बीटल भी होता है।

मिश्रण वाले पानी में गिरने के बाद यह कीट मारे जाते हैं। इस तकनीक पर तीन हजार तक का खर्च आ सकता है। जयंत ऐसे करीब सौ से अधिक उपकरण बेच भी चुके हैं। गांव में लगी सोलर लाइट में भी ट्रैप बनाया जा सकता है।

बीटल के दिए अंडो से ही बनते है रूट बोरर

बरसात में बारिश होने के बाद लाइट के पास मंडराने वाले यही बिटल जिंदा रहे तो एक बार में दो सौ के करीब अंडे देता है। इनमें औसतन 50 जिंदा रहते हैं। बीटल चूंकि पेड़ों के तनों में अंडे देता है।

इससे निकलने वाले रूट बोरर पेड़ों की मुख्य जड़ों को काटने लगते हैं। यदि एक पौधे में 5 रूट बोरर अटैक करें तो दो साल में पेड़ को गिरा सकते हैं। यही रूट बोरर तीन साल में दोबारा बीटल बन जाते हैं, जिससे इनकी संख्या हर साल बढ़ती जाती है।

निचले व मध्यम ऊंचाई वाले बगीचों में ज्यादा समस्या

पहाड़ी क्षेत्र में निचले और मध्यम ऊंचाई वाले रेतीली भूमि पर लगे सेब बगीचों पर रूट बोरर की समस्या सबसे ज्यादा है। बागवान यहां इन रूट बोरर से पेड़ों को बचाने को कई तरह के केमिकल का इस्तेमाल करते हैं।

खोद कर कीटों को निकालते हैं। इस सोलर लाइट ट्रैप के इस्तेमाल से केमिकल का प्रयोग तीस फीसदी तक कम हो सकता है।

 

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स्रोत: अमर उजाला